खो गया झु‍मरी तिलैया का सरगम


अगर आप रेडियो के श्रोता रहे हैं तो फरमाइशी गीतों के कार्यक्रमों में ‘झुमरी तिलैया’ का नाम अवश्‍य सुना होगा। 1950 से 1980 तक रेडियो से प्रसारित होने वाले फिल्‍मी गीतों के फरमाइशी कार्यक्रमों में शायद ही किसी गीत को सुनने के लिए झुमरी तिलैया के श्रोताओं ने फरमाइश न भेजी हो। हाल यह था कि हर किसी गीत के सुनने वाले श्रोताओं में झुमरी तिलैया का नाम कम से कम एक बार तो जरुर प्रसारित किया जाता था। इस तरह झुमरी तिलैया का नाम दिन में बार बार सुनने में आता था जिसके कारण रेडियो श्रोताओं में झुमरी तिलैया का नाम प्रसिद्ध हो गया था।

सही अर्थों में कहा जाए तो झुमरी तिलैया को विश्‍वविख्‍यात बनाने का श्रेय वहां के स्‍थानीय रेडियो श्रोताओं को जाता है जिनमें रामेश्‍वर प्रसाद वर्णवाल, गंगालाल मगधिया, कुलदीप सिंह आकाश, राजेंद्र प्रसाद, जगन्‍नाथ साहू, धर्मेंद्र कुमार जैन, पवन कुमार अग्रवाल, लखन साहू और हरेकृष्‍ण सिंह प्रेमी के नाम मुख्‍य हैं।

मुंबई से प्रकाशित धर्मयुग में वर्षों पहले छपे एक लेख में विष्‍णु खरे ने लिखा था कि उदघोषक अमीन सयानी को प्रसिद्ध बनाने में झुमरी तिलैया के रेडियो श्रोताओं में खासतौर पर रामेश्‍वर प्रसाद वर्णवाल का हाथ है।

बिहार में गया रेलवे स्‍टेशन के अगले स्‍टेशन कोडरमा के बाहरी क्षेत्र को झुमरी तिलैया के नाम से जाना जाता है। यह बिहार की राजधानी पटना से 200 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है जिसकी आबादी एक लाख के करीब होगी। यहां विश्‍वविख्‍यात अभ्रक की खानें हैं और यहां का कलाकंद भी प्रसिद्ध है। वर्णवाल के बारे में लोगों का कहना है कि उनकी पहली फरमाइश रेडियो सिलोन से पढ़ी गई थी। फिल्‍म ‘मुगले आजम’ का गीत ‘जब प्‍यार किया तो डरना क्‍या’ के लिए उन्‍होंने टेलीग्राम से फरमाइश भेजी थी। रेडियो सिलोन से अक्‍सर यह प्रसारण होता था कि आप ही के गीत कार्यक्रम में झुमरी तिलैया से रामेश्‍वर प्रसाद वर्णवाल ने ‘दो हंसों का जोड़ा बिछुड़ गयो रे, गजब भयो रामा जुलुम भयो रे’ फरमाइश की है। झुमरी तिलैया से गंगालाल मगधिया, कुलदीप सिंह ‘आकाश’, राजेंद्र प्रसाद, जगन्‍नाथ साहू, धर्मेंद्र कुमार जैन, पवन कुमार अग्रवाल, लखन साहू ने भी इसी गीत की फरमाइश की है।

रेडियो पर फरमाइश को लेकर कई अजूबे जुड़े हुए हैं। एक बार ऐसा हुआ कि आल इंडिया रेडियो पर गंगा जमुना फिल्‍म का गीत दो हंसो का जोड़ा बिछुड़ गयो रे बज रहा था। गीत समाप्‍त होने पर उदघोषक ने घोषणा की कि अभी अभी झुमरी तिलैया से रामेश्‍वर प्रसाद वर्णवाल का भेजा हुआ टेलीग्राम हमें प्राप्‍त हुआ है, जिसमें उन्‍होंने दो हंसों का जोड़ा सुनाने का अनुरोध किया है। अत: यह गीत हम आपको पुन: सुना रहे हैं। टीवी के व्‍यापक आगमन से पहले रेडियो के अलावा मनोरंजन का दूसरा साधन नहीं था। ग्रामोफोन प्‍लेयर बहुत कम लोगों के पास था।

फरमाइश भेजने वालों में हरेकृष्‍ण सिंह ‘प्रेमी’ कभी पीछे नहीं रहे। यह अलग बात है कि वे अपनी हरकतों व कथित प्रेमी होने के कारण हमेशा चर्चा में रहे। फरमाइशों में अपने नाम के बाद अपनी कथित प्रेमिका प्रिया जैन का नाम भी जोड़ा करते थे जिसके कारण वे प्रसिद्ध हुए। यह बात अलग है कि उनकी प्रिया जैन से शादी नहीं हुई।

एक और दिलचस्‍प बात यह है कि रेडियो पर फरमाइश भेजने वालों में आपसी होड़ इस हद तक बढ़ गई थी कि लोग एक दूसरे की डाक को गायब करवाने और रुकवाने के लिए डाक छांटने वाले कर्मचारियों को रुपए देते थे। तब कई गंभीर श्रोता फरमाइशी पत्रों को भेजने के लिए गया और पटना तक जाने लगे जिससे डाक खर्च भी बढ़ गया। उन दिनों इस तरह के पत्र पर कम से कम 25 से 35 रुपए खर्च होने लगे।

एक और दिलचस्‍प प्रकरण के तहत एक सज्‍जन फरमाइश भेजने वाली लड़की से उसका मनपसंद गीत सुनने के बाद उससे प्रेम करने लगे। वे उसके प्रेम में इस हद तक पागल हो गए कि जिस दिन उस लड़की की शादी हो रही थी वहां जा पहुंचे और हंगामा खड़ा कर दिया कि मैं इस लड़की से शादी करूंगा। खैर लोगों के बहुत समझाने बुझाने और माथापच्‍ची करने के बाद मामला शांत हुआ।

झुमरी तिलैया के संबंध में सबसे ज्‍यादा रोचक बात यह थी कि जिस किसी फिल्‍म के किसी गीत को सुनने के लिए झुमरी तिलैया के श्रोता अपनी फरमाइश भेजते थे उस फिल्‍म को और उस गीत को मुंबई फिल्‍म उद्योग के बॉक्‍स ऑफिस पर हिट माना जाता था। यह सिलसिला कई साल से खत्‍म हो गया है। निजी टीवी चैनलों और दूरदर्शन की मार से रेडियो श्रोता बहुत कम रह गए हैं, साथ ही झुमरी तिलैया का सरगम भी खो गया है। इस सरगम को पढ़ने के बाद विंडो बंद मत किजिए बल्कि दिल से अपनी टिप्‍पणी ब्‍लॉग को भेजिए।

टिप्पणियाँ

झुमरी तिलैया सुना बहुत था आज पता चला कि यह है कहां
बेनामी ने कहा…
wah kya baat hai, very interesting article reminds me of great radio time when i kept listening it regularly in afternoon and in night for famous hindi songs
SHASHI SINGH ने कहा…
आज चैनल वाले दर्शकों को जोड़ने का दंभ भरते हैं... पर क्या है कोई मुकाबला किसी का झुमरी तिलैया वालों से। रेडियो का ये हसीन चेहरा आप जैसा रेडियो से जुड़ा ही कोई बता सकता है। इस आलेख के लिए साधुवाद। अब चुंकि झुमरी तिलैया के 100 किलोमीटर के दायरे में ही मेरी भी जड़े हैं लिहाजा एक फरमाइश मेरी भी... अगली बार ऐसी बातें फौजी भाईयों के फरमाइश के बारे में जरूर बताइये...
चलते चलते ने कहा…
आपकी प्रतिक्रियाओं के लिए धन्‍यवाद। इस ब्‍लॉग से अपने मित्रों को भी परिचित कराएं। अपने सुझाव और शिकायतों को खुलकर लिखें ताकि सार्थक कार्य किया जा सके। सोमवार से शुक्रवार तक आर्थिक बातें करते करते थक जाने पर जरुरी है कि कुछ भूली बिसरी बातों को याद करें और कुछ ऐसा लिखें जो हमें अपनेपन को महसूस कराए। शशि सिंह जी आपने जो मांग की है, वह जल्‍दी ही पूरी होगी। हम फौजी भाईयों की फरमाइश के बारे में भी जरुर चर्चा करेंगे। जल्‍दी से अपने दोस्‍तों को इस लेख के बारे में बताएं और हमारा हौसला बढ़ाने के लिए एक अदद प्रतिक्रिया देने के लिए कहना न भूलें।
ravish kumar ने कहा…
अच्छा लगा पढ़ कर । कहां टेलिग्राम और कहां एसएमएस । आज का झूठा लगता है । मेरी भी फरमाइश है फौज़ी भाइयों के कार्यक्रम या हवामहल के बारे में कुछ लिखिये ।

रवीश
naisadak.blogspot.com

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