शेयर बाजार में रहेगी खासी उथल पुथल
अमरीकी अर्थव्यवस्था पर छाए मंदी के बादल अभी छंटे नहीं हैं जिसकी वजह से भारतीय शेयर बाजार में भी निवेशकों को इस सप्ताह खास उम्मीद नहीं रखनी चाहिए। इस सप्ताह इंफोसिस, विप्रो, रिलायंस पेट्रो, रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर, एनडीटीवी, एचसीएल टेक्नो, रोल्टा इंडिया और जैपी होटल्स सहित अनेक कंपनियां अपनी चौथी तिमाही के नतीजे पेश करने जा रही हैं। लेकिन बाजार विश्लेषकों को इन नतीजों से कोई खास आशा नहीं हैं। साथ ही बढ़ती महंगाई दर पर इस सप्ताह बड़ा राजनीतिक हो हल्ला हो सकता है, जो बाजार की सेहत को और बिगाड़ सकता है। इस बीच, जी 7 देशों ने वैश्विक वित्त बाजार की हालत उम्मीद से कहीं ज्यादा खराब बताई है। इन देशों ने दुनिया को इस संकट से निकालने के लिए जरूरी मौद्रिक और वित्तीय कदम उठाने का प्रण किया है लेकिन यह कदम क्या होंगे इसका खुलासा नहीं किया। पूंजी बाजार को पटरी पर लाने के लिए 100 दिन का एक कार्यक्रम बनाया है। वित्तीय कंपनियों से कहा गया है कि वे अपनी अर्ध वार्षिक आमदनी में साफ तौर पर बताएं कि उनका कितना निवेश डूबने के कगार पर है ताकि हालात का सही जायजा लिया जा सके।
बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज यानी बीएसई सेंसेक्स 15 अप्रैल से शुरु हो रहे सप्ताह में 16287 का अहम स्तर टूटने से 15333 अंक तक जा सकता है। यदि यह स्तर भी टूटता है तो सेंसेक्स के 15047 अंक की जाने की आशंका है। जबकि नेशनल स्टॉक एक्सचेंज यानी एनएसई का निफ्टी भी 4934 अंक का स्तर तोड़ चुका है इसलिए निफ्टी के 4633 अंक तक आने की संभावना है। निफ्टी ने यदि इस स्तर को तोड़ा तो यह 4533 अंक तक जा सकता है। सेंसेक्स और निफ्टी की इस चाल में इंफोसिस, विप्रो और एचसीएल टेक्नो खास भूमिका निभाएंगे। बीएसई सेंसेक्स यदि अगले सात कारोबारी दिवसों में 14300 अंक से नीचे नहीं जाता है तो खासी तेजी की नींव तैयार होगी।
तकनीकी विश्लेषक हितेंद्र वासुदेव का कहना है कि सेंसेक्स का साप्ताहिक रेसीसटेंस 16609, 16450 और 16705 अंक होगा। साप्ताहिक स्पोर्ट 15433-15297, 14994 और 14789-14677 अंक पर रहेगा। दैनिक चार्ट के आधार पर अहम स्पोर्ट 15300 अंक पर है। यदि बाजार इस स्तर से गिरता है तो सेंसेक्स की अगली परीक्षा 14677 अंक पर होगी। यदि सेंसेक्स 14677 अंक से गिरकर नीचे की ओर जाता है तो इसके 14100-14000 अंक तक जाने की संभावना है। अहम बात यह है कि सेंसेक्स का सभी साप्ताहिक रेसीसटेंस स्तरों को पार करना और उनके ऊपर बंद होना जरुरी है। सेंसेक्स 16500 अंक से ऊपर बंद होता है तो यह 16900 से 17646 अंक की ओर बढ़ेगा।
इस बीच, भारतीय शेयर बाजार के प्रति विदेशी संस्थागत निवेशक मंदी का मत रखते हैं लेकिन घरेलू म्युच्युअल फंड इससे विपरीत चाल चल रहे हैं। जनवरी से मार्च 2008 के दौरान विदेशी संस्थागत निवेशकों ने 12 हजार करोड़ रुपए की शुद्ध बिकवाली की। यह बिकवाली पी नोट्स की पोजीशन कम करने का भी एक हिस्सा हो सकती है। लेकिन घरेलू म्युच्युअल फंडस ने इस अवधि में बड़ी संख्या में शेयरों की खरीद की है, हालांकि इनकी खरीद बाजार को उठाने में कामयाब नहीं हो सकी। इस समय अवधि में बीएसई सेंसेक्स 4700 अंक घटा है। मंदी के इस दौर में अनेक कंपनियों में उनके प्रमोटरों की हिस्सेदारी बढ़ती दिखाई दी है। मसलन बॉम्बे डाईंग में प्रमोटरों की जो हिस्सेदारी 31 दिसंबर 2007 को 44.9 फीसदी थी वह बढ़कर अब 47.1 फीसदी, रिलायंस एनर्जी में प्रमोटरों का हिस्सा 34.7 फीसदी से बढ़कर 36 फीसदी पहुंच गया है। प्रमोटरों की हिस्सेदारी बढ़ाने का कदम बाजार के अच्छा संकेत कहा जा सकता है। इस अवधि में इन दोनों कंपनियों में विदेशी निवेशकों की हिस्सेदारी 3 फीसदी और 2.3 फीसदी कम हुई है।
इस सप्ताह निवेशक इंफोसिस, विप्रो, एचसीएल टेक्नो, पावर फाइनेंस कार्पोरेशन, पीवीआर, एनडीटीवी, जी न्यूज, जी एंटरटेनमेंट, भारती शीपयार्ड, मोजर बेयर, हिंदुस्तान ऑयल एक्सप्लोरेशन, दिवान हाउसिंग, एचईजी, ब्रिटानिया, वेल्सपन गुजरात, गुजरात स्टेट पेट्रोनेट और बलरामपुर चीनी पर ध्यान दे सकते हैं।
टिप्पणियाँ
उथल में भी
पुथल में भी
फिर टंगेगा बाजार
मुंह नीचे टांगे लाचार
महंगाई की तरह
नहीं चढ़ेगा बाजार
थल थल यानी
जमीन जमीन
होगा बाजार
थुल थुल होंगे
निवेशक
नहीं होंगे सचेत
मिलेंगे अचेत.