शेयर बाजार में देखो और प्रतीक्षा करो
अमरीका में मंदी की बढ़ती जा रही आशंका ने अब समूची दुनिया के बाजारों में अपना रंग दिखाना शुरु कर दिया है। साथ ही भारत-अमरीका के बीच परमाणु संधि को लेकर कांग्रेस व वामपंथियों के बीच खटराग बढ़ने से अगले सप्ताह शेयर बाजार की स्थिति और बिगड़ सकती है। ऐसे में निवेशकों के लिए बेहतर होगा कि वे देखो और प्रतीक्षा करो की नीति अपनाए। पिछले सप्ताह बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज साढ़े नौ फीसदी और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी नौ फीसदी टूटा।
शेयर विश्लेषकों का कहना है कि बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज का बैरोमीटर सेंसेक्स अपने स्पोर्ट स्तर 16100 को तोड़ चुका है। अब सेंसेक्स के लिए अगला समर्थन स्तर जनवरी के निचले स्तर 15300 के करीब है। अगर सेंसेक्स इस स्तर को भी तोड़ कर नीचे जाता है तो बाजार में भारी तबाही मच सकती है। शेयर बाजार में मौजूदा स्थिति अगले तीन से चार महीने तक ऐसी ही बनी रहेगी। हालांकि, लंबी अवधि में भारतीय शेयर बाजार में किया गया निवेश फायदेमंद रहेगा। इस बीच, शेयर बाजार में आंतककारियों का पैसा होने की बात की जांच की संभावना है, हालांकि इस मसले पर सरकार में मतभेद रहे हैं और आतंककारियों का पैसा लगा होने की कोई पुष्टि नहीं हो पाई है। लेकिन जांच की संभावना की खबर से शेयर बाजार को और गिराकर आम निवेशक के हाथ से क्रीम कंपनियों के शेयर खींच लेने की चाल भी चली जा रही है।
बाजार के इस अनिश्चित माहौल में निवेशकों को नए निवेश से बचना चाहिए। उम्मीद की जा रही है कि अगले दो-तीन महीने तक बाजार में इसी तरह की अनिश्चिताएं बनीं रहेंगी। बाजार में तरलता की काफी कमी है। वॉल्यूम बिल्कुल ही नहीं दिख रहे हैं। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज यानी बीएसई सेंसेक्स के इस सप्ताह 14444 से 16187 और निफ्टी के 4262 से 4837 अंक के बीच घूमते रहने की संभावना है। तकनीकी विश्लेषक हितेंद्र वासुदेव का कहना है कि सेंसेक्स में 17228 अंक के स्टॉप लॉस के साथ 16297 से 16905 अंक पर बिकवाली करें। सेंसेक्स की परीक्षा 15532 से 15183 अंक पर होगी।
सेबी के नए चेयरमैन सी बी भावे ने पहली बोर्ड बैठक में निवेशकों के फायदे के लिए कंपनियों के पब्लिक इश्यू, राइट इश्यू के ड्रॉफ्ट प्रॉस्पेक्ट्स फाइल करने के शुल्क, वेंचर कैपिटल फंड के पंजीकरण शुल्क में जोरदार कमी जैसे कदम उठाए हैं। लेकिन सैकंडरी बाजार की बी ग्रुप और एस ग्रुप की कंपनियों में सर्किट लिमिट को लेकर जो व्यवहार किया जा रहा है, उसमें सुधार की तत्काल जरुरत है। शेयर बाजार में अनेक ऐसे ग्रुप काम कर रहे हैं जो बी व एस ग्रुप के शेयरों के थोड़ा सा बढ़ने पर टी ग्रुप में डलवा देते हैं जिससे आम निवेशक इन शेयरों से छूट नहीं पाते और बेमौत मरते हैं। तेजी के समय जब भी इन ग्रुपों की कंपनियों में दो दिन 20 फीसदी का ऊपरी सर्किट लगता है तो तीसरे दिन सर्किट सीमा कम कर दी जाती है या टी ग्रुप में डाल दिया जाता है। जबकि मौजूदा मंदी में गिरते शेयरों को थामने के लिए क्यों नहीं सर्किट सीमा पांच या दो फीसदी की जा रही है।
दलाल स्ट्रीट के खिलाडि़यों का कहना है कि अमरीका में एक के बाद एक आ रही खराब खबरों ने पूरी दुनिया के बाजारों को झकझोर कर रख दिया है। अमरीका मंदी की चपेट में जाता नजर आ रहा है। अब इस बात को जॉर्ज बुश प्रशासन ने भी स्वीकार कर लिया है। अमरीका में जनवरी में 22 हजार और फरवरी में 63 हजार लोगों ने अपनी नौकरी खोई है। अब यह माना जा रहा है कि फैडरल रिजर्व अप्रैल अंत तक ब्याज दर को काफी घटाकर केवल दो फीसदी या इससे कम कर देगा। इससे पहले 18 मार्च को फैडरल रिजर्व की बैठक होने वाली है। इस बैठक में ब्याज दर में 0.75 फीसदी की कटौती हो सकती है। लेकिन बार-बार इस तरह की कटौती भी उचित नहीं है।
इस बीच, भारत में मुद्रास्फिति की दर पांच फीसदी के ऊपर पहुंच चुकी है ऐसे में रिजर्व बैंक के लिए ब्याज दर में कटौती करना और भी मुश्किल हो सकता है। यानी फिर से लिक्विडिटी बढ़ाने के कदम पर रुकावट आ सकती है। भारत-अमरीका के बीच परमाणु संधि पर एक बार फिर वामपंथियों ने तलवारे निकाल ली हैं। वामपंथियों का कहना है कि इस मुद्दे पर सरकार आगे बढ़ी तो हम अपना समर्थन वापस ले लेंगे। इसका मतलब यह हुआ कि समय से पहले आम चुनाव।
10 मार्च से शुरु हो रहे सप्ताह में फ्रंटरनर की भूमिका में लार्सन एंड टुब्रो और भारती एयरटेल रहेंगे। इसके अलावा टेक महिंद्रा, भारत फोर्ज, सन फार्मा, गांधी स्पेशल टयूब, थामस कुक, सीएमसी, ब्लू स्टार, बीजीआर एनर्जी सिस्टम, डेकोलाइट सिरामिक्स और टाइम टेक्नो के शेयरों पर निवेशक ध्यान दे सकते हैं।
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