रेटिंग कंपनियों ने लगवाया चूना !
शेयर बाजार की ताजा तगड़ी गिरावट के कारण कुछ भी रहे हो लेकिन एक सवाल सभी के सामने है कि पब्लिक इश्यू यानी आईपीओ को रेटिंग देने वाली रेटिंग कंपनियों की भूमिका पर कड़ी नजर रखी जाना जरुरी है। जब से रेटिंग कंपनियों को आईपीओ की रेटिंग करने को कहा गया है वे ज्यादातर कंपनियों को बढि़या रेटिंग दे रही हैं लेकिन लिस्टिंग और चलते इश्यू के समय इनके फेल हो जाने से रेटिंग कंपनियों की भूमिका भी शंका के घेरे में आ गई हैं। हालांकि, रेटिंग कंपनियां उनकी रेटिंग की गई कंपनियों के शेयरों के दाम प्राइस बैंड से नीचे जाने के अनेक कारण गिनवा देंगी और अपनी खाल बचाने में कामयाब हो जाएंगी। लेकिन इनसे यह तो पूछा जाना चाहिए कि जब आपने रिलायंस पावर को बढि़या रेटिंग दी तो क्या आपने ऐसी दूसरी पावर कंपनियों को ध्यान में रखा था जो देश या विदेश में शानदार कार्य कर रही हैं।
एनटीपीसी देश की सबसे बढि़या बिजली उत्पादक कंपनी है। इसके शेयर का दाम आज तक तीन सौ रुपए को पार नहीं कर सका, लेकिन केवल कागजों पर मौजूद रिलायंस पावर का प्राइस बैंड 450 रुपए को इन रेटिंग कंपनियों ने उचित बताया। रिलायंस पावर की तो किस्मत अच्छी थी जो 60 सैंकेंड में ही इतना भर गया कि बाद में सोचने के लिए कुछ बचा ही नहीं। इन्हीं रेटिंग कंपनियों ने वोकहार्ट हॉस्पिटल, एमार एमजीएफ और एसवीईसी कंसट्रक्शंस के आईपीओ की रेटिंग की। लेकिन ये कंपनियां बदनसीब रहीं और इन्हें बीच में से ही बाजार से हटना पड़ा यानी पब्लिक इश्यू टायं टायं फिस्स। हालांकि, इन कंपनियों ने अपनी प्राइस बैंड भी घटाई लेकिन ऐसा करते ही निवेशकों के मन में यह बात उठी की ये कंपनियां ऐसा क्यूं कर रही है। क्यों वैल्यूएशन से सस्ते दाम पर शेयर देने की तैयारी।
वोकहार्ट हॉस्पिटल ने अपने शेयर की प्राइस बैंड 280 से 310 रुपए से घटाकर 225 से 260 रुपए कर दी थी। एमार एमजीएफ ने अपने शेयर की प्राइस बैंड 610 से 690 रुपए से घटाकर 540 से 630 रुपए कर दी थी। एसवीईसी कंसट्रक्शंस ने अपने प्राइस बैंड 85 से 95 रुपए को घटाकर 80 से 90 रुपए कर दिया था। अब ये तीनों कंपनियां अपने आईपीओ के विफल होने के दुख के लिए बाजार को जिम्मेदार बताएंगी। लेकिन यह नहीं कहेंगी कि उन्होंने प्राइस बैंड निवेशकों को पूरी तरह निचोड़ने के हिसाब से तय किया और रेटिंग कंपनियों को कुछ दिखाई ही नहीं दिया।
मजेदार बात तो यह देखिएं कि एमआर दुबई स्थित कंपनी है और दुबई स्टॉक एक्सचेंज में इसकी लिस्टिंग 130 रुपए प्रति शेयर पर हुई, जबकि भारत में यह प्रति शेयर 610 से 690 रुपए वसूलना चाहती थी। निवेशक अब पहले से ज्यादा सचेत हैं और जब उन्हें पता है कि दुबई में इस कंपनी का शेयर काफी सस्ता मिल रहा है तो वे क्यों यहां इतना महंगा दाम चुकाएं। निवेशकों को यदि एमआर में रुचि होगी तो सीधे दुबई एक्सचेंज में शेयर नहीं खरीद लेंगे। इससे यह शक तो होता ही है कि एक कंपनी का शेयर दुबई में सस्ता मिल रहा है और भारत में महंगा, कहीं रेटिंग कंपनियां कुछ ले देकर विशेष मेहरबानी तो नहीं कर रही कार्पोरेट जगत का। यानी रेटिंग कंपनियां आम निवेशक को चूना लगवाने में अप्रत्यक्ष रुप से मदद तो नहीं कर रही। ये कंपनियां ही बांड, ऋण पत्र, सावधि जमाओं जैसे दूसरे निवेश साधनों को भी रेटिंग देती हैं यानी वहां भी अब शंका के लिए जगह है। हालांकि, इन कंपनियों का कहना है कि वे वैज्ञानिक पद्धति और कई पहलूओं को ध्यान में रखने के बाद रेटिंग करती हैं लेकिन आम निवेशक तो उसे रेटिंग देने का पैसा नहीं चुकाता, तो ऐसे में हर कार्य पूरी ईमानदारी एवं निष्ठा से करने वाले हरिश्चंद्र आज मिलने मुश्किल हैं क्योंकि आखिरकार पैसा भी तो रेटिंग पानी वाली कंपनियां ही अदा करती हैं।
टिप्पणियाँ
ये तो सचमुच आंखें खोलने वाली बात बताई आपने!
saadhubad
saadhubad