हाउसिंग सैक्टर की बेरुखी ने डुबोया सीमेंट उद्योग को
सीमेट उद्योग क्षमता बढ़ने और आवास क्षेत्र की घटी मांग से पीडि़त है। इंडिया इंफोलाइन के एक सर्वे के मुताबिक सीमेंट डीलरों को हाउसिंग सैक्टर से मांग के बिगड़े गणित के बावजूद यह भरोसा है कि सीमेंट की मांग आने वाले दिनों में बढ़ेगी। सीमेंट डीलरों का कहना है कि शार्ट टर्म में सीमेंट के दाम सकारात्मक धारणा के साथ स्थिर रहेंगे। दक्षिण राज्यों, महाराष्ट्र, उड़ीसा और छत्तीसगढ़ के सीमेंट डीलरों का मानना है कि अगले तीन से छह महीने के दौरान सीमेंट के दाम बढ़ेंगे, जबकि पंजाब, उत्तर प्रदेश और उत्तरांचल के डीलर कहते हैं कि सीमेंट के दाम गिरेंगे। इंडिया इंफोलाइन की राय में सीमेंट की उत्पादन क्षमता बढ़ाने की योजनाएं जारी रहेंगी। खासकर दक्षिण भारत में सीमेंट उत्पादन क्षमता बढ़ेगी। ग्रासिम इंडस्ट्रीज, अल्ट्राटेक सीमेंट, मद्रास सीमेंट, इंडिया सीमेंट और श्री सीमेंट के शेयरों की खरीद की इस रिपोर्ट में सलाह दी गई है।
इंडिया इंफोलाइन ने 18 राज्यों के 60 सीमेंट डीलरों से बातचीत के आधार पर तैयार अपनी सर्वे रिपोर्ट में कहा है कि पिछले दो महीनों में तेज सर्दी की वजह से कंसट्रक्शन गतिविधियां थम गई थी जिसकी वजह से सीमेंट की मांग घटी और इसका डिस्पैच 4 से 5 फीसदी कम हुआ। हालांकि, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक को छोड़कर अन्य राज्यों में अब सीमेंट की मांग बढ़ रही है लेकिन ज्यादातर राज्यों में अभी भी हाउसिंग सैक्टर की मांग कमजोर बनी हुई है। आंध्र प्रदेश में हाल की जबरदस्त बेमौसमी बारिश का कंसट्रक्शन उद्योग पर विपरीत असर पड़ा है। कर्नाटक में राज्य सरकार के भंग हो जाने से इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं से जुड़ी गतिविधियां ठंडी पड़ गई है।
सीमेंट के दामों की बात की जाए तो फरवरी में महाराष्ट्र में सीमेंट के दाम प्रति बैग 2 से 5 रुपए बढ़े, जबकि आंध्र प्रदेश में यह 4 से 5 रुपए और उत्तर प्रदेश में 2 से 3 रुपए प्रति बैग कम हुए। आंध्र प्रदेश में में सरकार प्रयोजित हाउसिंग व इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं के सुस्त पड़ने एवं बेमौसमी बारिश से सीमेंट का उठाव कमजोर पड़ा है। यहां सीमेंट के दाम अगले दो से तीन सप्ताह में सुधरने की उम्मीद की जा सकती है।
सीमेंट के आयात से पड़ने वाले असर को देखा जाए तो पाकिस्तान से आने वाली सीमेंट का असर पंजाब को छोड़कर अन्य राज्यों में नहीं पड़ेगा। पंजाब के डीलरों का मानना है कि पाकिस्तान से आने वाली सीमेंट की वजह से यहां इसके दाम अगले कुछ महीनों में 5 से 10 रुपए प्रति बैग गिर सकते हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक सीमेंट की मांग बढ़ रही है क्योंकि राज्य सरकारों के सार्वजनिक निर्माण विभागों और सरकारी एजेंसियां अपने को आबंटित फंड को पूरा करने के लिए फरवरी और मार्च में कंसट्रक्शन संबंधी गतिविधियों पर जोर देती है। इन सभी को वित्त वर्ष की समाप्ति से पहले यह कार्य करना होता है। डीलरों को पूरी पूरी उम्मीद है कि समूचे देश में इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं और कार्पोरेट विस्तार परियोजनाओं की वजह से सीमेंट की मांग बढ़ेगी। कुछ डीलर तमिलनाडु, गुजरात, राजस्थान और छत्तीसगढ़ को छोड़कर अन्य राज्यों के आवास क्षेत्र से सीमेंट में मांग निकलने की आस नहीं रखते।
महाराष्ट्र, दक्षिण राज्यों, झारखंड और उड़ीसा में सीमेंट डीलरों को अगले तीन से छह महीनों में सीमेंट के दाम बढ़ने का भरोसा है। महाराष्ट्र और तमिलनाडु में अगले दो से तीन महीनों में सीमेंट के भाव 10 से 20 रुपए प्रति बैग तक बढ़ने के आसार हैं। दक्षिण भारत के डीलरों का कहना है कि यदि सरकार भाव नियंत्रण में ढील देती है तो सीमेंट के दाम प्रति बैग 300 रुपए तक पहुंच सकते हैं।
उत्तर भारत के सीमेंट डीलर मानते हैं कि इसे दाम सीमेंट की आपूर्ति सही होने से ऊंचे दामों का बने रहना कठिन है। पंजाब में तो पाकिस्तान से आ रही सीमेंट की वजह से घरेलू सीमेंट कंपनियों को दाम घटाने पड़ सकते हैं। गुजरात में यह माना जा रहा है कि सीमेंट के दाम बेहतर मांग के बावजूद शार्ट टर्म में स्थिर रहेंगे। राज्य में बिनानी सीमेंट ने आपूर्ति बढ़ा दी है। साथ ही जैपी सीमेंट के संयंत्र में वित्त वर्ष 2009 की दूसरी तिमाही से उत्पादन शुरु हो जाने पर दाम गिरने की आशंका है। इस राज्य में विभिन्न सीमेंट उत्पादकों के बीच बाजार हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए सीमेंट के भावों में कटौती करने के आसार बढ़े हैं। मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में छह महीने बाद सीमेंट की कीमतों में कमी होने की आस है, हालांकि यहां तेज गिरावट देखने को नहीं मिलेगी। वित्त वर्ष 2007 में देश भर से सीमेंट की मांग 1494 लाख टन की उम्मीद की जा रही है और जनवरी 2008 तक यह 1327 लाख टन सीमेंट रही। समूचे वित्त वर्ष में सीमेंट की मांग में दस फीसदी का इजाफा देखा जा रहा है।
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