एडवांस टैक्स के आंकड़ों पर दलाल स्ट्रीट की नजर
भारतीय शेयर बाजार इस समय एक दायरे में घूम रहा है। औद्योगिक उत्पादन अक्टूबर महीने में 10।3 फीसदी रहा लेकिन यह उम्मीद से कम आया जिससे बाजार का मूड पिछले सप्ताह के अंत में बिगड़ गया। औद्योगिक उत्पादन की दर 12.5 से 14.5 फीसदी आंकी जा रही थी लेकिन ऐसा न हुआ। दलाल स्ट्रीट की नजर अब कार्पोरेट घरानों द्धारा एडवांस टैक्स अदा करने पर लगी है। यदि ये आंकड़े काफी अच्छे आते हैं तो बाजार में बढि़या बढ़त देखने को मिल सकती है अन्यथा निराशा बाजार को और नीरस कर सकती है।
औद्योगिक उत्पादन में समूची दुनिया की नजर भारत और चीन पर लगी है लेकिन अक्टूबर महीने में हमारी औद्योगिक उत्पादन की दर उम्मीद के अनुरुप न आने से बाजार को निराशा हुई है। अक्टूबर का महीना इस बार त्यौहारों का भरपूर महीना था और ऐसे में औद्योगिक उत्पादन के आंकड़ों में उछाल न आना आने वाले दिनों के लिए अच्छा संकेत नहीं है। भारतीय कार्पोरेट जगत, सरकारी बैंकों और कंपनियों ने पिछली बार अग्रिम कर यानी एडवांस टैक्स से सरकार की तिजोरी भर दी थी लेकिन अब 15 दिसंबर को समाप्त हो रहे तीसरे सप्ताह के आखिरी दिन यह पता चलेगा कि अग्रिम कर के आंकड़ें कैसे रहे। औद्योगिक उत्पादन के आंकडे दहाई अंक में होने के बावजूद लोगों की खरीद शक्ति जिस तरह घटी है एवं निर्यात मोर्चे पर पतली हालत से इन आंकड़ों का गणित बिगड़ा हुआ आ सकता है। साथ ही तीसरी तिमाही के नतीजों की तैयारी कार्पोरेट जगत में चल रही है और इस बार कड़वे अनुभव भी सामने आ सकते हैं। दुबई संकट से अब भारत का खाड़ी देशों को होने वाला निर्यात भी प्रभावित होने की बातें सामने आ रही हैं। दुबई का आर्थिक संकट अभी पूरी तरह हल नहीं हुआ है। अमरीका और यूरोप भी महामंदी की छाया से बाहर नहीं निकल पाए हैं। इस वर्ष अमरीका में ही हर महीने तकरीबन 11 बैंक डूब रहे हैं। अमरीका और यूरोप की कई फर्मों के अब भी महामंदी के चपेट में आने की चर्चा है।
अमरीका का प्रयास एक बार फिर अपने को सर्वोपरि सिद्ध करने का चल रहा है। अमरीका अब चीन को अपना शत्रु के बजाय मित्र बनाकर अपनी अर्थव्यवस्था को दुरुस्त करने में लग गया है। अमरीका हर तरह से आने वाले दिनों में अमरीकी डॉलर का दुनिया में एक बार फिर डंका बजाने की पूरी पूरी कोशिश कर रहा है। अब तक अमरीका और यूरोप में निवेश पर प्रतिफल नगण्य मिलने से यहां के निवेशक भारत और चीन को पसंद कर रहे थे लेकिन आने वाले दिनों में भारतीय बाजार में विदेशी संस्थागत निवेशक अपनी रुचि घटा सकते हैं जिसका घरेलू शेयर बाजार पर बुरा असर देखने को मिल सकता है। डॉलर के मजबूत होने पर हैज फंड फिर से अमरीका, यूरोप का रास्ता पकड़ सकते हैं। भारत की ग्रोथ स्टोरी दीर्घकाल में बेहतर दिख रही हो लेकिन ये विदेशी निवेशक डॉलर के मजबूत होने पर थोड़े समय के लिए ही सही लेकिन भारतीय बाजार को बॉय बॉय कर सकते हैं।
कैलेंडर वर्ष का यह आखिरी महीना है यानी दिसंबर जिसमें फंड मैनेजर 15 दिसंबर के बाद शेयरों के वैल्यूएशन का गेम खेलते हैं। साल का अंत होने से हर फंड को अपने को आकर्षक प्रतिफल देने वाला बताना होता है और ये मैनेजर वैल्यूएशन के गेम में शेयरों के भाव इस तरह उच्च स्तर पर पहुंचने की कहानियां सुनाते हैं कि आम निवेशक शेयरों को खरीदने के लिए दौड़ पड़ते हैं ओर ये मैनेजर हर उछाल पर इन शेयरों से बाहर हो जाते हैं। फंड मैनेजरों की कहानियों में फंसने पर यह तय कर लें कि आप यह निवेश लंबे समय के लिए कर रहे हैं। यदि यह धैर्य न हो तो ऐसी कहानियों के मायाजाल में कतई न उलझे। निवेशक कुल मिलाकर पूरी तरह सावधान रहें अन्यथा आने वाले दिन फिर से थोड़े कड़वे हो सकते हैं। बेहतर होगा कि हर बढ़त पर आंशिक मुनाफावसूली कर नकद को बैंक खाते के हवाले करते जाएं।
14 दिसंबर से शुरु हो रहे नए सप्ताह में बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) का सेंसेक्स 17446 से 16759 के बीच घूमता रहेगा। जबकि, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का निफ्टी 5212 से 5006 के बीच देखने को मिल सकता है।
तकनीकी विश्लेषक हितेंद्र वासुदेव का कहना है कि निवेशकों के सावधान रहने का वक्त आ गया है क्योंकि स्मॉल कैप शेयर इस समय एक्शन में हैं। सेंसेक्स ने मध्य सितंबर 2009 से अभी तक रेसीसटेंस स्तर 17144-17735 को पार नहीं किया है। वे कहते हैं कि निवेशकों को सेंसेक्स के 17500-17750 आने पर लांग पोजीशन से निकल जाना चाहिए। स्टॉप लॉस 16900 का रखें, जबकि लांग पोजीशन पर स्टॉप लॉस 16100 का रखें। हर ऊपरी स्तर पर बिकवाली कर मुनाफावसूली के नियम को काम में लें।
तकनीकी विश्लेषक राजीव गुप्ता, इंदौर का कहना है कि 5117 पर स्थित निफ्टी को 5185 के स्तर पर पुन: जबरदस्त प्रतिरोध प्राप्त हुआ है और इस स्तर पर इसमें खासी चंचलता देखी गई। 5200 का प्रतिरोध अभी भी महत्वपूर्ण है। 5050 और 4800 के नीचे निफ्टी का जाना अच्छा संकेत नहीं होगा। 4500 के नीचे बाजार के बेहद खराब हो जाने की संभावना रहेगी।
निवेशक इस सप्ताह केएसबी पम्मप, फैडरल बैंक, प्रकाश इंडस्ट्रीज, प्राज इंडस्ट्रीज, आर्टसन इंजीनियरिंग, बलरामपुर चीनी एक्साइड इंडस्ट्रीज, कावेरी सीड, इंडसुइंड बैंक और देना बैंक के शेयरों पर ध्यान दे सकते हैं।
औद्योगिक उत्पादन में समूची दुनिया की नजर भारत और चीन पर लगी है लेकिन अक्टूबर महीने में हमारी औद्योगिक उत्पादन की दर उम्मीद के अनुरुप न आने से बाजार को निराशा हुई है। अक्टूबर का महीना इस बार त्यौहारों का भरपूर महीना था और ऐसे में औद्योगिक उत्पादन के आंकड़ों में उछाल न आना आने वाले दिनों के लिए अच्छा संकेत नहीं है। भारतीय कार्पोरेट जगत, सरकारी बैंकों और कंपनियों ने पिछली बार अग्रिम कर यानी एडवांस टैक्स से सरकार की तिजोरी भर दी थी लेकिन अब 15 दिसंबर को समाप्त हो रहे तीसरे सप्ताह के आखिरी दिन यह पता चलेगा कि अग्रिम कर के आंकड़ें कैसे रहे। औद्योगिक उत्पादन के आंकडे दहाई अंक में होने के बावजूद लोगों की खरीद शक्ति जिस तरह घटी है एवं निर्यात मोर्चे पर पतली हालत से इन आंकड़ों का गणित बिगड़ा हुआ आ सकता है। साथ ही तीसरी तिमाही के नतीजों की तैयारी कार्पोरेट जगत में चल रही है और इस बार कड़वे अनुभव भी सामने आ सकते हैं। दुबई संकट से अब भारत का खाड़ी देशों को होने वाला निर्यात भी प्रभावित होने की बातें सामने आ रही हैं। दुबई का आर्थिक संकट अभी पूरी तरह हल नहीं हुआ है। अमरीका और यूरोप भी महामंदी की छाया से बाहर नहीं निकल पाए हैं। इस वर्ष अमरीका में ही हर महीने तकरीबन 11 बैंक डूब रहे हैं। अमरीका और यूरोप की कई फर्मों के अब भी महामंदी के चपेट में आने की चर्चा है।
अमरीका का प्रयास एक बार फिर अपने को सर्वोपरि सिद्ध करने का चल रहा है। अमरीका अब चीन को अपना शत्रु के बजाय मित्र बनाकर अपनी अर्थव्यवस्था को दुरुस्त करने में लग गया है। अमरीका हर तरह से आने वाले दिनों में अमरीकी डॉलर का दुनिया में एक बार फिर डंका बजाने की पूरी पूरी कोशिश कर रहा है। अब तक अमरीका और यूरोप में निवेश पर प्रतिफल नगण्य मिलने से यहां के निवेशक भारत और चीन को पसंद कर रहे थे लेकिन आने वाले दिनों में भारतीय बाजार में विदेशी संस्थागत निवेशक अपनी रुचि घटा सकते हैं जिसका घरेलू शेयर बाजार पर बुरा असर देखने को मिल सकता है। डॉलर के मजबूत होने पर हैज फंड फिर से अमरीका, यूरोप का रास्ता पकड़ सकते हैं। भारत की ग्रोथ स्टोरी दीर्घकाल में बेहतर दिख रही हो लेकिन ये विदेशी निवेशक डॉलर के मजबूत होने पर थोड़े समय के लिए ही सही लेकिन भारतीय बाजार को बॉय बॉय कर सकते हैं।
कैलेंडर वर्ष का यह आखिरी महीना है यानी दिसंबर जिसमें फंड मैनेजर 15 दिसंबर के बाद शेयरों के वैल्यूएशन का गेम खेलते हैं। साल का अंत होने से हर फंड को अपने को आकर्षक प्रतिफल देने वाला बताना होता है और ये मैनेजर वैल्यूएशन के गेम में शेयरों के भाव इस तरह उच्च स्तर पर पहुंचने की कहानियां सुनाते हैं कि आम निवेशक शेयरों को खरीदने के लिए दौड़ पड़ते हैं ओर ये मैनेजर हर उछाल पर इन शेयरों से बाहर हो जाते हैं। फंड मैनेजरों की कहानियों में फंसने पर यह तय कर लें कि आप यह निवेश लंबे समय के लिए कर रहे हैं। यदि यह धैर्य न हो तो ऐसी कहानियों के मायाजाल में कतई न उलझे। निवेशक कुल मिलाकर पूरी तरह सावधान रहें अन्यथा आने वाले दिन फिर से थोड़े कड़वे हो सकते हैं। बेहतर होगा कि हर बढ़त पर आंशिक मुनाफावसूली कर नकद को बैंक खाते के हवाले करते जाएं।
14 दिसंबर से शुरु हो रहे नए सप्ताह में बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) का सेंसेक्स 17446 से 16759 के बीच घूमता रहेगा। जबकि, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का निफ्टी 5212 से 5006 के बीच देखने को मिल सकता है।
तकनीकी विश्लेषक हितेंद्र वासुदेव का कहना है कि निवेशकों के सावधान रहने का वक्त आ गया है क्योंकि स्मॉल कैप शेयर इस समय एक्शन में हैं। सेंसेक्स ने मध्य सितंबर 2009 से अभी तक रेसीसटेंस स्तर 17144-17735 को पार नहीं किया है। वे कहते हैं कि निवेशकों को सेंसेक्स के 17500-17750 आने पर लांग पोजीशन से निकल जाना चाहिए। स्टॉप लॉस 16900 का रखें, जबकि लांग पोजीशन पर स्टॉप लॉस 16100 का रखें। हर ऊपरी स्तर पर बिकवाली कर मुनाफावसूली के नियम को काम में लें।
तकनीकी विश्लेषक राजीव गुप्ता, इंदौर का कहना है कि 5117 पर स्थित निफ्टी को 5185 के स्तर पर पुन: जबरदस्त प्रतिरोध प्राप्त हुआ है और इस स्तर पर इसमें खासी चंचलता देखी गई। 5200 का प्रतिरोध अभी भी महत्वपूर्ण है। 5050 और 4800 के नीचे निफ्टी का जाना अच्छा संकेत नहीं होगा। 4500 के नीचे बाजार के बेहद खराब हो जाने की संभावना रहेगी।
निवेशक इस सप्ताह केएसबी पम्मप, फैडरल बैंक, प्रकाश इंडस्ट्रीज, प्राज इंडस्ट्रीज, आर्टसन इंजीनियरिंग, बलरामपुर चीनी एक्साइड इंडस्ट्रीज, कावेरी सीड, इंडसुइंड बैंक और देना बैंक के शेयरों पर ध्यान दे सकते हैं।
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