बेदम हुआ सीमेंट


सरकार की दखलंदाजी के बाद जब यह तय हुआ कि सीमेंट के दाम अगले एक साल तक नहीं बढ़ सकते तो इस क्षेत्र की कंपनियों में निवेश बेदम होता जा रहा है। साथ ही यदि सरकार किसी तरह की शुल्‍क कटौती करती है तो इसका लाभ भी सीमेंट उपभोक्‍ताओं को देना होगा। जहां बजट आते ही सीमेंट उत्‍पादकों ने प्रति बैग 12 रुपए बढ़ाने की घोषणा कर दी थी, वहीं अब सरकार की दखलंदाजी के बाद वे पीछे हट गए। इसे समूचे उद्योग जगत में एक नेगेटिव कदम के रुप में देखा जा रहा है, यही वजह है कि सीमेंट शेयर अब चाहकर भी नहीं बढ़ सकते, भले ही इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर सेक्‍टर को बढ़ावा दिया जाए। आम आदमी के लिए अपने घर का सपना तो पहले ही बैंकों ने ब्‍याज दरें बढ़ाकर तोड़ दिया है। सीमेंट उद्योग की इस टूटी दीवार का नतीजा यह है कि चाहे सीमेंट उत्‍पादन लागत बढ़ जाए लेकिन सीमेंट के दाम स्थिर रहेंगे जिससे इन कंपनियों का बढ़ता मुनाफा रुक जाएगा। अगले एक साल में ईंधन या माल भाड़े की दरें बढ़ती हैं तो यह इनके मुनाफे को बुरी तरह कम करने के लिए पर्याप्‍त हैं। सीमेंट कंपनियों की बात पर भरोसा करें तो बिजली और ईंधन के साथ माल भाड़ा में ही सीमेंट के उत्‍पादन की आधी से ज्‍यादा लागत रहती है। नए वित्‍त वर्ष में 140 लाख टन सीमेंट उत्‍पादन की अतिरिक्‍त क्षमता और जुड़ने एवं निर्यात में आई सुस्‍ती से भी सीमेंट उद्योग की दशा एक साल बाद भी ठीक ढंग से नहीं सुधरेगी। यहां हम सीमेंट की मांग और आपूर्ति को देखें तो चालू वित्‍त वर्ष में सीमेंट की प्रभावी क्षमता 1597 लाख टन है जो एक अप्रैल से चालू होने वाले नए वित्‍त वर्ष में 1732 लाख टन और वर्ष 2008/09 में 2137 लाख टन पहुंच जाएगी। सीमेंट की घरेलू खपत में सालाना दस फीसदी का इजाफा मान लें तो चालू वित्‍त वर्ष में यह 1491 लाख टन, अगले वित्‍त वर्ष में 1641 लाख टन और वर्ष 2008/09 में 1805 लाख टन रह सकती है। वर्ष 2008/09 में राष्‍ट्रमंडल खेलों के लिए पांच लाख टन और स्‍पेशल इकॉनामिक जोन यानी सेज के लिए 20 लाख टन सीमेंट की मांग निकल सकती है। निर्यात मांग भी देख लें इस वित्‍त वर्ष में यह 90 लाख टन, अगले वित्‍त वर्ष में 60 लाख टन और 2008/09 में भी 60 लाख टन रहने की संभावना है। सीमेंट उद्योग चालू वित्‍त वर्ष में जहां अपनी कुल उत्‍पादन क्षमता का 94.6 फीसदी हिस्सा उपयोग कर रहा है, वही यह अगले वित्‍त वर्ष में गिरकर 93.4 फीसदी और इसके बाद 83.4 फीसदी रह जाएगा। यानी अब सीमेंट शेयरों में निवेश को लेकर ज्‍यादा उत्‍साह में न आइए। बल्कि ऐसी कंपनियों को चुनें या उद्योग में निवेश करें जहां सरकार की इस तरह दखलंदाजी न हो।

टिप्पणियाँ

बेनामी ने कहा…
स्वागत एवं धन्यवाद.
पिछले पन्द्रह दिनों में तो बहुत कुछ गंवाया ही है.
वैसे आपकी राय में इस सप्ताह किन शेयरों में निवेश ठीक रहेगा?
धुरविरोधी
dhurvirodhi ने कहा…
पुनश्च: शुगर शेयरों पर आपकी क्या राय है? रेणुका शुगर पिछले तीन माह से गिरता रहा हैं और कुछ पिछले सप्ताह हल्का संभला हैं. इन्हें बचाये रखें या बेंच दें?
धुरविरोधी
चलते चलते ने कहा…
आपके संदेश के लिए धन्‍यवाद। यदि आपने इस ब्‍लॉग पर मीठा जहर ! पढ़ी है तो आपको पता चला होगा कि शुगर शेयर अब फायदे के नहीं हैं। मेरी राय में शुगर स्‍टॉक में निवेश करना सही निर्णय नहीं है। इन शेयरों से निकल जाएं और उन कंपनियों की ओर मुड़े जहां बेहतर रिटर्न मिलेंगे। बेहतर कंपनियों की सूची इस ब्‍लॉग पर समय समय पर आने वाली स्‍टोरी में रहती है।

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