संदेश

नौकरी खोने वालों के लिए दस सुझाव

चित्र
नौकरी का एकाएक चले जाना एक भयानक सपने की तरह होता है। एकदम से किंकर्तव्यविमूढता की स्थिति और ढेर सारा तनाव। अनिश्चित भविष्य के प्रति ढे़र सारी चिन्ताओं का बोझ और उदासियां। ऐसे में आशा की किरण खोजना काफी धैर्य और संयम का काम होता है, लेकिन यही एक रास्ता है जो हालिया मुसीबतों से किसी को भी निकालकर आगे ले जाता है। ऐसे में अपना संयम खोने वाले उन संभावनाओं को भी खो देते हैं, जो ऐसे वक्त में बेहतर अवसरों की तरह उनके पक्ष में कार्य कर सकती हैं। 1. सबसे पहले तो शांत और स्थिर चित्त के साथ तर्क पूर्ण तरीके से अपनी विचारशक्ति को बरकरार रखने की जरूरत होती है। लगता भले ही हो, लेकिन किसी के साथ एकाएक ऐसी घटना होते ही, बाकी सारी चीजें भी एकाएक नकारात्मक तरीके से बदल नहीं गई होती हैं। जरूरी है कि चीजों के बारे में अपने आशावादी नजरिए को बरकरार रखा जाए। आप मानें या नहीं, लेकिन लोगों में आपकी निराश भावनाओं को सूंघ लेने की गजब की शक्ति होती है और यदि आपका आत्मविश्वास और उत्साह अपनी जगह पर कायम है, तो इसका अच्छा प्रभाव लोगों को आपके पक्ष में निर्णय करने को प्रेरित भी करता है। 2. दूसरी बात है कि नौकरी से ब...

पांच तरीके एक सफल कार्यकारी जीवन के

चित्र
फार्च्युन-500 कंपनियों को पिछले 14 सालों से सेवा प्रदान करने वाली एक प्रबंधन सलाहकार कंपनी की संस्थापिका और अध्यक्ष नैन्‍सी कोलासुर्डो ने अपनी पुस्तक 'गेट ए लाईफ दैट डज नॉट सक' में नए उद्यमियों के लिए कुछ बेहतरीन तरकीबों का उल्लेख किया है जो अच्छी तरह से जीवन जीने के बारे में और अपने कारोबार की सफलतापूर्वक शुरूआत करने के बारे में उपयोगी हो सकती हैं। उद्यमिता को विकसित और परिपुष्ट करने के लिए जरूरी इन पांच प्रमुख तत्वों के बारे में आप भी जानिए। 1- चुनिए आप जो, जैसा चाहते हैं , इसे समझने के लिए इस पर पूरा ध्यान केंद्रित करें। ऐसा करने से आप अच्छे चुनाव कर सकेंगे। यदि आपने कोई मनचाहा कारोबार शुरू करना तय कर लिया है, लेकिन पैसा आपके पास है नहीं और कुछ परेशान करने वाली उधारियां भी आप पर अभी बकाया हैं। ऐसे में, यह ध्यान केन्द्रीयकरण आपको पैसे की व्यवस्था के अन्य विकल्पों पर तार्किक रूप से सोचने में मदद देता है कि पैसा परिवार के लोगों से उधार ले लिया जाए या वे चीजें बेचकर जुटा लिया जाए, जिनकी जीवन में अति महत्त्वपूर्ण जरूरत नहीं। यह हमेशा चुनने का विषय होता है। 2- अच्छे विचार उत्पन्न...

जब जॉब खोना पड़े

चित्र
लगभग रोज ही विभिन्‍न कंपनियों द्वारा अपने कर्मचारियों की तादाद घटाने के लिए तरह-तरह की कसरत करने की खबरें आ रही हैं। कहीं स्वैच्छिक (?) छुट्टी पर भेजा जा रहा है, कहीं आधे वेतन पर कुछ सालों के लिए समाजसेवा के लिए कार्मिकों को मुक्त किया जा रहा है, तो कहीं सीधे ही बाहर का रास्ता दिखाया जा रहा है कि निकलो भाई, हम आपका बोझ अब नहीं उठा सकते। लेकिन इसके बावजूद शायद ही कोई ऐसा शख्स होगा, जिसकी जिंदगी में इस वजह से कोई बड़ा परिवर्तन न आए। अगर इस दौर में आप प्रभावित होने से बचे हैं, तो आप खुशकिस्मत हैं। लेकिन यदि प्रभावित हुए हैं, तो आपको कुछ तरीकों पर जरूर सोचना चाहिए, जिनको अपनाकर आप इस परिस्थिति से बाहर निकल सकते हैं और नए सिरे से मुस्करा सकते हैं। 1- शांत बने रहें। चाहे यह अपेक्षित हो या नहीं, चाहे यह कैसे भी हुआ हो, आपको शांत बने रहने की जरूरत है। कुछ भी कदम उठाने से पहले उत्तेजित या तनावग्रस्त होने पर आप अनजाने ऐसा कुछ भी कर सकते हैं, जो आपको नहीं करना चाहिये। एमिली पोस्ट के निदेशक और 'एटिकेट:एडवांटेज इन बिजनेस' के लेखक पीटर पोस्ट कहते हैं-"आपको कंपनी से बाहर किया जाना आपके ...

ड्रैगन भी मंदी की चपेट में

चित्र
लो अब ड्रैगन भी मंदी की चपेट में आता जा रहा है। चीन की तेजी से आगे बढ़ती अर्थव्‍यवस्‍था अब अपनी भविष्‍यवाणी के विपरीत ठंडी पड़ती जा रही है जिसने दुनिया के सामने यह चिंता पैदा कर दी है जो अर्थव्‍यवस्‍था उनकी मांग के आधार पर नैया पार लगा सकती थी वही अब उनके वित्तीय संकट को और बढ़ा देगी। चीन सरकार ने जो आंकडें पेश किए हैं उनके मुताबिक चीन की आर्थिक विकास दर वर्ष दर वर्ष तीसरी तिमाही में नौ फीसदी रही। यह दर अभी भी बढि़या दिख रही है लेकिन यह तेजी से घटती भी जा रही है। दूसरी तिमाही में विकास दर 10.1 फीसदी रही जो पहली तिमाही में 10.6 फीसदी थी। चीन की आर्थिक विकास दर वर्ष 2002 के बाद पहली बार दस फीसदी से नीचे रहने की संभावना है। अनेक अर्थशास्‍त्री तो चीनी सरकार के इस विकास दर को तेज करने के अनेक कदम उठाने के बावजूद अगले साल आठ फीसदी से कम रहने की आशंका जता रहे है। अमरीका और यूरोप जैसे बड़े उपभोक्‍ताओं की मांग तेजी से घटने की वजह से निर्यात को झटके लग रहे हैं। इससे चीन के प्रॉपर्टी बाजार की भी हालत कमजोर हो रही है। बीजिंग सहित दूसरे कई शहरों में ढ़ेरों इमारतों को आज भी अपने खरीददारों का इंतजार...

निवेशक लौटने लगे दलाल स्‍ट्रीट में

चित्र
दलाल स्‍ट्रीट में यह दिवाली वाकई जगमग दिवाली रही और मायूस निवेशकों के चेहरों पर फिर से रौनक लौटने लगी। बीएसई सेंसेक्‍स के पिछले सप्‍ताह 9700 अंक पार करने के साथ एक बार फिर निवेशकों को यह भरोसा दिलाया जाने लगा है कि चलो दलाल स्‍ट्रीट। लेकिन कुछ इक्विटी विश्‍लेषक इस गर्मी को रीलिफ रैली मानते हैं। यानी इस तेजी के टिकाऊ होने के आसार नहीं हैं। एक फंड प्रबंधक का कहना है कि दलाल स्‍ट्रीट में पिछले सप्‍ताह आई तेजी में घटी महंगाई दर की अहम भूमिका रही। दुनिया भर में खासकर अमरीकी वित्तीय बाजार में आया संकट अभी दूर होने के आसार नहीं हैं। साथ ही दुनिया भर के शेयर बाजारों में भी बड़े सुधार के आसार कम हैं। इस बीच, भारतीय रिज़र्व बैंक ने मुख्य दरों में कटौती करके एक बार फिर चौंकाया है। रिजर्व बैंक ने शनिवार दोपहर अचानक सीआरआर और एसएलआर में एक फ़ीसदी और रेपो रेट में 0.5 फीसदी की कटौती कर दी। कटौती के बाद सीआरआर अब 5.5 फीसदी रेपो दर 7.5 फीसदी और एसएलआर 24 फीसदी हो गई है। एक अनुमान के मुताबिक इस कटौती से सिस्टम में करीब 85 हजार करोड़ रुपए आएंगे। नकदी की समस्या से जूझ रहे बैंकिंग सिस्टम को इससे निश्चित त...

तमाशा शार्ट सेलिंग का: हेज फंडों को करारी मात

चित्र
लंदन के अति समझदार हेज फंडों को जिस तरह उनकी बेतहाशा समझदारी के चलते, जर्मन कार कंपनी पोर्श ने 20 अरब डॉलर की करारी चोट दी है, उसकी वजह से हेज फंडों में मचे रोने-पीटने को सांत्वना देने का जिगर किसी में नहीं बचा है। अधिकांश जर्मन इसे 'लालची' हेज फंडों पर जर्मन कार उद्योग की शानदार जीत के तौर पर महसूस कर रहे हैं जिनमें ज्यादातर पोर्श के ग्राहक हैं। हेज फंडों ने यह भारी रकम उस बाजार रणनीति की वजह से गंवाई, जिसे अभी तक बाजार में चांदी काटने का शानदार अल्पकालिक (शार्ट टर्म) तरीका समझा जाता रहा और जिसकी वजह से तमाम हेज फंडों को दुनिया भर में विद्रोही कमाऊ सपूतों की चमकदार छवि मिली। अब हाल यह है कि उनमें से अधिकांश को अपनी जान के लाले पड़ गए हैं। लीमैन ब्रदर्स के पतन और इसके बाद मचे विश्वव्यापी विकराल आर्थिक संकट की वजह से दुनिया भर की अनेक नामी-गिरामी वित्तीय संस्थाओं के लिए यह चोट, ताबूत की आखिरी कील की तरह है। लेकिन इस मसले को लेकर हेज फंडों के साथ सहानुभूति उनके अपने परिवार के सिवा और किसी की हो ही नहीं सकती। अगर कार बनाने वाली नामी कंपनी पोर्श ने इसमें केंद्रीय भूमिका निभाई, जैसा...

दिवाली से दिवाली तक सेंसेक्‍स

चित्र
देश भर में दिवाली का पर्व मनाया जा रहा है। भगवान राम के 14 वर्ष के वनवास से अयोध्‍या लौटने की खुशी में दिवाली का पर्व मनाया जाता है। साथ ही धन की देवी लक्ष्‍मी की खास कृपा पाने के लिए आज उनकी विशेष पूजा अर्चना की जाती है। लेकिन शेयर बाजार के निवेशक काफी निराश है। उनके लिए दिवाली का पर्व खुशी की जगह मातम का पर्व बन गया है। जहां पिछली दिवाली पर बीएसई सेंसेक्‍स 20 हजार अंक के आसपास था, वहीं इस दिवाली पर यह 8500 अंक पर है। दुनिया की आर्थिक नीति तय करने वाले देश अमरीका के वित्तीय संकट में फंसने से पिछले दस महीनों में दुनिया भर के शेयर बाजारों में गिरावट का दौर जारी है और अब इस मंदी को वर्ष 1929 की महामंदी के समान बताया जा रहा है। यह मंदी कहां जाकर ठहरेगी कोई नहीं जानता क्‍योंकि कई देशों की आर्थिक स्थिति तो इतनी डगमगा गई है कि वे दिवालिया होने के कगार पर खड़े हैं। समूचे देश इसके लिए जोरदार प्रयास कर रहे हैं कि यह मंदी महामंदी साबित न हो और जल्‍दी से जल्‍दी बेहतर आर्थिक उपायों से इस पर नियंत्रण पाया जा सके। मौजूदा मंदी का सीधा असर भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था के बैरोमीटर शेयर बाजार पर भी पड़ा है जि...