छोटा कांट्रैक्ट, बड़ा नॉनसेंस
भारतीय शेयर बाजार में आज जो तूफानी गिरावट आई उसमें क्या बड़ा और क्या छोटा, कोई भी निवेशक समझ पाता, संभल पाता, पूरी तरह साफ हो गया। हालांकि, शेयर बाजार में अंत में नरमी कुछ कम पड़ी, कई कंपनियों के शेयरों में लगा उल्टा सर्किट खुला लेकिन अभी मुसीबत कम नहीं हुई है। विदेशी संस्थागत निवेशक अपने पूरे घाटे को भारतीय शेयर बाजार से पूरा करने में लगे हैं क्योंकि यहां उन्होंने कौडि़यों के मोल जो शेयर खरीदे थे वे उन्हें खासा मुनाफा दे रहे हैं। भारतीय शेयर बाजार में आज एक दिन में निवेशकों को 6.64 लाख करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है।
वाह मनी ने हमेशा से दो बातें निवेशकों के सामने रखीं। पहली-शेयर बाजार में मुनाफा अपनी जेब में लेते चले। यानी ऊंचे भाव पर बिकवाली और निचले भाव पर खरीद। जो मुनाफा आज आप की जेब में जा रहा है वह कल किसी और का हो सकता है। दूसरी-भूलकर भी फ्यूचर एंड ऑप्शन यानी एफएंडओ मत खेलो। देश्ा के शेयर बाजारों में आम निवेशक जो बड़े कांट्रैक्ट की सीमा से परे जा चुके थे, को लालच में लपेटने के लिए छोटे कांट्रैक्ट जारी किए। आम निवेशक इनमें फंसे और जल्द से जल्द करोड़पति बनने के लालच में फंसकर छोटे कांट्रैक्ट खेलने लगे। लेकिन बड़े सेंस के साथ नहीं बल्कि नॉनसेंस बनकर। आज जो भी शेयर बाजार में हुआ, उसके पीछे विदेशी संस्थागत निवेशकों की बिकवाली और आम निवेशक का परिपक्व न होना है। वाह मनी लंबे समय से कह रहा है कि मुनाफा लेते चले और तभी कारोबार करें। जिन्होंने भी इस सलाह पर अमल किया वह निश्चित रुप से गेनर होगा।
भारतीय शेयर बाजार में आज आई गिरावट को आखिरी नहीं मान लेना चाहिए। इसमें अभी और गुंजाइश है। सुधार के भरोसे जल्दबाजी में नए शेयर नहीं खरीदे बल्कि हर ऐसी बड़ी गिरावट को बेहतर स्टॉक खरीदने का मौका मानें। हम निवेशकों से फिर कहना चाहेंगे कि वे शेयर छोटी छोटी मात्रा में खरीदें और आपको बेहतर प्राइस के लिए कम से कम तीन महीना इंतजार करना पड़ सकता है लेकिन धैर्यवान ही विजेता होंगे। जो निवेशक एफएंडओ खेल रहे हैं और बाहर से ब्याज पर पैसा लेकर शेयर बाजार में लगा रहे हैं वे ही साफ हुए हैं और उनके बुरे दिन अभी खत्म नहीं हुए हैं। डिलीवरी आधारित कारोबार करने वाले फलेंगे। वाह मनी अपनी बात पर फिर कायम हैं कि दिवाली 2008 से पहले बीएसई सेंसेक्स 25 हजार अंक नहीं पहुंचेगा।
वाह मनी केवल एक ब्लॉग है लेकिन हमने अपनी बात हमेशा ईमानदारी के साथ रखी। जबकि, अनेक बड़े बड़े विश्लेषक और धुरंधर खिलाड़ी तो जनवरी 2008 में ही सेंसेक्स के 23 हजार पार कर जाने की बात कह रहे थे। हमारे संसाधन बड़े खिलाडि़यों की तुलना में कम हैं लेकिन जब तक आम मानस को पढ़ने की कला नहीं आती आप कोई भी सही भविष्यवाणी नहीं कर सकते। वाह मनी ने हमेशा आम मानस को पढ़ने की कोशिश की है और उसमें सफलता मिली है। हमने अपने पाठकों को दिसंबर में ही बता दिया था कि जो विश्लेषक यह कह रहे हैं कि जनवरी 2008 में विदेशी संस्थागत निवेशकों को जमकर पैसा शेयर बाजार में आएगा और सेंसेक्स 22 से 24 हजार अंक पहुंच जाएगा, झूठे साबित होंगे। नतीजा आपके सामने हैं। हाथ कंगन को आरसी क्या........। कारोबार का एक नियम हैं कि आप कारोबार अपनी समझबूझ करें न कि दूसरे के सहारे, जबकि इस समय ज्यादातर निवेशक यही गलती कर रहे थे कि बगैर होमवर्क दूसरे के विश्लेषण पर पैसा कमाना चाह रहे थे।
जब आपसे जूता पालिश करने वाला शेयर बाजार के बारे में यह चर्चा करने लगे कि फलां कंपनी के शेयर खरीद लो या अमुक के बेच दो....तो समझ लें कि शेयर बाजार में तेजी का एक दौर पूरा हुआ। हमने पहले भी कहा था कि घटिया कंपनियों के शेयर मत लो, साफ हो जाओगे लेकिन लोग दो चार रुपए वाली कंपनियों के शेयर पकड़ने में लगे रहे कि यह दस हो जाएगा तो बेचकर खूब पैसा कमा लेंगे। लेकिन अब क्या हुआ। रेसकॉर्स का एक नियम है कि वहां पैसा केवल घुड़दौड़ पर ही लगाया जाता है न कि गधों या खच्चरों के दौड़ने पर। लेकिन ज्यादातर निवेशकों ने बगैर फंडामेंटल और प्रबंधन को देखें गधों व खच्चरों पर पैसा लगा दिया जिसके लिए रेसकॉर्स में मनाही होती है। शेयर बाजार में तेजी का अगला दौर फिर शुरु होगा। विदेशी संस्थागत निवेशकों के सामने भारत और चीन के अलावा ऐसे दूसरे बाजार नहीं हैं, जहां वे बेहतर रिटर्न पा सकें। लेकिन अब धैर्यवान निवेशक ही विजेता होंगे। बनाइएं बेहतर कंपनियों की लिस्ट जिनके शेयर जमीन पर आ गए हैं और इनमें तैयारी करिए छोटी छोटी खरीद की।
आज का हाल
आज 21 जनवरी 2008 का दिन शेयर बाजारों के लिए काला सोमवार रहा। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज का सेंसेक्स खतरनाक रुप से गिरता हुआ 1408 अंक टूटा। एक समय सेंसेक्स 2050 अंक की गिरावट पर पहुंच चुका था और इस पर लोवर सर्किट लगने का खतरा मंडरा रहा था। बीएसई सेंसेक्स अंत में 17605 अंक पर बंद हुआ। निफ्टी में यही हुआ और 496 अंक गिरने के बाद 5208 अंक पर बंद हुआ। शाम 5:41 बजे फ्रांस का शेयर इंडेक्स सीएसी 6.84 फीसदी यानी 348.22 अंक नीचे चल रहा है जबकि, जर्मनी का डीएएक्स 7.29 फीसदी यानी 533.14 अंक और ब्रिटेन का एफटीएसई 5.34 फीसदी यानी 315.20 अंक नीचे चल रहा है। यानी विश्वव्यापी धुलाई।
वाह मनी ने हमेशा से दो बातें निवेशकों के सामने रखीं। पहली-शेयर बाजार में मुनाफा अपनी जेब में लेते चले। यानी ऊंचे भाव पर बिकवाली और निचले भाव पर खरीद। जो मुनाफा आज आप की जेब में जा रहा है वह कल किसी और का हो सकता है। दूसरी-भूलकर भी फ्यूचर एंड ऑप्शन यानी एफएंडओ मत खेलो। देश्ा के शेयर बाजारों में आम निवेशक जो बड़े कांट्रैक्ट की सीमा से परे जा चुके थे, को लालच में लपेटने के लिए छोटे कांट्रैक्ट जारी किए। आम निवेशक इनमें फंसे और जल्द से जल्द करोड़पति बनने के लालच में फंसकर छोटे कांट्रैक्ट खेलने लगे। लेकिन बड़े सेंस के साथ नहीं बल्कि नॉनसेंस बनकर। आज जो भी शेयर बाजार में हुआ, उसके पीछे विदेशी संस्थागत निवेशकों की बिकवाली और आम निवेशक का परिपक्व न होना है। वाह मनी लंबे समय से कह रहा है कि मुनाफा लेते चले और तभी कारोबार करें। जिन्होंने भी इस सलाह पर अमल किया वह निश्चित रुप से गेनर होगा।
भारतीय शेयर बाजार में आज आई गिरावट को आखिरी नहीं मान लेना चाहिए। इसमें अभी और गुंजाइश है। सुधार के भरोसे जल्दबाजी में नए शेयर नहीं खरीदे बल्कि हर ऐसी बड़ी गिरावट को बेहतर स्टॉक खरीदने का मौका मानें। हम निवेशकों से फिर कहना चाहेंगे कि वे शेयर छोटी छोटी मात्रा में खरीदें और आपको बेहतर प्राइस के लिए कम से कम तीन महीना इंतजार करना पड़ सकता है लेकिन धैर्यवान ही विजेता होंगे। जो निवेशक एफएंडओ खेल रहे हैं और बाहर से ब्याज पर पैसा लेकर शेयर बाजार में लगा रहे हैं वे ही साफ हुए हैं और उनके बुरे दिन अभी खत्म नहीं हुए हैं। डिलीवरी आधारित कारोबार करने वाले फलेंगे। वाह मनी अपनी बात पर फिर कायम हैं कि दिवाली 2008 से पहले बीएसई सेंसेक्स 25 हजार अंक नहीं पहुंचेगा।
वाह मनी केवल एक ब्लॉग है लेकिन हमने अपनी बात हमेशा ईमानदारी के साथ रखी। जबकि, अनेक बड़े बड़े विश्लेषक और धुरंधर खिलाड़ी तो जनवरी 2008 में ही सेंसेक्स के 23 हजार पार कर जाने की बात कह रहे थे। हमारे संसाधन बड़े खिलाडि़यों की तुलना में कम हैं लेकिन जब तक आम मानस को पढ़ने की कला नहीं आती आप कोई भी सही भविष्यवाणी नहीं कर सकते। वाह मनी ने हमेशा आम मानस को पढ़ने की कोशिश की है और उसमें सफलता मिली है। हमने अपने पाठकों को दिसंबर में ही बता दिया था कि जो विश्लेषक यह कह रहे हैं कि जनवरी 2008 में विदेशी संस्थागत निवेशकों को जमकर पैसा शेयर बाजार में आएगा और सेंसेक्स 22 से 24 हजार अंक पहुंच जाएगा, झूठे साबित होंगे। नतीजा आपके सामने हैं। हाथ कंगन को आरसी क्या........। कारोबार का एक नियम हैं कि आप कारोबार अपनी समझबूझ करें न कि दूसरे के सहारे, जबकि इस समय ज्यादातर निवेशक यही गलती कर रहे थे कि बगैर होमवर्क दूसरे के विश्लेषण पर पैसा कमाना चाह रहे थे।
जब आपसे जूता पालिश करने वाला शेयर बाजार के बारे में यह चर्चा करने लगे कि फलां कंपनी के शेयर खरीद लो या अमुक के बेच दो....तो समझ लें कि शेयर बाजार में तेजी का एक दौर पूरा हुआ। हमने पहले भी कहा था कि घटिया कंपनियों के शेयर मत लो, साफ हो जाओगे लेकिन लोग दो चार रुपए वाली कंपनियों के शेयर पकड़ने में लगे रहे कि यह दस हो जाएगा तो बेचकर खूब पैसा कमा लेंगे। लेकिन अब क्या हुआ। रेसकॉर्स का एक नियम है कि वहां पैसा केवल घुड़दौड़ पर ही लगाया जाता है न कि गधों या खच्चरों के दौड़ने पर। लेकिन ज्यादातर निवेशकों ने बगैर फंडामेंटल और प्रबंधन को देखें गधों व खच्चरों पर पैसा लगा दिया जिसके लिए रेसकॉर्स में मनाही होती है। शेयर बाजार में तेजी का अगला दौर फिर शुरु होगा। विदेशी संस्थागत निवेशकों के सामने भारत और चीन के अलावा ऐसे दूसरे बाजार नहीं हैं, जहां वे बेहतर रिटर्न पा सकें। लेकिन अब धैर्यवान निवेशक ही विजेता होंगे। बनाइएं बेहतर कंपनियों की लिस्ट जिनके शेयर जमीन पर आ गए हैं और इनमें तैयारी करिए छोटी छोटी खरीद की।
आज का हाल
आज 21 जनवरी 2008 का दिन शेयर बाजारों के लिए काला सोमवार रहा। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज का सेंसेक्स खतरनाक रुप से गिरता हुआ 1408 अंक टूटा। एक समय सेंसेक्स 2050 अंक की गिरावट पर पहुंच चुका था और इस पर लोवर सर्किट लगने का खतरा मंडरा रहा था। बीएसई सेंसेक्स अंत में 17605 अंक पर बंद हुआ। निफ्टी में यही हुआ और 496 अंक गिरने के बाद 5208 अंक पर बंद हुआ। शाम 5:41 बजे फ्रांस का शेयर इंडेक्स सीएसी 6.84 फीसदी यानी 348.22 अंक नीचे चल रहा है जबकि, जर्मनी का डीएएक्स 7.29 फीसदी यानी 533.14 अंक और ब्रिटेन का एफटीएसई 5.34 फीसदी यानी 315.20 अंक नीचे चल रहा है। यानी विश्वव्यापी धुलाई।
टिप्पणियाँ
सेंसेक्स पस्त है
फिर भी नेता जी मस्त हैं
Sunil
मेरे विचार से कुछ दिनो तक निवेशकों को अपने पोर्टफोलियो, मार्केट और बिजीनेस टीवी देखना बन्द कर देना चाहिए। इस गिरावट से अगर कुछ पैसे बच गए हों तो बीबी बच्चों को कंही घुमा लाइए।
बार बार पोर्टफोलियों मे बढते हुए नुकसान को मत देखिए, नही तो ब्लडप्रेशर बढ जाएगा।
मै अभी भी कहूंगा कि खरीदारों का मार्केट है, लेकिन खरीदारी सोचविचार कर स्क्रिप्ट टू स्क्रिप्ट बेसिस पर और छोटी क्वाटिटी पर करिए। मार्केट कंही भाग के नही जा रहा।
आर सी रिलायंस कम्युनिकेशन
भी बह गया
इस बहाव में
बच न सका कोई इस तूफान में
अब जो धीर धरोगे
वही पीर हरेगी