सिकंदर का मुकद्दर गरवारे ऑफशोर
अब तक तो आपने सुना होगा मुकद्दर का सिकंदर....लेकिन सिकंदर ने तो खुद अपना मुकद्दर बनाया था। इसीलिए हम चाहते हैं कि आप भी मुकद्दर के सिकंदर के बजाय एक सिकंदर के रुप में अपना मुकद्दर खुद बनाएं। बात जब मालदार बनने की आती है तो निवेश के साधनों की खूब चर्चा होती है कि कहां ब्याज ज्यादा मिलेगा या कहां निवेश बढ़ने की गारंटी अथवा कहां रुपए दुगुने हो सकते हैं। देश की मालदार कंपनियों की बात करने की अपनी श्रृंखला में आज हम बात करेंगे एक ऐसी ही कंपनी की जिसके शेयर का दाम देखते देखते काफी बढ़ा और इसमें आगे भी भरपूर संभावनाएं मौजूद हैं। कंपनी है गरवारे ऑफशोर सर्विसेज लिमिटेड। एक जमाने में गरवारे शीपिंग के नाम से प्रसिद्ध इस कंपनी की स्थापना स्वर्गीय बी डी गरवारे ने की थी, जो कि गरवारे समूह के संस्थापक थे। जनरल कार्गो वेसलस के कारोबार से जुड़ी इस कंपनी ने 1998 में शीपिंग कारोबार को छोड़ अपना विविधीकरण खासे आकर्षक कारोबार ऑफशोर सप्लाई वेसलस की ओर किया। इस कंपनी ने 1983/84 में सिंगापुर में पांच एएचटीएसवी बनाए और उन्हें ओएनजीसी की सेवा में सौंप दिया। अप्रैल 2005 में इनमें से एक एएचटीएसवी को बेच दिया गया, जबकि चार अभी भी ओएनजीसी की सेवा में हैं। जनवरी 2006 में कंपनी का नाम बदलकर गरवारे ऑफशोर सर्विसेज लिमिटेड किया गया।
ऑफशोर सप्लाई वेसलस में अनेक तरह के वेसलस होते हैं मसलन मल्टी स्पोर्ट वेसल यानी एमएसवी, एंकर हैंडलिंग टग्स कम सप्लाई वेसलस यानी एएचटीएसवी, प्लेटफॉर्म स्पोर्ट वेसलस यानी पीएसवी आदि। सप्लाई वेसलस अनेक स्पोर्ट फंकशंस जैसे क्रू एवं इक्विपमेंट ट्रांसपोर्टेशन आदि से लेकर ऑयल ड्रिलिंग रिग्स व प्राडक्शन प्लेटफॉर्म तक की सेवाएं देते हैं। सप्लाई वेसलस में पर्याप्त पूंजी निवेश की जरुरत होती है। सप्लाई वेसलस को तेल व गैस कंपनियां भाड़े पर लेती हैं और सप्लाई वेसलस कंपनियों को तेल व गैस उत्पादकों से पैसा मिलता है। तेल की कीमतें तेजी से जहां आसमान छू रही हैं वहीं समूची दुनिया में तेल उत्पादन की क्षमता तीन दशक पहले वाली ही है, जो कम महसूस की जा रही है। इस समय तेल खोज से जुड़ी परियोजनाओं पर आक्रामक रुप से काम हो रहा है। वर्ष 2006/2010 तक 260 अरब अमरीकी डॉलर से ज्यादा राशि अकेले ऑफशोर ड्रिलिंग पर खर्च होगी। तेल एक्सप्लोरेशन की बढ़ती गतिविधियों की वजह से अनेक ऑपरेटरों ने ऑफशोर स्पोर्ट वेसलस की उपलब्धता के लिए दीर्घकालीन करार कर लिए हैं जिससे वर्ष 2009 तक शीपयार्ड पूरी तरह बुक हैं।
गरवारे ऑफशोर 1500 लाख डॉलर के पूंजीगत खर्च से अपना विस्तार करने जा रही है जिससे इसका फील्ट आकार दुगुना होकर 13 विसलस हो जाएगा। इस कंपनी को तेल खोज और उत्पादन के क्षेत्र में आ रहे तगड़े निवेश का खूब लाभ होगा। नए वेसलस के आने से कंपनी का हायर स्पेस वेसलस में प्रवेश होगा और यह डिपवॉटर एक्सप्लोरेशन ड्रिलिंग गतिविधियां की ओर मुड़ने से होगा, जहां काफी तगड़ी मांग है। हमारा अनुमान है कि वर्ष 2007 में गरवारे ऑफशोर सर्विसेज की शुद्ध बिक्री 98.61 करोड़ रुपए और शुद्ध लाभ 29.06 करोड़ रुपए रहेगा। प्रति शेयर आय यानी ईपीएस 12.2 रुपए रहने का अनुमान है। वर्ष 2008 में कंपनी की शुद्ध बिक्री 162 करोड़ रुपए, शुद्ध लाभ 48 करोड़ रुपए और प्रति शेयर आय 20.3 रुपए रहने की संभावना है। वर्ष 2009 में शुद्ध बिक्री 231 करोड़ रूपए, शुद्ध मुनाफा 74 करोड़ रुपए और ईपीएस 30.9 रुपए रहने के आसार हैं।
भारत में भी तेल खोज और उत्पादन की तस्वीर अलग नहीं है। देश में क्रूड तेल की घरेलू आपूर्ति केवल 27 फीसदी तक सीमित है, जबकि शेष मांग को आयात के माध्यम से पूरा किया जाता है। वर्ष 2025 तक देश में तेल की सालाना मांग के 3640 लाख टन पहुंच जाने का अनुमान है। तेल का हमारा सालाना आयात बिल जो इस समय 18 अरब अमरीकी डॉलर है, के उस समय तेल की बढ़ती कीमतों के मद्देनजर अकल्पनीय ऊंचाई तक पहुंच जाने का अनुमान है। दस फीसदी की आर्थिक विकास दर को पाने के लिए तेल का घरेलू उत्पादन बढ़ाना जरुरी है। क्रूड के दाम में हर दस अमरीकी डॉलर की बढ़ोतरी होने पर जीडीपी पर डेढ़ फीसदी का दबाव बढ़ता है। भारत में न्यू एक्सप्लोरेशन एंड लाइसेंसिंग पॉलिसी के तहत इस क्षेत्र को बढ़ावा दिया जा रहा है, जिससे भारत में भी इस क्षेत्र में तेजी से निवेश बढ़ता जा रहा है। गरवारे ऑफशोर सर्विसेज लिमिटेड का शेयर इस समय 215 रुपए पर मिल रहा है। हमारा अनुमान है कि इसका भाव जल्दी ही 290 रुपए के स्तर के पार कर जाएगा। पिछले 52 सप्ताह में इसका उच्चतम भाव 300 रुपए और निम्नतम दाम 67 रुपए था।
ऑफशोर सप्लाई वेसलस में अनेक तरह के वेसलस होते हैं मसलन मल्टी स्पोर्ट वेसल यानी एमएसवी, एंकर हैंडलिंग टग्स कम सप्लाई वेसलस यानी एएचटीएसवी, प्लेटफॉर्म स्पोर्ट वेसलस यानी पीएसवी आदि। सप्लाई वेसलस अनेक स्पोर्ट फंकशंस जैसे क्रू एवं इक्विपमेंट ट्रांसपोर्टेशन आदि से लेकर ऑयल ड्रिलिंग रिग्स व प्राडक्शन प्लेटफॉर्म तक की सेवाएं देते हैं। सप्लाई वेसलस में पर्याप्त पूंजी निवेश की जरुरत होती है। सप्लाई वेसलस को तेल व गैस कंपनियां भाड़े पर लेती हैं और सप्लाई वेसलस कंपनियों को तेल व गैस उत्पादकों से पैसा मिलता है। तेल की कीमतें तेजी से जहां आसमान छू रही हैं वहीं समूची दुनिया में तेल उत्पादन की क्षमता तीन दशक पहले वाली ही है, जो कम महसूस की जा रही है। इस समय तेल खोज से जुड़ी परियोजनाओं पर आक्रामक रुप से काम हो रहा है। वर्ष 2006/2010 तक 260 अरब अमरीकी डॉलर से ज्यादा राशि अकेले ऑफशोर ड्रिलिंग पर खर्च होगी। तेल एक्सप्लोरेशन की बढ़ती गतिविधियों की वजह से अनेक ऑपरेटरों ने ऑफशोर स्पोर्ट वेसलस की उपलब्धता के लिए दीर्घकालीन करार कर लिए हैं जिससे वर्ष 2009 तक शीपयार्ड पूरी तरह बुक हैं।
गरवारे ऑफशोर 1500 लाख डॉलर के पूंजीगत खर्च से अपना विस्तार करने जा रही है जिससे इसका फील्ट आकार दुगुना होकर 13 विसलस हो जाएगा। इस कंपनी को तेल खोज और उत्पादन के क्षेत्र में आ रहे तगड़े निवेश का खूब लाभ होगा। नए वेसलस के आने से कंपनी का हायर स्पेस वेसलस में प्रवेश होगा और यह डिपवॉटर एक्सप्लोरेशन ड्रिलिंग गतिविधियां की ओर मुड़ने से होगा, जहां काफी तगड़ी मांग है। हमारा अनुमान है कि वर्ष 2007 में गरवारे ऑफशोर सर्विसेज की शुद्ध बिक्री 98.61 करोड़ रुपए और शुद्ध लाभ 29.06 करोड़ रुपए रहेगा। प्रति शेयर आय यानी ईपीएस 12.2 रुपए रहने का अनुमान है। वर्ष 2008 में कंपनी की शुद्ध बिक्री 162 करोड़ रुपए, शुद्ध लाभ 48 करोड़ रुपए और प्रति शेयर आय 20.3 रुपए रहने की संभावना है। वर्ष 2009 में शुद्ध बिक्री 231 करोड़ रूपए, शुद्ध मुनाफा 74 करोड़ रुपए और ईपीएस 30.9 रुपए रहने के आसार हैं।
भारत में भी तेल खोज और उत्पादन की तस्वीर अलग नहीं है। देश में क्रूड तेल की घरेलू आपूर्ति केवल 27 फीसदी तक सीमित है, जबकि शेष मांग को आयात के माध्यम से पूरा किया जाता है। वर्ष 2025 तक देश में तेल की सालाना मांग के 3640 लाख टन पहुंच जाने का अनुमान है। तेल का हमारा सालाना आयात बिल जो इस समय 18 अरब अमरीकी डॉलर है, के उस समय तेल की बढ़ती कीमतों के मद्देनजर अकल्पनीय ऊंचाई तक पहुंच जाने का अनुमान है। दस फीसदी की आर्थिक विकास दर को पाने के लिए तेल का घरेलू उत्पादन बढ़ाना जरुरी है। क्रूड के दाम में हर दस अमरीकी डॉलर की बढ़ोतरी होने पर जीडीपी पर डेढ़ फीसदी का दबाव बढ़ता है। भारत में न्यू एक्सप्लोरेशन एंड लाइसेंसिंग पॉलिसी के तहत इस क्षेत्र को बढ़ावा दिया जा रहा है, जिससे भारत में भी इस क्षेत्र में तेजी से निवेश बढ़ता जा रहा है। गरवारे ऑफशोर सर्विसेज लिमिटेड का शेयर इस समय 215 रुपए पर मिल रहा है। हमारा अनुमान है कि इसका भाव जल्दी ही 290 रुपए के स्तर के पार कर जाएगा। पिछले 52 सप्ताह में इसका उच्चतम भाव 300 रुपए और निम्नतम दाम 67 रुपए था।
टिप्पणियाँ
Pichle kuch dino se aapke blog ka niyamit pathak hoo.
Share bazar aur nivesh jaise savendaNsheel aur peNcheeda muddo per aapki rai aur who bhee Hindi me bahut upyogee aur sarthak hai.
Vishes roop se es post ke jaisa company ka vishleshaN bahut sarahNiya hai aur Nivesh ke nirNay ko tark-sangat banane me sahyogee hai.
Long term nivesh wale stocks ke liye aapki salah ka intzaar rahega.
-Sukesh