तु तो बड़ा चंचल, चितवन है रे........


बॉम्‍बे शेयर बाजार के पास एक होटल है...ललित। यह होटल शेयर बाजार के खिलाडि़यों, सटोरियों, निवेशकों, पंटरों, गेनर्स और लूजर्स सभी की फेवरिट होटल है। यह होटल अब तो काफी नए रंग रुप में है लेकिन जब पहले पुराने पैटर्न की थी तभी से....खासकर ‘ओपन क्रॉय’ के जमाने में तो यहां खूब धूम रहती थी। शाम को कारोबार बंद हो जाने के बाद भी यहां शेयरों का कारोबार होता रहता था, हालांकि यह वैद्य नहीं था यानी कर्ब सौदे होते थे। खैर यह तो बात हुई होटल की। लेकिन कल शाम यहां कुछ खिलाड़ी जुटे हुए थे और कह रहे थे कि यार मार्केट में काफी ‘फल्‍कचुएशन’ हो रहा है, तो एक कह रहा था खूब ‘चॉपी’ है। एक दिन बाजार बढ़ता है तो दूसरे दिन गिर जाता है, पता नहीं कब सुधरेगा, सारी कमाई चली गई। पता नहीं यह ग्रहण कब दूर होगा। आदि आदि। हम भी कूद पड़े इस बहस की जमात में। मजा तो आता ही है, गांव की पंचायत में कूदने का। पर ठहरे हिंदी वाले, सो सलीके से इस बहस में घूसने की कोशिश की। देखों भाईयों......बस इतना ही बोले की लोग गर्दनें तानकर देखने लगे..........यह कौन आ गया मुंबई में हमको भाई बोलने वाला। आपको पता ही होगा कि, यदि नहीं है तो जान लें कि मुंबई में भाई का मतलब गुंडों की फौज के आदमी को कहा जाता है। हमने गलती सुधारी और कहा मित्रों....बाजार में आप जो कह रहे हैं फल्‍कचुएशन और चॉपी तो हम इसे सुधारना चाहते हैं। यह तो बड़ा ‘चंचल और चितवन’ है..........कितना मधुर शब्‍द। यारों हिंदी में फल्‍कचुएशन और चॉपी की जगह एक बार बोलकर तो देखों चंचल और चितवन.......कितना मिठास लगेगा और फिर करो सौदे........सारे गम भूल जाओगे और पैसे लगाने की रौनक बढ़ जाएगी।

टिप्पणियाँ

बेनामी ने कहा…
yeh Blog vakai hamare jaise navsikiya logon ke liye kisi margdasak se kam nahi hain..

Ashish Maharishi

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