शेयर बाजार के लिए नेगेटिव खबरों का अंबार


महंगाई दर 11.62 फीसदी के साथ 13 साल के उच्‍च शिखर पर, क्रूड 145 डॉलर प्रति बैरल पार और अब 170 डॉलर की ओर बढ़ने की तैयारी, भारत-अमरीका परमाणु करार पर यूपीए सरकार का भविष्‍य खतरे में, भारतीय रुपया डॉलर की तुलना में तेजी से कमजोर, विदेशी संस्‍थागत निवेशकों की लगातार बिकवाली जैसी नकारात्‍मक खबरें शेयर बाजार का पीछा नहीं छोड़ रही हैं।

शेयर बाजार के लिए निकट भविष्‍य में कोई बड़ा सकारात्‍मक कारक उभरकर सामने आने की संभावना कम है। सब प्राइम के बाद अभी भी दुनिया के अनेक बैंकरों और निवेश फंडों के मुश्किल से उबरने में असमर्थ होने की खबरें बाजार के लिए अच्‍छी नहीं हैं। अमरीका के बाद यूरोप की बैंकों को 141 अरब डॉलर जुटाने की जरुरत, कमोडिटी के बढ़ते विश्‍व व्‍यापी भाव इस मंदी को बढ़ाने का काम कर रहे हैं। घरेलू मोर्चे पर सरकार अर्थव्‍यवस्‍था को पटरी पर लाने के अनेक प्रयास कर रही है ताकि अगले वर्ष होने वाले आम चुनावों में जीत हासिल की जा सके लेकिन क्रूड के बढ़ते दाम और चढ़ती महंगाई दर ने सरकार के हर प्रयास को विफल कर दिया है। भारतीय रिजर्व बैंक को इस बीच, रेपो रेट और सीआरआर में जो बढ़ोतरी करनी पड़ी है उससे ब्‍याज दरें बढ़ रही हैं जिनका नतीजा कार्पोरेट परिणामों पर देखने को मिलेगा।

भारतीय रुपए के अमरीकी डॉलर की तुलना में कमजोर पड़ने से आने वाले दिन आईटी कंपनियों के लिए अच्‍छे हो सकते हैं। अमरीकी डॉलर के 43 के स्‍तर पर पहुंचने से भारतीय सॉफ्टवेयर कंपनियों के निर्यात में इजाफा होगा। देश की मुख्‍य सॉफ्टवेयर कंपनी इंफोसिस 11 जुलाई को अपने अप्रैल-जून तिमाही के नतीजे और गाइडेंस जारी करेगी। कंपनी के नतीजे और गाइडेंस सकारात्‍मक रहने की उम्‍मीद है जिससे आईटी शेयरों में वेल्‍यू बाईंग देखने को मिल सकती है।

बॉम्‍बे स्‍टॉक एक्‍सचेंज यानी बीएसई सेंसेक्‍स 7 जुलाई से शुरु हो रहे सप्‍ताह में ऊपर में 13981 और नीचे में 12781 अंक के बीच रहेगा। जबकि नेशनल स्‍टॉक एक्‍सचेंज यानी एनएसई का निफ्टी 4176 से 3816 अंक के बीच रहने की संभावना है।

ओ (एक्‍स) यूएस इनवेस्‍टमेंट के अध्‍यक्ष सुरजीत भल्‍ला का कहना है कि मौजूदा स्‍तर पर बाजार आकर्षक है। वे कहते हैं कि सेंटीमेंट अभी भी अच्‍छे नहीं हैं एवं अभी और नरमी देखने को मिल सकती है लेकिन अब बाजार में बड़ी गिरावट की आशंका नहीं है। वे मानते हैं कि बाजार अब बॉटम के करीब है। हालांकि, बाजार के ऊपर उठने के लिए इस समय कोई घरेलू कारक नहीं है। लेकिन क्रूड के दामों में गिरावट आती है तो यह अच्‍छा होगा। वे भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था में मंदी की बात को नहीं मानते।

इसके विपरीत, फर्स्‍ट ग्‍लोबल की देविना मेहरा का कहना है कि वर्तमान में बाजार निश्चित रुप से मंदी के दौर में है। हमें कम से कम अगला एक साल और नकारात्‍मक रिटर्न का देखने को मिल सकता है। वित्तीय घाटे और चालू खाते पर दबाव दिख रहा है। कार्पोरेट मार्जिन पर भी दबाव देखने की आशंका है। मेहरा का कहना है कि मंदी तेजी से बढ़ेगी और सेंसेक्‍स दस से ग्‍यारह हजार के बीच आ सकता है। घरेलू मोर्चं पर नकारात्‍मक खबरें ज्‍यादा हैं लेकिन क्रूड के दाम नीचे आते हैं तो यह बाजार के लिए सकारात्‍मक कारक होगा।

इस सप्‍ताह निवेशक इंफोसिस, प्राइम फोकस, कार्बोरेंडम यूनिवर्सल, टाटा कैमिकल, सन फार्मा, क्रिसिल, केएस ऑयल, जिंदल साउ‍थ वेस्‍ट, रिलायंस इंफ्रा, टीटीके प्रैस्‍टीज, और ब्रिटानिया इंडस्‍ट्रीज पर ध्‍यान दे सकते हैं। इस सप्‍ताह कोलगेट पामोलिव, कार्बोरेंडम यूनिवर्सल, किर्लोस्‍कर न्‍यूमैटिक, सेसा गोवा, सुंदरम फाइनेंस, वेस्‍ट इंडिया, टाटा एलेक्‍सी, टयूब इनवेस्‍टमेंट, अल्‍ट्राटेक सीमेंट, कैडिला हैल्‍थकेयर, एम्‍पायर इंडस्‍ट्रीज, आईसीआईसीआई बैंक, गुजरात रेकल, कल्‍पतरु पावर, थर्मेक्‍स, ग्रेफाइट इंडस्‍ट्रीज, ब्रिटानिया इंडस्‍ट्रीज, ऊषा मार्टिन, ब्‍लू स्‍टार, अपोलो सिंधु, श्री सीमेंट, लक्ष्‍मी इलेक्ट्रिक, जे एंड के बैंक, एलीकॉन इंजीनियरिंग, वीएसटी टीलर, अल्‍ट्रामरीन पिग, अनंतराज इंडस्‍ट्रीज, फास्‍ट ट्रैक, बाइमेटल बैरिंग, कोरोमंडल फर्टिलाइजर, डालमिया सीमेंट, टयूब इनवेस्‍टमेंट के लाभांश देने पर बाजार की नजर रहेगी।

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