संगम इंडिया में पैसे का संगम
टैक्सटाइल फैब्रिक निर्माता कंपनी अरुण सिंथेटिक्स प्रा। लिमिटेड के नाम से 1984 में शुरू हुई कंपनी को अब संगम इंडिया लिमिटेड के नाम से जाना जाता है। आज यह कंपनी पीवी डायड यानी पॉलिएस्टर विस्कॉस यार्न के 20 फीसदी से अधिक बाजार हिस्से पर इस कंपनी का कब्जा है। कंपनी इंटीग्रेटेड टैक्सटाइल खिलाड़ी है और इसके पास स्पिनिंग, वीविंग और प्रोसेसिंग की सुविधाएं भी हैं। सिंथेटिक्स ब्लैंडेड फैब्रिक के क्षेत्र में संगम व अनमोल ब्रांड के साथ यह सबसे मजबूत खिलाड़ी मानी जाती है। इस कंपनी के देश भर में सौ डीलर और एक हजार रिटेलर हैं। इसके मुख्य ग्राहकों में रिलायंस, बीएसएल, एस कुमार्स, रीड एंड टेलर, सियाराम और ग्रासिम हैं। संगम इंडिया अपने उत्पाद 30 से ज्यादा देशों को निर्यात करती है जिनमें टर्की, बेल्जियम, स्पेन और मध्य पूर्व देश हैं।
राजस्थान के भीलवाड़ा कस्बे में इसकी उत्पादन सुविधाएं लगी हुई हैं जिनमें स्पिनिंग, वीविंग और प्रोसेसिंग शामिल हैं। कंपनी का मुख्य उत्पाद पीवी डायड यार्न है जिसमें तीन हजार से अधिक रंग हैं। यह पीवी यार्न, कॉटन यार्न और फैब्रिक्स का भी उत्पादन करती है। कंपनी की कुल बिक्री में यार्न की हिस्सेदारी लगभग 68 फीसदी और फैब्रिक्स की भागीदारी 28 फीसदी है। संगम इंडिया सात अरब रुपए से अपना विस्तार कर रही है जो इसे घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजार में अपने विकास के अधिक अवसर देगी। इस विस्तार राशि में से बीते वित्त वर्ष में तकरीबन 4.7 अरब रुपए खर्च किए जा चुके हैं। शेष राशि चालू वित्त वर्ष में निवेश की जाएगी। विस्तार के बाद कंपनी की क्षमता में इस तरह बढ़ोतरी होगी : यार्न 21 हजार टन से बढ़कर 62600 टन, वीविंग 120 लाख टन से 320 लाख टन और प्रोसेसिंग 280 लाख टन से 430 लाख टन।
कंपनी ने अपने विस्तार के लिए जो राशि जुटाई उसमें से 5.3 अरब रुपए का आवधिक कर्ज, एक अरब रुपए इक्विटी और शेष राशि आंतरिक संसाधनों से जुटाई गई। कंपनी को सरकार के टैक्सटाइल अपग्रेडेशन फंड यानी टीयूएफ के तहत पांच फीसदी की ब्याज सब्सिडी मिली है। टीयूएफ के तहत लाभ उठाने वाली यह पहली कंपनी है और यह समय पर अपनी विस्तार रणनीति को पूरा कर रही है। कंपनी के पास दस मेगावाट का कोयला आधारित बिजली संयंत्र हैं, जबकि छह और 15 मेगावाट के दो और संयंत्र लगा रही है जिनके इस महीने के अंत तक पूरा होने की उम्मीद है।
तकरीबन 45 अरब अमरीकी डॉलर का भारतीय वस्त्र उद्योग अर्थव्यवस्था के विकास में मुख्य भूमिका निभा रहा है और देश की सकल विकास दर यानी जीडीपी में पांच फीसदी, औद्योगिक उत्पादन में 14 फीसदी और निर्यात आय में 21 फीसदी हिस्सेदारी बनी हुई है। इस उद्योग ने 350 लाख लोगों को रोजगार दे रखा है। चीन के बाद कॉटन, यार्न और फैब्रिक उत्पादन में भारत दूसरे स्थान पर है। पांच सौ अरब अमरीकी डॉलर के वैश्विक टैक्सटाइल कारोबार में भारत की भागीदारी 3.5 फीसदी है। वर्ष 2010 तक इस कारोबार के 650 अरब अमरीकी डॉलर पहुंचने की उम्मीद है। इस बढ़ोतरी के साथ भारत के हिस्से में भी इजाफा होगा।
सरकार का इरादा घरेलू टैक्सटाइल उद्योग को बढ़ावा देने के लिए 1350 अरब रुपए निवेश करने का है। संगम इंडिया को 1.3 अरब रुपए के ऑर्डर मिले हुए हैं जो इसके निर्यात विकास में भूमिका निभाएंगे। निर्यात आय जो वर्ष 2005 में 41.7 करोड़ रूपए थी वह वर्ष 2007 में 1.7 अरब रुपए पहुंच गई। वर्ष 2007/2009 के दौरान कंपनी की सालाना औसत विकास दर आय में 35 फीसदी और शुद्ध लाभ में 59 फीसदी रहने की उम्मीद है। वित्त वर्ष 2007/08 में कंपनी की बिक्री 750 करोड़ रूपए, शुद्ध लाभ 42 करोड़ रूपए रहने की उम्मीद है। जबकि वर्ष 2008/09 में एक हजार करोड़ रूपए की बिक्री और शुद्ध लाभ 68 करोड़ रूपए होने की संभावना है। संगम इंडिया का शेयर इस समय 66 रुपए के करीब चल रहा है जिसके अगले छह महीनों में 90/95 रुपए पहुंचने की आस है।
राजस्थान के भीलवाड़ा कस्बे में इसकी उत्पादन सुविधाएं लगी हुई हैं जिनमें स्पिनिंग, वीविंग और प्रोसेसिंग शामिल हैं। कंपनी का मुख्य उत्पाद पीवी डायड यार्न है जिसमें तीन हजार से अधिक रंग हैं। यह पीवी यार्न, कॉटन यार्न और फैब्रिक्स का भी उत्पादन करती है। कंपनी की कुल बिक्री में यार्न की हिस्सेदारी लगभग 68 फीसदी और फैब्रिक्स की भागीदारी 28 फीसदी है। संगम इंडिया सात अरब रुपए से अपना विस्तार कर रही है जो इसे घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजार में अपने विकास के अधिक अवसर देगी। इस विस्तार राशि में से बीते वित्त वर्ष में तकरीबन 4.7 अरब रुपए खर्च किए जा चुके हैं। शेष राशि चालू वित्त वर्ष में निवेश की जाएगी। विस्तार के बाद कंपनी की क्षमता में इस तरह बढ़ोतरी होगी : यार्न 21 हजार टन से बढ़कर 62600 टन, वीविंग 120 लाख टन से 320 लाख टन और प्रोसेसिंग 280 लाख टन से 430 लाख टन।
कंपनी ने अपने विस्तार के लिए जो राशि जुटाई उसमें से 5.3 अरब रुपए का आवधिक कर्ज, एक अरब रुपए इक्विटी और शेष राशि आंतरिक संसाधनों से जुटाई गई। कंपनी को सरकार के टैक्सटाइल अपग्रेडेशन फंड यानी टीयूएफ के तहत पांच फीसदी की ब्याज सब्सिडी मिली है। टीयूएफ के तहत लाभ उठाने वाली यह पहली कंपनी है और यह समय पर अपनी विस्तार रणनीति को पूरा कर रही है। कंपनी के पास दस मेगावाट का कोयला आधारित बिजली संयंत्र हैं, जबकि छह और 15 मेगावाट के दो और संयंत्र लगा रही है जिनके इस महीने के अंत तक पूरा होने की उम्मीद है।
तकरीबन 45 अरब अमरीकी डॉलर का भारतीय वस्त्र उद्योग अर्थव्यवस्था के विकास में मुख्य भूमिका निभा रहा है और देश की सकल विकास दर यानी जीडीपी में पांच फीसदी, औद्योगिक उत्पादन में 14 फीसदी और निर्यात आय में 21 फीसदी हिस्सेदारी बनी हुई है। इस उद्योग ने 350 लाख लोगों को रोजगार दे रखा है। चीन के बाद कॉटन, यार्न और फैब्रिक उत्पादन में भारत दूसरे स्थान पर है। पांच सौ अरब अमरीकी डॉलर के वैश्विक टैक्सटाइल कारोबार में भारत की भागीदारी 3.5 फीसदी है। वर्ष 2010 तक इस कारोबार के 650 अरब अमरीकी डॉलर पहुंचने की उम्मीद है। इस बढ़ोतरी के साथ भारत के हिस्से में भी इजाफा होगा।
सरकार का इरादा घरेलू टैक्सटाइल उद्योग को बढ़ावा देने के लिए 1350 अरब रुपए निवेश करने का है। संगम इंडिया को 1.3 अरब रुपए के ऑर्डर मिले हुए हैं जो इसके निर्यात विकास में भूमिका निभाएंगे। निर्यात आय जो वर्ष 2005 में 41.7 करोड़ रूपए थी वह वर्ष 2007 में 1.7 अरब रुपए पहुंच गई। वर्ष 2007/2009 के दौरान कंपनी की सालाना औसत विकास दर आय में 35 फीसदी और शुद्ध लाभ में 59 फीसदी रहने की उम्मीद है। वित्त वर्ष 2007/08 में कंपनी की बिक्री 750 करोड़ रूपए, शुद्ध लाभ 42 करोड़ रूपए रहने की उम्मीद है। जबकि वर्ष 2008/09 में एक हजार करोड़ रूपए की बिक्री और शुद्ध लाभ 68 करोड़ रूपए होने की संभावना है। संगम इंडिया का शेयर इस समय 66 रुपए के करीब चल रहा है जिसके अगले छह महीनों में 90/95 रुपए पहुंचने की आस है।
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