रियालिटी स्टॉक से रहें दूर
शेयर बाजार के निवेशकों को सलाह है कि वे रियालिटी स्टॉक से दूरी रखें। पीला सो सोना यदि आपने यह कहावत सुनी है तो यह जान लें कि जो वस्तु पीली दिखती है वह जरुरी नहीं है कि सोना हो। रियालिटी या कंसट्रक्शन क्षेत्र की उन्हीं कंपनियों में निवेश करें जो बरसों से शेयर बाजारों में सूचीबद्ध है या बेहतर काम कर रही हो। फंडामेंटल और प्रबंधन जानदार हो। भारतीय शेयर बाजार में वर्ष 1930 में बॉम्बे रिक्लेमेशन नामक कंपनी सूचीबद्ध थी जिसका भाव उस समय छह हजार रुपए प्रति शेयर बोला जा रहा था, जबकि लोगों का वेतन उस समय दस रुपए महीना होता था। कंपनी का दावा था कि वह समुद्र में से जमीन निकालेगी और मुंबई को विशाल से विशाल शहर में बदल देगी लेकिन हुआ क्या। कंपनी दिवालिया हो गई और लोगों को लगी बड़ी चोट। अब यह लगता है कि अनेक रियालिटी या कंसट्रक्शंस के नाम पर कुछ कंपनियां फिर से इतिहास दोहराने आ रही हैं। आप खुद सोचिए कि ऐसा क्या हुआ कि रातों रात ये कंपनियां जो अपने आप को करोड़ों रुपए की स्वामी बता रही हैं, आम निवेशक को अपना मुनाफा बांटने आ गईं। इस समय तो कई ऐसी कंपनियों के शेयरों का भाव उनके इश्यू प्राइस से नीचे चल रहा है और जो निवेशक रातों रात बड़ा मुनाफा काटने के चक्कर में थे, अब भाव इश्यू प्राइस तक आने की बाट जोह रहे हैं। प्रॉपर्टी में ऐसा क्या हुआ है कि भाव दिन दुगुने और रात चौगुने बढ़े हैं। क्या आम आदमी की खरीद शक्ति ब्याज दरों में तगड़ी बढ़ोतरी के बावजूद जोरदार ढंग से बढ़ रही है या फिर यह आर्टिफिशियल गेम है।
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