डर पर हावी लालच

भारतीय शेयर बाजारों में इस समय जो उथल पुथल मची है उसका आम निवेशक कोई कारण नहीं ढूंढ पा रहा है। हर कोई विश्‍लेषक यह कह रहा है कि बाजार में गिरावट की कोई वजह नहीं है। यह ऊपरी स्‍तर पर मुनाफा वसूली आने से छाई नरमी है। इक्विटी बाजार के बड़े बड़े धुरंधरों ने यह जो वजह बताई है वह अपने में सही है लेकिन क्‍या आप जानते हैं कि अब आम निवेशक का लालच बढ़ता जा रहा है और उसे यह डर कतई नहीं सता रहा कि शेयर बाजार में गिरावट आएगी। यही स्थिति रही तो आने वाले दिनों में निवेशक यह तक कह सकते हैं कि गिरावट या करेक्‍शन....यह क्‍या बला होती है।

भारतीय निवेशक यह मान चुके थे कि नवंबर और दिसंबर 2007 में विदेशी संस्‍थागत निवेशक काफी बिकवाली कर चुके हैं और आगे जाकर वे ऐसा नहीं करेंगे। बल्कि जनवरी में उन्‍हें निवेश के लिए जो नया पैसा मिलेगा, उसे भारतीय शेयर बाजार में हर भाव पर झौंक देंगे। इसी लालच में भारतीय निवेशकों ने हर बेहतर, अच्‍छी और घटिया कंपनियों के शेयर खरीदें। बाजार में केवल एक ही शोर था....लाओं...लाओं.....पकड़ लो। जनवरी में विदेशी संस्‍थागत निवेशक नया पैसा लेकर आ रहे हैं उन्‍हें ऊंचे में टिका देना। चांदी ही चांदी...ऐसा चांस फिर नहीं मिलेगा कि दिसंबर में शेयर खरीदें और जनवरी में मुनाफा। हर कोई दौड़ रहा था....बगैर होमवर्क किए...हर किसी कंपनी के शेयर खरीदने। कई निवेशकों से बात होती है तो पता चलता है कि जिस कंपनी का नाम लोगों ने ढंग से सुना भी नहीं होगा या जिसका दस रुपए वाला शेयर 50 पैसे चल रहा होगा ऐसी ऐरा गैरा नत्‍थू खैरा कंपनी में आगे बड़ी कमाई के लालच में हजारों शेयर खरीद लिए हैं। ऐसे निवेशकों में से चंद ही नसीब वाले होते हैं जो कुछ कमा पाते हैं बाकी का मरना तय है, यह जान लें।

कंपनी के फंडामेंटल और उसका अतीत व भविष्‍य जाने बगैर पैसा कमाने के लालच ने निवेशकों को अंधा कर दिया है। यह स्‍पष्‍ट जान लें कि विदेशी संस्‍थागत निवेशक मूर्ख नहीं है जितना हम उन्‍हें समझ रहे हैं। भारतीय शेयर बाजार को घरेलू संस्‍थागत निवेशक, म्‍युच्‍यूअल फंड और निवेशक नहीं चला पाते क्‍योंकि विदेशी संस्‍थागत निवेशकों के पास पैसे की जबरदस्‍त ताकत है जो किसी भी तकनीकी विश्‍लेषण और फंडामेंटल को एक बार फेल कर सकते हैं। एक बात हर निवेशक के दिमाग में साफ हो जानी चाहिए कि हमारे शेयर बाजार पर विदेशी संस्‍थागत निवेशक ही हावी हैं और वे जो चाहेंगे वही होगा। आम निवेशक को केवल बाजार की ट्रेंड लाइन के हिसाब से खरीद और बिक्री करनी चाहिए और जो मुनाफा हाथ लग रहा है उसे बटोरते रहना चाहिए।

जब विदेशी संस्‍थागत निवेशक एक उद्योग के शेयरों से निकलकर दूसरे की ओर मुड़े मसलन पावर शेयरों से निकलकर सीमेंट, बैंक, इंफ्रा आदि में पोजीशन लेने लगे तो आम निवेशक को भी यही करना चाहिए तभी थोड़ा अच्‍छा पैसा कमाया जा सकता है। यह नहीं कि चल रहे हैं पावर सेक्‍टर के शेयर और खरीद रहे हैं सीमेंट के, जहां सरकारी बयानबाजी के अलावा मांग के अभाव से कंपनियां जूझ रही हों। हां, यदि बात लांग टर्म की है जिसे एक महीना नहीं बल्कि दो से चार साल मानें तो बात अलग है और ऐसे निवेश के साथ्‍ा बने रहने में कोई तकलीफ नहीं आएगी।

निवेशक गलती यह कर रहे हैं कि शार्ट टर्म अवधि दो दिन की, मीडियम टर्म एक सप्‍ताह और लांग टर्म 15 दिन को मानकर चल रहे हैं। हर निवेशक हर घंटे रुपए की बरसात चाहता है। ऐसा लालच इस समय ज्‍यादातर निवेशकों के दिमाग पर हावी हो चुका है और गिरावट का डर पूरी तरह से निकल गया है जो भविष्‍य के लिए उचित नहीं है, भले शेयर बाजार में अगले पांच साल तेजी के हों। लालच मारता है और डर मुनाफा देता है इसे गांठ बांध लें। हम यह नहीं कह रहे कि आप अपना पोर्टफोलियो बेच दें लेकिन जब अपने निवेश पर 30 फीसदी मुनाफा मिल रहा हो तो आंशिक बिकवाली कर इसे बटोर लें। ऐसा न हो कि पूरी रोटी के चक्‍कर में आधी भी हाथ से निकल जाए। आज जो मुनाफा आपकी जेब में आ रहा है वह कल किसी और का हो सकता है। तो फिर देर किसी बात की...लालच को हावी न होने दें और उचित निर्णय लेने में खुद सक्षम बनें बनिस्‍बत दूसरे के दिमाग पर निर्भर रहने के।

टिप्पणियाँ

वाह गुरू क्या सही बात की है.
Ashish Maharishi ने कहा…
माया बड़ी ठगनी है जनाब, जिस दिन बाजार गिरेगा उस दिन अच्‍छों अच्‍छों की हवा निकल जाएगी, ऐसे में तो बस मुनाफावसूली किजीए
सेंसेक्स ऊपर,पर शेयर नीचे
क्या कहानी, कौन है पीछे
शेयर बाजार का सच्चा चित्र
कमल मेरे तेरे हैं सबके मित्र
बतला रहे हैं लालच का कमाल
छोटे होते जा रहे सबके रूमाल
Rajesh Roshan ने कहा…
सौदा का एक पुराना नियम है, जरा गौर से सुने. पछताओ लेकिन बेच के पछताओ रख के मत पछताओ
कमलजी आपने बात बिल्कुल सही की है कि निवेशक अब लालची हो गया है, जो भी निवेशक २ दिन में ही अपना पैसा दोगुना करना चाहता है वही शेयर मार्केट को बदनाम करते हैं कि यहाँ केवल घाटा होता है व शेयर बाजार में तो सब डूब जाते हैं वो निवेशक नहीं वो जुआरी है। परंतु अगर आप दीर्घ अवधि निवेशक हैं तो घबराने की कोई बात नहीं बाजार के शेयरों की बयार में न बहें, निवेश करने के पहले कंपनी का आंकलन खुद करें । जैसे हम बैंक में एफ़.डी. करवाते हैं और ५-१० साल के लिये भूल जाते हैं वैसे ही शेयर मार्केट में करें । वही सफ़ल निवेशक है ।
Anita kumar ने कहा…
बात तो आप ने एक्दम सही कही है, धन्यवाद हमें भी चेताने के लिए
Vinod Kumar Purohit ने कहा…
कमलजी, आपने सही चेताया है। एक बात मैं भी कहना चाहूंगा कि शेयर बाजर में प्रवेश पाने के कोई हिम्तत की आवशकता नहीं होती है लेकिन एक बार प्रवेश पाने के बाद इसमें से लाभ या हानि कमाकर पुन: बाहर निकलने के लिए जबरर्दस्त हिम्मत की जरूरत होती है। आपने पूर्व में भी लिखा था कि जो मुनाफा आज आपकी जेब में है वह कल किसी अन्य की जेब में था व परसों अन्य किसी की जेब में होगा। चेताने के लिए साधुवाद
Jitendra Chaudhary ने कहा…
शेयर बाजार मे जिसने लालच पर काबू पाया, वो ही यहाँ सफ़ल हो सकता है।

सोमवार को क्या करा रहे हो प्रभु?

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