दलाल स्ट्रीट: सेंसेक्स की तैयारी 18 हजार की ओर जाने की !
भारतीय शेयर बाजार के निवेशकों ने यदि पिछली मंदी के सबक से वाकई कुछ सीखा हो तो यह कहा जा सकता है ट्रेडिंग जोन में चल रहे बाजार में उन्होंने बीते चार महीनों में काफी कुछ कमाया होगा। यदि कुछ निवेशक यह मानते हैं कि उनके हाथ एक धैला भी नहीं लगा तो फिर उन्हें शेयर बाजार की एबीसीडी ठीक से सीखने की जरुरत है। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज का सेंसेक्स 18 हजार अंक के ऊपर पहुंचने की तैयारी में है और जिन निवेशकों को अब तक निराशा हाथ लगी हो वे अपना गणित ठीक कर लें ताकि यह न हो कि वे अपना बैंक बेलैंस बढ़ाने में फिर नाकामयाब हो जाए।
दलाल स्ट्रीट में मौजूदा तेजी के मद्देनजर एक बात साफ है कि यह पूरी तरह सटोरियों के नियंत्रण में है जिससे निवेशक अल्प अवधि के कारोबार पर ही ध्यान दें एवं मुनाफावसूली करते चले। यह समय लंबी अवधि के निवेश का नहीं है क्योंकि आर्थिक मोर्चे पर भारत सहित समूची दुनिया में कई बातें केवल पॉलिश कर पेश की जा रही है जिससे यह लगे कि सब कुछ चमक रहा है। अक्टूबर में हमारा औद्योगिक उत्पादन उम्मीद से अधिक बढ़कर 9.1 फीसदी रहा, सरकार ने भी एनटीपीसी, सेल और आरईसी सहित अनेक कंपनियों में अपनी विनिवेश योजना के प्रति कटिबद्धता दोहराई लेकिन हम निर्यात के मोर्चे पर अभी भी काफी पिछड़े हुए हैं। निर्यात में हम अपने प्रतिस्पर्धीयों से बेहतर स्थिति में नहीं है। साथ ही अमरीका एवं यूरोपीयन बाजारों की मांग के अभाव में निर्यात का 11.4 फीसदी घटना चिंता की बात है। इसके अलावा, जीवन के लिए जरुरी वस्तुओं का दिनों दिन महंगा होता जाना भी चिंता की बात है। सरकार इस बढ़ती महंगाई को रोकने के बजाय सट्टाखोरी को बढ़ावा देने में लगी है। चाहे शेयर बाजार का कारोबारी समय बढ़ाना हो या कमोडिटी के बढ़ते दामों पर अंकुश के तहत वायदा कारोबार को न रोकना हो। खाद्यान्नों के बारे में ऐसे ऐसे बयान दिए जा रहे हैं जो रोज इनके दाम भड़काने के लिए काफी है।
सरकार के पास गेहूं का भारी भरकम स्टॉक होने के बावजूद उसे जारी न करना, चीनी की कमी के बावजूद पिछले साल 40 लाख टन चीनी का निर्यात, दलहन का सही समय पर आयात न करना, दलहन-तिलहन के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए सही कदम न उठाना, ऐसी बाते हैं जिसने शेयर बाजार की तेजी में आम आदमी को आने से रोक रखा है और वह अपनी दैनिक जरुरतों को पूरा करने में संघर्ष कर रहा है। इस संघर्ष में उसकी बचत साफ हो रही है जो देश की अर्थव्यवस्था के लिए अच्छी नहीं है। अपने परिवार के भरण पोषण में जूझ रहा आम निवेशक शेयर बाजार में लौट नहीं पाया है जिससे साफ है कि मौजूदा तेजी सटोरियों द्धारा खड़ी की गई तेजी है। ऐसे में निवेशक शार्ट टर्म गेम खेलें तो ही अच्छा होगा एवं मुनाफावसूली करते चलें।
विदेशी संस्थागत निवेशकों ने शेयर बाजार में करेक्शन आने के अनुमान को धता बताकर नवंबर महीने के पहले पखवाड़े में 2800 करोड़ रुपए के शेयरों की शुद्ध खरीद की है। घरेलू संस्थागत निवेशकों का यह मानना था कि शेयर बाजार में एक बड़ा करेक्शन तय है लेकिन चालू कैलेंडर वर्ष में अब तक 72 हजार करोड़ रुपए की शुद्ध खरीद कर चुके विदेशी संस्थागत निवेशकों के हाथ में शेयर बाजार की चाबी जा चुकी है। अब कैलेंडर वर्ष का अंत नजदीक आ रहा है जिसकी वजह से भारत में निवेश और बड़ी तेजी की बातें जोर शोर से प्रचारित होगी। सभी ने शेयर बाजार में कमाया और मैं रह गया...इस नीति के तहत लोग ललाचाएंगे। निवेशक पूरी तरह सावधान रहें क्योंकि विदेशी संस्थागत निवेशक कभी भी हल्के होने के मूड में आ सकते हैं। शार्ट टर्म ट्रेडिंग से बेहतर इस समय कुछ नहीं क्योंकि यूरोप एवं अमरीका की स्थिति में सुधार रहता है तो ये निवेशक अपना पैसा अपने देश ले जाने में जरा भी नहीं झिझकेंगे।
16 नवंबर से शुरु हो रहे नए सप्ताह में बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) का सेंसेक्स 17277 से 16177 के बीच घूमता रहेगा। जबकि, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का निफ्टी 5122 से 4799 के बीच देखने को मिल सकता है।
सूरत कॉमर्शियल कार्पोरेशन, सूरत के तकनीकी विश्लेषक गोपाल मोदी का कहना है कि 16 नवंबर से शुरु हो नए सप्ताह के बेलैंस पाइंट 16635 की तुलना में पिछले सप्ताह का बंद स्तर 16848 काफी ऊंचा है। यह आरंभिक रुख तेजी का दिखा रहा है। संक्षेप में 16700 के स्टॉप लॉस के साथ सेंसेक्स के 16815 के ऊपर रहने पर तेजी। पहला रेसीसटेंस 17016 से 17106 का। 17106 के ऊपर बंद होने पर 17 हजार का स्टॉप लॉस रखते हुए 17397 से 17543 का दूसरा पड़ाव पार होने की संभावना है। यदि 16700 का स्तर टूटता है तो प्रत्याघाती गिरावट की संभावना जिसके तहत सेंसेक्स 16566 से 16455 अंक आ सकता है। बाजार में परिवर्तन की यह हवा 16455 के नीचे सेंसेक्स के बंद होने पर ही देखने को मिल सकती है।
वे कहते हैं कि तकनीकी तौर पर देखें तो सेंसेक्स अपने मार्च के बॉटम से जून महीने में टॉप बनाने के साथ केवल 23 से 33 फीसदी के बीच गिरा था और इसके बाद जून के टॉप से जुलाई के बॉटम से 161 फीसदी का सुधार देखने को मिला है। इसी तरह फिर से मार्च के बॉटम से मौजूदा अक्टूबर महीने के टॉप में 23 फीसदी की गिरावट देखने को मिली। अब प्रबल आशावाद के बीच सेंसेक्स के अक्टूबर के टॉप और हाल में बने बॉटम के 161 फीसदी यानी 18400 अंक पहुंचने की उम्मीद की जा सकती है।
तकनीकी विश्लेषक हितेंद्र वासुदेव का कहना है कि शेयर बाजार में पिछले सप्ताह 690 अंक का पुलबैक देखने को मिला लेकिन सवाल यह उठता है कि यह और कितना हो सकता अगले सप्ताह सेंसेक्स के सपोर्ट स्तर 16635-16360-16147 है, जबकि रेसीसटेंस 17123-17493-17735 है। बीएसई मिडकैप का रेसीसटेंस 6533-6710 होगा जबकि सपोर्ट 6250 पर होगा। 6250 के नीचे गिरने पर यह दो सप्ताह के निचले स्तर 5771 तक पहुंच सकता है। वासुदेव का कहना है कि पुल बैक रैली में निवेशक लांग पोजीशन से बाहर निकल जाएं।
निवेशक इस सप्ताह अपोलो हॉस्पिटल, व्हर्लपूल ऑफ इंडिया, वेबेल एसएल एनर्जी, शीपिंग कार्पोरेशन ऑफ इंडिया, आईडीएफसी, वोल्टास, धामपुर शुगर, गुजरात स्टेट पेट्रोनेट, यस बैंक, केपीआईटी क्युमिंस और रिलायंस कम्युनिकेशन के शेयरों पर ध्यान दे सकते हैं।
दलाल स्ट्रीट में मौजूदा तेजी के मद्देनजर एक बात साफ है कि यह पूरी तरह सटोरियों के नियंत्रण में है जिससे निवेशक अल्प अवधि के कारोबार पर ही ध्यान दें एवं मुनाफावसूली करते चले। यह समय लंबी अवधि के निवेश का नहीं है क्योंकि आर्थिक मोर्चे पर भारत सहित समूची दुनिया में कई बातें केवल पॉलिश कर पेश की जा रही है जिससे यह लगे कि सब कुछ चमक रहा है। अक्टूबर में हमारा औद्योगिक उत्पादन उम्मीद से अधिक बढ़कर 9.1 फीसदी रहा, सरकार ने भी एनटीपीसी, सेल और आरईसी सहित अनेक कंपनियों में अपनी विनिवेश योजना के प्रति कटिबद्धता दोहराई लेकिन हम निर्यात के मोर्चे पर अभी भी काफी पिछड़े हुए हैं। निर्यात में हम अपने प्रतिस्पर्धीयों से बेहतर स्थिति में नहीं है। साथ ही अमरीका एवं यूरोपीयन बाजारों की मांग के अभाव में निर्यात का 11.4 फीसदी घटना चिंता की बात है। इसके अलावा, जीवन के लिए जरुरी वस्तुओं का दिनों दिन महंगा होता जाना भी चिंता की बात है। सरकार इस बढ़ती महंगाई को रोकने के बजाय सट्टाखोरी को बढ़ावा देने में लगी है। चाहे शेयर बाजार का कारोबारी समय बढ़ाना हो या कमोडिटी के बढ़ते दामों पर अंकुश के तहत वायदा कारोबार को न रोकना हो। खाद्यान्नों के बारे में ऐसे ऐसे बयान दिए जा रहे हैं जो रोज इनके दाम भड़काने के लिए काफी है।
सरकार के पास गेहूं का भारी भरकम स्टॉक होने के बावजूद उसे जारी न करना, चीनी की कमी के बावजूद पिछले साल 40 लाख टन चीनी का निर्यात, दलहन का सही समय पर आयात न करना, दलहन-तिलहन के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए सही कदम न उठाना, ऐसी बाते हैं जिसने शेयर बाजार की तेजी में आम आदमी को आने से रोक रखा है और वह अपनी दैनिक जरुरतों को पूरा करने में संघर्ष कर रहा है। इस संघर्ष में उसकी बचत साफ हो रही है जो देश की अर्थव्यवस्था के लिए अच्छी नहीं है। अपने परिवार के भरण पोषण में जूझ रहा आम निवेशक शेयर बाजार में लौट नहीं पाया है जिससे साफ है कि मौजूदा तेजी सटोरियों द्धारा खड़ी की गई तेजी है। ऐसे में निवेशक शार्ट टर्म गेम खेलें तो ही अच्छा होगा एवं मुनाफावसूली करते चलें।
विदेशी संस्थागत निवेशकों ने शेयर बाजार में करेक्शन आने के अनुमान को धता बताकर नवंबर महीने के पहले पखवाड़े में 2800 करोड़ रुपए के शेयरों की शुद्ध खरीद की है। घरेलू संस्थागत निवेशकों का यह मानना था कि शेयर बाजार में एक बड़ा करेक्शन तय है लेकिन चालू कैलेंडर वर्ष में अब तक 72 हजार करोड़ रुपए की शुद्ध खरीद कर चुके विदेशी संस्थागत निवेशकों के हाथ में शेयर बाजार की चाबी जा चुकी है। अब कैलेंडर वर्ष का अंत नजदीक आ रहा है जिसकी वजह से भारत में निवेश और बड़ी तेजी की बातें जोर शोर से प्रचारित होगी। सभी ने शेयर बाजार में कमाया और मैं रह गया...इस नीति के तहत लोग ललाचाएंगे। निवेशक पूरी तरह सावधान रहें क्योंकि विदेशी संस्थागत निवेशक कभी भी हल्के होने के मूड में आ सकते हैं। शार्ट टर्म ट्रेडिंग से बेहतर इस समय कुछ नहीं क्योंकि यूरोप एवं अमरीका की स्थिति में सुधार रहता है तो ये निवेशक अपना पैसा अपने देश ले जाने में जरा भी नहीं झिझकेंगे।
16 नवंबर से शुरु हो रहे नए सप्ताह में बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) का सेंसेक्स 17277 से 16177 के बीच घूमता रहेगा। जबकि, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का निफ्टी 5122 से 4799 के बीच देखने को मिल सकता है।
सूरत कॉमर्शियल कार्पोरेशन, सूरत के तकनीकी विश्लेषक गोपाल मोदी का कहना है कि 16 नवंबर से शुरु हो नए सप्ताह के बेलैंस पाइंट 16635 की तुलना में पिछले सप्ताह का बंद स्तर 16848 काफी ऊंचा है। यह आरंभिक रुख तेजी का दिखा रहा है। संक्षेप में 16700 के स्टॉप लॉस के साथ सेंसेक्स के 16815 के ऊपर रहने पर तेजी। पहला रेसीसटेंस 17016 से 17106 का। 17106 के ऊपर बंद होने पर 17 हजार का स्टॉप लॉस रखते हुए 17397 से 17543 का दूसरा पड़ाव पार होने की संभावना है। यदि 16700 का स्तर टूटता है तो प्रत्याघाती गिरावट की संभावना जिसके तहत सेंसेक्स 16566 से 16455 अंक आ सकता है। बाजार में परिवर्तन की यह हवा 16455 के नीचे सेंसेक्स के बंद होने पर ही देखने को मिल सकती है।
वे कहते हैं कि तकनीकी तौर पर देखें तो सेंसेक्स अपने मार्च के बॉटम से जून महीने में टॉप बनाने के साथ केवल 23 से 33 फीसदी के बीच गिरा था और इसके बाद जून के टॉप से जुलाई के बॉटम से 161 फीसदी का सुधार देखने को मिला है। इसी तरह फिर से मार्च के बॉटम से मौजूदा अक्टूबर महीने के टॉप में 23 फीसदी की गिरावट देखने को मिली। अब प्रबल आशावाद के बीच सेंसेक्स के अक्टूबर के टॉप और हाल में बने बॉटम के 161 फीसदी यानी 18400 अंक पहुंचने की उम्मीद की जा सकती है।
तकनीकी विश्लेषक हितेंद्र वासुदेव का कहना है कि शेयर बाजार में पिछले सप्ताह 690 अंक का पुलबैक देखने को मिला लेकिन सवाल यह उठता है कि यह और कितना हो सकता अगले सप्ताह सेंसेक्स के सपोर्ट स्तर 16635-16360-16147 है, जबकि रेसीसटेंस 17123-17493-17735 है। बीएसई मिडकैप का रेसीसटेंस 6533-6710 होगा जबकि सपोर्ट 6250 पर होगा। 6250 के नीचे गिरने पर यह दो सप्ताह के निचले स्तर 5771 तक पहुंच सकता है। वासुदेव का कहना है कि पुल बैक रैली में निवेशक लांग पोजीशन से बाहर निकल जाएं।
निवेशक इस सप्ताह अपोलो हॉस्पिटल, व्हर्लपूल ऑफ इंडिया, वेबेल एसएल एनर्जी, शीपिंग कार्पोरेशन ऑफ इंडिया, आईडीएफसी, वोल्टास, धामपुर शुगर, गुजरात स्टेट पेट्रोनेट, यस बैंक, केपीआईटी क्युमिंस और रिलायंस कम्युनिकेशन के शेयरों पर ध्यान दे सकते हैं।
टिप्पणियाँ
@ अंशुमाल रस्तोगी जी .. देश के गरीबों का सूचकांक भी शेयर बाजार के साथ ही साथ बढ रहा है .. गरीबी रेखा के नीचे जीनेवालों की संख्या बढती जा रही है .. सचमुच किसी देश के लिए ये कितना हास्यास्पद है !!