एसएमएस पढ़ने के लिए मिलता है पैसा
अपने मोबाइल पर आने वाले बेतहाशा प्रमोशनल एसएमएस की वजह से आप भी परेशान होंगे। आजकल मोबाइल मार्केटिंग का यह नया ट्रेंड शुरू हो गया है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि कुछ उपभोक्ता ऐसे भी हैं, जो इन एसएमएस के जरिए पैसा भी कमा रहे हैं?
मोबाइल की घंटी बजते ही आपको पता चला कि एसएमएस आया है। आपने उतावलेपन में उसे फटाफट खोलकर देखा, लेकिन खोलते ही पता चला कि यह एक विज्ञापन था। अब आपका पारा सातवें आसमान पर चढ़ा हुआ है, लेकिन जरा रुकिए जनाब। क्या आप यह जानते हैं कि इन्हीं एसएमएस के जरिए आप खुद इतना पैसा कमा सकते हैं कि कम से कम अपने महीनेभर का मोबाइल बिल तो आराम से चुका ही दें।
वैसे यह बात उन लोगों के लिए नई नहीं होगी, जो इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं। असल में इंटरनेट पर ईमेल पढ़ने के लिए भी पैसे दिए जाते हैं। इसमें यूजर को बस अपना नेटवर्क ज्यादा से ज्यादा बड़ा बनाना होता है। जितना बड़ा नेटवर्क होगा, यानी यूजर जितने फ्रेंड्स बनाएगा, वह उतने पैसे कमा सकेगा। ऐसी ही एक सर्विस का इस्तेमाल कर रहे आशुतोष गुप्ता कहते हैं, 'मैं ऐसी एक साइट से काफी पैसे कमा चुका हूं। तीन महीने पहले मैंने ये साइट जॉइन की थी। इससे मुझे इतने पैसे तो मिल ही जाते हैं कि मैं कॉलर ट्यून और रिंगटोंस को डाउनलोड करने का खर्चा निकाल लेता हूं। वैसे मुझे औसतन एक एड पढ़ने के कम से कम 5 पैसे तो मिल ही जाते हैं। कुछ साइट तो इसके लिए 20 पैसे तक देती हैं।
इस सिस्टम की सफलता को देखते हुए अब ज्यादा से ज्यादा एडवरटाइजर्स इसका इस्तेमाल करने लगे हैं। विज्ञापनदाताओं के लिए यह सिस्टम वाकई फायदेमंद साबित हो रहा है। उनके मुताबिक इस सिस्टम से वे अपने टार्गेट ऑडियंस तक बहुत आसानी से पहुंच जाते हैं। यह सिस्टम उनके लिए भी फायदेमंद है, जो विज्ञापन पढ़ना पसंद करते हैं। आखिर विज्ञापन पढ़ने पर उन्हें पैसा जो मिल जाता है। इस बारे में स्टूडेंट निखिल सिंह कहते हैं, 'हर रोज पता नहीं कितने प्रमोशनल मैसेज हमारे मोबाइल में आते रहते हैं। अगर इनसे परेशान होने के बजाय इनसे कमाई की जा सके, तो इसमें बुरा क्या है। मैसेज पढ़ने के लिए मुझे पैसे मिलते हैं। इससे मेरा काफी खर्च निकल आता है। वैसे इस सिस्टम में बारे में ज्यादातर लोगों को पता नहीं है। जिन्हें पता लगता है, उनमें से ज्यादातर इसे फ्रॉड समझकर इसके लिए रजिस्टर ही नहीं करते।'
इस सिस्टम का फायदा सिर्फ आर्थिक रूप से ही नहीं, बल्कि सामाजिक रूप से भी उठाया जा सकता है। इसे विज्ञापन का नया तरीका मानकर सोशल वर्क से जुडे़ मैसेज भी पास किए जा सकते हैं। सोशल साइंस की स्टूडेंट सपना मुखर्जी कहती हैं, 'यह सिस्टम न सिर्फ कॉरपोरेट एड के लिए फायदेमंद है, बल्कि इसका फायदा सामाजिक उद्देश्यों के लिए भी उठाया जा सकता है। इसका सबसे बड़ा फायदा यह है कि यह सिस्टम किसी भी मैसेज को तुरंत अपने टार्गेट तक पहुंचा देता है।'
दिलचस्प बात यह है कि इस सिस्टम में टेलिकॉम कंपनियों की दखलंदाजी नहीं होती। एक टेलिकॉम कंपनी के मार्केटिंग हेड सूर्यप्रकाश सोनी कहते हैं, 'मैंने इस तरह की साइट्स के बारे में सुना तो है, लेकिन अभी तक इनमें से देखा किसी को नहीं है। ये साइट अपना काम अपने आप ही करती हैं और यूजर से सीधे जुड़ी होती हैं।' एक वेबसाइट को चलाने वाले चैतन्य इस बारे में कहते हैं, 'असल में हम बिचौलियों की तरह काम करते हैं। विज्ञापन देने वाला हमसे इस तरह के एसएमएस मांगने वालों का डेटा मांगता है और हम उन्हें यह डेटा उपलब्ध कराने की एवज में पैसा मांगते हैं। यह पैसा फिर आगे उन एसएमएस प्राप्त करने वाले लोगों में बांट दिया जाता है, जो इन्हें पढ़ना चाहते हैं। इस तरह विज्ञापनदाता का मैसेज उन्हीं हाथों में पहुंचता है, जो इसे चाहते हैं और फिर यूजर को सूचना मिलने के साथ-साथ पैसा भी मिलता है। इस तरह यह सिस्टम सभी के लिए फायदेमंद है।' इस साइट को चलाने के उद्देश्य के बारे में चैतन्य कहते हैं, 'इस समय मोबाइल यूजर्स की पर्सनल इनफॉर्मेशन गैरकानूनी तरीके से विज्ञापनदाताओं को दे दी जाती है। इसके एवज में विज्ञापनदाता गुपचुप तरीके से ऐसी इनफॉर्मेशन देने वाले को कुछ पैसा दे देते हैं। यहां हमारी तरह की बाकी वेबवाइट्स इस अनैतिक डेटा ट्रांसफर पर लगाम लगाने का काम करती हैं।' (नवभारत टाइम्स से साभार)
मोबाइल की घंटी बजते ही आपको पता चला कि एसएमएस आया है। आपने उतावलेपन में उसे फटाफट खोलकर देखा, लेकिन खोलते ही पता चला कि यह एक विज्ञापन था। अब आपका पारा सातवें आसमान पर चढ़ा हुआ है, लेकिन जरा रुकिए जनाब। क्या आप यह जानते हैं कि इन्हीं एसएमएस के जरिए आप खुद इतना पैसा कमा सकते हैं कि कम से कम अपने महीनेभर का मोबाइल बिल तो आराम से चुका ही दें।
वैसे यह बात उन लोगों के लिए नई नहीं होगी, जो इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं। असल में इंटरनेट पर ईमेल पढ़ने के लिए भी पैसे दिए जाते हैं। इसमें यूजर को बस अपना नेटवर्क ज्यादा से ज्यादा बड़ा बनाना होता है। जितना बड़ा नेटवर्क होगा, यानी यूजर जितने फ्रेंड्स बनाएगा, वह उतने पैसे कमा सकेगा। ऐसी ही एक सर्विस का इस्तेमाल कर रहे आशुतोष गुप्ता कहते हैं, 'मैं ऐसी एक साइट से काफी पैसे कमा चुका हूं। तीन महीने पहले मैंने ये साइट जॉइन की थी। इससे मुझे इतने पैसे तो मिल ही जाते हैं कि मैं कॉलर ट्यून और रिंगटोंस को डाउनलोड करने का खर्चा निकाल लेता हूं। वैसे मुझे औसतन एक एड पढ़ने के कम से कम 5 पैसे तो मिल ही जाते हैं। कुछ साइट तो इसके लिए 20 पैसे तक देती हैं।
इस सिस्टम की सफलता को देखते हुए अब ज्यादा से ज्यादा एडवरटाइजर्स इसका इस्तेमाल करने लगे हैं। विज्ञापनदाताओं के लिए यह सिस्टम वाकई फायदेमंद साबित हो रहा है। उनके मुताबिक इस सिस्टम से वे अपने टार्गेट ऑडियंस तक बहुत आसानी से पहुंच जाते हैं। यह सिस्टम उनके लिए भी फायदेमंद है, जो विज्ञापन पढ़ना पसंद करते हैं। आखिर विज्ञापन पढ़ने पर उन्हें पैसा जो मिल जाता है। इस बारे में स्टूडेंट निखिल सिंह कहते हैं, 'हर रोज पता नहीं कितने प्रमोशनल मैसेज हमारे मोबाइल में आते रहते हैं। अगर इनसे परेशान होने के बजाय इनसे कमाई की जा सके, तो इसमें बुरा क्या है। मैसेज पढ़ने के लिए मुझे पैसे मिलते हैं। इससे मेरा काफी खर्च निकल आता है। वैसे इस सिस्टम में बारे में ज्यादातर लोगों को पता नहीं है। जिन्हें पता लगता है, उनमें से ज्यादातर इसे फ्रॉड समझकर इसके लिए रजिस्टर ही नहीं करते।'
इस सिस्टम का फायदा सिर्फ आर्थिक रूप से ही नहीं, बल्कि सामाजिक रूप से भी उठाया जा सकता है। इसे विज्ञापन का नया तरीका मानकर सोशल वर्क से जुडे़ मैसेज भी पास किए जा सकते हैं। सोशल साइंस की स्टूडेंट सपना मुखर्जी कहती हैं, 'यह सिस्टम न सिर्फ कॉरपोरेट एड के लिए फायदेमंद है, बल्कि इसका फायदा सामाजिक उद्देश्यों के लिए भी उठाया जा सकता है। इसका सबसे बड़ा फायदा यह है कि यह सिस्टम किसी भी मैसेज को तुरंत अपने टार्गेट तक पहुंचा देता है।'
दिलचस्प बात यह है कि इस सिस्टम में टेलिकॉम कंपनियों की दखलंदाजी नहीं होती। एक टेलिकॉम कंपनी के मार्केटिंग हेड सूर्यप्रकाश सोनी कहते हैं, 'मैंने इस तरह की साइट्स के बारे में सुना तो है, लेकिन अभी तक इनमें से देखा किसी को नहीं है। ये साइट अपना काम अपने आप ही करती हैं और यूजर से सीधे जुड़ी होती हैं।' एक वेबसाइट को चलाने वाले चैतन्य इस बारे में कहते हैं, 'असल में हम बिचौलियों की तरह काम करते हैं। विज्ञापन देने वाला हमसे इस तरह के एसएमएस मांगने वालों का डेटा मांगता है और हम उन्हें यह डेटा उपलब्ध कराने की एवज में पैसा मांगते हैं। यह पैसा फिर आगे उन एसएमएस प्राप्त करने वाले लोगों में बांट दिया जाता है, जो इन्हें पढ़ना चाहते हैं। इस तरह विज्ञापनदाता का मैसेज उन्हीं हाथों में पहुंचता है, जो इसे चाहते हैं और फिर यूजर को सूचना मिलने के साथ-साथ पैसा भी मिलता है। इस तरह यह सिस्टम सभी के लिए फायदेमंद है।' इस साइट को चलाने के उद्देश्य के बारे में चैतन्य कहते हैं, 'इस समय मोबाइल यूजर्स की पर्सनल इनफॉर्मेशन गैरकानूनी तरीके से विज्ञापनदाताओं को दे दी जाती है। इसके एवज में विज्ञापनदाता गुपचुप तरीके से ऐसी इनफॉर्मेशन देने वाले को कुछ पैसा दे देते हैं। यहां हमारी तरह की बाकी वेबवाइट्स इस अनैतिक डेटा ट्रांसफर पर लगाम लगाने का काम करती हैं।' (नवभारत टाइम्स से साभार)
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