रिलांयस 10 रुपए और डॉ. रेड्डी सात रुपए में !
शेयर बाजार में आई ताजा तेज गिरावट ने अधिकतर निवेशकों को पूरी तरह हिलाकर रख दिया। कुछ निवेशक तो इस कदर साफ हो गए कि अब वे शायद ही आपको शेयर बाजार में फिर कभी दिखाई दे और कुछ अब अपना पैसा निकालकर बाहर हो जाएंगे क्योंकि वे मानते हैं कि यहां लगने वाले झटके जमकर हिला देते हैं। हालांकि, एक बात सामने जरुर आई है कि हमारी अर्थव्यवस्था बुनियादी तौर पर मजबूत है और ताजा गिरावट बीते दिनों की बात बन जाएगी एवं जल्दी ही शेयर बाजार नई ऊंचाई की तरफ बढ़ेगा।
हिंदू समूह के बिजनैसलाइन अखबार में आज एक ऐसी ही मजेदार स्टोरी है। जिसमें मद्रास स्टॉक एक्सचेंज के पूर्व ब्रोकर महेंद्र शाह ने अपने अनुभव बताए हैं। वाह मनी के पाठक भी इस स्टोरी का आनंद लें। शाह कहते हैं कि उनके पास रिलायंस इंडस्ट्रीज के आईपीओ में मिले तीन सौ शेयर आज तक हैं, जो उन्हें प्रति शेयर दस रुपए की कीमत पर मिले थे। जबकि डॉ. रेड्डी के का हर शेयर तो उन्हें अपने इश्यू भाव से भी कम यानी सात रुपए पर मिला था। लेकिन आज इन दोनों कंपनियों के शेयर आसमान पर हैं। इतने वर्षों में राइट, बोनस और लाभांश मिला सो अलग। शेयर बाजार में तीन दशक का अनुभव रखने वाले शाह कहते हैं कि मैं तेजी में हूं और मौजूदा मंदी समाप्त हो जाएगी। यदि आपके पास पेसे हैं तो सीधी सी बात है शेयर खरीदें। लेकिन बुनियादी रुप से मजबूत मसलन एल एंड टी, भेल, इंफोसिस या टीसीएस जैसी कंपनियों के शेयर खरीदें। वे कहते हैं कि जब लोग बाजार में पैसा कमाते हैं तो वे पार्टियों और बैठकों में जाते हैं, मजे करते हैं लेकिन जब पैसे गवांते हैं तो होंठ बंद कर लेते हैं।
शाह को बाजार में भरोसा है। रिलायंस के संस्थापक धीरुभाई अंबानी से रिलायंस इंडस्ट्रीज के आईपीओ के समय हुई मुलाकात को वे आज तक नहीं भूल पाए हैं। उनकी धीरुभाई से 1976 में चेन्नई में मुलाकात हुई थी। जब धीरुभाई अपने बेटे मुकेश के साथ चेन्नई में रिलायंस इंडस्ट्रीज के आईपीओ का ऑडियो-विजुअल प्रस्तुतिकरण कर रहे थे। इस मीटिंग में शाह अकेले गुजराती ब्रोकर थे। वे कहते हैं कि धीरुभाई ने लगभग मेरे पैर छू लिए थे, जबकि मैं मुश्किल से 27 वर्ष का था। धीरुभाई ने मुझे मीटिंग में आने के लिए धन्यवाद दिया और मुझे विमल का एक पैंटपीस और मेरी पत्नी के लिए विमल साड़ी दी। उन्होंने कहा कि अपने क्लायंटों को रिलायंस इंडस्ट्रीज के आईपीओ में पैसा लगाने के लिए कहना। मैं मेहनती हूं, सज्जन व्यक्ति हूं और जनता के पैसे का खूब ख्याल रखूंगा। उन्हें बताना कि हम खूब मेहनती हैं और उन्हें अच्छा लाभांश देंगे एवं हमारे साथ उनका पैसा बढ़ेगा। शाह के क्लायंटों ने इस आईपीओ में निवेश किया। खुद शाह को रिलायंस के तीन सौ शेयर मिले जो आज भी उनके पास हैं।
शाह दूसरी रोचक बात बताते हैं कि डॉ. रेड्डी लैबोरेटरीज के आईपीओ में ब्रोकर पैसा लगाने के लिए तैयार नहीं थे। ज्यादातर की राय थी कि इस कंपनी का अध्यक्ष तो एक वैज्ञानिक है और कारोबार के बारे में क्या जानता होगा। ब्रोकरों ने शेयर की कीमत नौ, आठ और सात रुपए बतानी शुरु की। खुद शाह को डॉ. रेड्डी के शेयर उसके इश्यू प्राइस से कम यानी सात रुपए में मिले जो आज भी उनके पास है। शेयर बाजार में ऐसी सफलता उन्हीं के हाथ लगती है जिनमें शाह जैसा धैर्य और दूरदर्शिता होती है।
हिंदू समूह के बिजनैसलाइन अखबार में आज एक ऐसी ही मजेदार स्टोरी है। जिसमें मद्रास स्टॉक एक्सचेंज के पूर्व ब्रोकर महेंद्र शाह ने अपने अनुभव बताए हैं। वाह मनी के पाठक भी इस स्टोरी का आनंद लें। शाह कहते हैं कि उनके पास रिलायंस इंडस्ट्रीज के आईपीओ में मिले तीन सौ शेयर आज तक हैं, जो उन्हें प्रति शेयर दस रुपए की कीमत पर मिले थे। जबकि डॉ. रेड्डी के का हर शेयर तो उन्हें अपने इश्यू भाव से भी कम यानी सात रुपए पर मिला था। लेकिन आज इन दोनों कंपनियों के शेयर आसमान पर हैं। इतने वर्षों में राइट, बोनस और लाभांश मिला सो अलग। शेयर बाजार में तीन दशक का अनुभव रखने वाले शाह कहते हैं कि मैं तेजी में हूं और मौजूदा मंदी समाप्त हो जाएगी। यदि आपके पास पेसे हैं तो सीधी सी बात है शेयर खरीदें। लेकिन बुनियादी रुप से मजबूत मसलन एल एंड टी, भेल, इंफोसिस या टीसीएस जैसी कंपनियों के शेयर खरीदें। वे कहते हैं कि जब लोग बाजार में पैसा कमाते हैं तो वे पार्टियों और बैठकों में जाते हैं, मजे करते हैं लेकिन जब पैसे गवांते हैं तो होंठ बंद कर लेते हैं।
शाह को बाजार में भरोसा है। रिलायंस के संस्थापक धीरुभाई अंबानी से रिलायंस इंडस्ट्रीज के आईपीओ के समय हुई मुलाकात को वे आज तक नहीं भूल पाए हैं। उनकी धीरुभाई से 1976 में चेन्नई में मुलाकात हुई थी। जब धीरुभाई अपने बेटे मुकेश के साथ चेन्नई में रिलायंस इंडस्ट्रीज के आईपीओ का ऑडियो-विजुअल प्रस्तुतिकरण कर रहे थे। इस मीटिंग में शाह अकेले गुजराती ब्रोकर थे। वे कहते हैं कि धीरुभाई ने लगभग मेरे पैर छू लिए थे, जबकि मैं मुश्किल से 27 वर्ष का था। धीरुभाई ने मुझे मीटिंग में आने के लिए धन्यवाद दिया और मुझे विमल का एक पैंटपीस और मेरी पत्नी के लिए विमल साड़ी दी। उन्होंने कहा कि अपने क्लायंटों को रिलायंस इंडस्ट्रीज के आईपीओ में पैसा लगाने के लिए कहना। मैं मेहनती हूं, सज्जन व्यक्ति हूं और जनता के पैसे का खूब ख्याल रखूंगा। उन्हें बताना कि हम खूब मेहनती हैं और उन्हें अच्छा लाभांश देंगे एवं हमारे साथ उनका पैसा बढ़ेगा। शाह के क्लायंटों ने इस आईपीओ में निवेश किया। खुद शाह को रिलायंस के तीन सौ शेयर मिले जो आज भी उनके पास हैं।
शाह दूसरी रोचक बात बताते हैं कि डॉ. रेड्डी लैबोरेटरीज के आईपीओ में ब्रोकर पैसा लगाने के लिए तैयार नहीं थे। ज्यादातर की राय थी कि इस कंपनी का अध्यक्ष तो एक वैज्ञानिक है और कारोबार के बारे में क्या जानता होगा। ब्रोकरों ने शेयर की कीमत नौ, आठ और सात रुपए बतानी शुरु की। खुद शाह को डॉ. रेड्डी के शेयर उसके इश्यू प्राइस से कम यानी सात रुपए में मिले जो आज भी उनके पास है। शेयर बाजार में ऐसी सफलता उन्हीं के हाथ लगती है जिनमें शाह जैसा धैर्य और दूरदर्शिता होती है।
टिप्पणियाँ
स्कूल/कालेज टाइम में, मेने और मेरे लंगोटिया दोस्त ने अपने पैसे बचा-बचाकर, आधे आधे पैसे मिलाकर रिलायंस के आईपीओ मे इन्वेस्ट किया था। आज भी वे शेयर मौजूद है, हमारी दोस्ती की निशानी के रुप में, हम लोग शायद ये शेयर, ताउम्र ना बेंचें।
कुछ शेयरों से अपनेपन का नाता हो जाता है, रिलायंस कुछ ऐसा ही शेयर है। धीरूभाई और उनके बच्चों पर जनता का विश्वास हमेशा बना रहा है और आगे भी बना रहेगा।
बांध भी लेते हैं
हम खरीदते
और बेचते हैं
लोग तो शेयरों
से बंध जाते हैं
हम अपने हाथ
नहीं बांध पाते हैं
कुछ की ज़िन्दगी
शेयर होती है
कुछ खुद से
भी शेयर नहीं होते.
शेयर शेयर होते हैं
जान लो या दो
जान नहीं होते.