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एग्रो टेक फूड्स में मिलेगा पैसा

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सनड्रॉप, क्रिस्‍टल और रथ वनस्‍पति तेल बनाने वाली और दुनिया में नंबर वन पापकॉर्न ब्रांड एसटीसी ll की कंपनी एग्रो टेक फूड्स मौजूदा भाव 80 रुपए पर निवेश के लिए अच्‍छा स्‍टॉक है। दुनिया में तीसरी बड़ी फूड कंपनी कोनाग्रा फूड्स की एग्रो टेक फूड्स में 48.3 फीसदी हिस्‍सेदारी है। एग्रो टेक ब्रांडेड फूड्स और बल्‍क व प्रोसेस्‍ड कमोडिटीज के कारोबार से जुड़ी हुई हैं। कंपनी चिप्‍स व आटा जैसे अलाभकारी कारोबार को पहले ही बंद कर चुकी है और उन्‍हीं क्षेत्रों पर ध्‍यान दे रही है जहां सकल मार्जिन 20 फीसदी से ज्‍यादा हो। एग्रो टेक फूड्स पहले आईटीसी समूह की कंपनी थी। एग्रो टेक फूड्स के पास उत्‍पादन संबंधी कोई सुविधा नहीं है। यह असंगठित खिलाडि़यों से अपनी गुणवत्‍ता के अनुरुप उत्‍पादन करवाती है। इसलिए कंपनी को पूंजीगत खर्च या वोल्‍यूम बढ़ाने के लिए किसी दूसरी तरह के निवेश की जरुरत नहीं पड़ती। इस कंपनी के कुल कारोबार में सनड्रॉप का हिस्‍सा एक तिहाई है। इस ब्रांड के कारोबार में हर साल दस फीसदी बढ़ोतरी हो रही है। कंपनी के सकल लाभ मार्जिन में इस ब्रांड का हिस्‍सा 15 फीसदी है जिसे 20 फीसदी तक करने पर ध्‍यान दिया

शेयर बाजार 13 अप्रैल से नए दौर में

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भारतीय शेयर बाजार की शुरूआत आज अच्‍छी हुई है। इस समय सेंसेक्‍स दोहरा शतक लगाकर आगे खेल रहा है। लेकिन असली परीक्षा 13 अप्रैल से है, जब सॉफ्टेवयर क्षेत्र की मुख्‍य कंपनी इंफोसिस अपने सालाना नतीजों की घोषणा करेगी। इसके बाद हर रोज अनेक कंपनियों के कार्य परिणाम आने शुरू हो जाएंगे। इंफोसिस अपने नतीजों के अलावा गाइडेंस भी जारी करेगी जिसकी अहम् भूमिका होगी। हालांकि, इसके नेगेटिव आने के ज्‍यादा आसार हैं। बाजार इस मसले को पहले ही डिसकाउंट कर चुका है, इसलिए अधिक असर दिखाई नहीं देगा। लेकिन हरेक कंपनी के नतीजे शेयर बाजार की अगली चाल तय कर देंगे। मौजूदा आर्थिक माहौल में फार्मा, पॉवर और इंजीनियरिंग कंपनियों में निवेश करने वाले सर्वाधिक मुनाफे में रहेंगे। 9 से 13 अप्रैल के बीच बीएसई सेंसेक्‍स 12700 से 13300 के बीच घूमता रहेगा। निफ्टी 3594 से 3946 अंक के बीच रहेगा। चीनी स्‍टॉक से बचें पहले हमने कहा था कि चीनी उद्योग की कंपनियों के शेयरों में डे ट्रेडिंग की जा सकती है। लेकिन अब हम देख रहे हैं कि चीनी उद्योग के लिए फिर से नेगेटिव स्थिति खड़ी हो रही है। लंदन में व्‍हाइट शुगर के भाव पिछले सप्‍ताह 730 रुपए

हिज मास्‍टर वॉयस यानी चाबी वाला बाजा

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ग्रामोफोन आज बीते जमाने की बात हो गई है क्‍योंकि अब संगीत सुनने के साधन इतनी तेजी से बदल रहे हैं कि बहुत कम लोगों को ही इसके बीते महत्‍व के बारे में पता है। एक जमाना था जब संगीत सुनने के लिए ग्रामोफोन के अलावा कोई दूसरा सशक्‍त माध्‍यम नहीं था। उन दिनों रेडियो पर गीत जरुर प्रसारित होते थे लेकिन संगीत का पर्याप्‍त आनंद लेने के लिए घर में ग्रामोफोन होना जरुरी माना जाता था। आज से लगभग 130 वर्ष पूर्व एडीसन ने ऐसी मशीन का आविष्‍कार किया था जिससे रिकॉर्ड की गई आवाज सुनी जा सकती थी और इस मशीन का नाम फोनोग्राफ रखा गया। उस समय थियेटरों में फोनोग्राफ खास शो में रखा जाता था। एडीसन स्‍वयं भी थियेटरों में हाजिर रहते थे और लोग फोनोग्राफ सुनने के लिए बैठे रहते। इसी कड़ी को आगे बढ़ाते हुए एमिल बर्लीनर ने वर्ष 1888 में ग्रामोफोन बाजार में जारी किया। एक ही वर्ष बाद इंग्‍लैंड में ग्रामोफोन कंपनी की स्‍थापना हुई। शुरूआत में इस कंपनी के ट्रेडमार्क में एक देवदूत को लिखते हुए बताया गया। कुछ समय बाद ही इसे बदल दिया गया और ग्रामोफोन के लाउडस्‍पीकर के समक्ष बैठे कुत्‍ते का प्रतीक रखा गया। स्‍वयं के मालिक की आवा

एनएचपीसी में है बेहतर रिटर्न

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सरकारी बिजली कंपनी एनएचपीसी ने पूंजी बाजार में उतरने का फैसला किया है। सरकार इस कंपनी में अपनी पांच फीसदी हिस्सेदारी शेयर बाजार के जरिए बेचने जा रही है। एनएचपीसी ने अपने पब्लिक इश्यू के लिए सेबी के पास आवेदन जमा करा दिया है। कंपनी 167 करोड़ शेयर जारी करने का इरादा रखती है। एनएचपीसी का यह पब्लिक इश्‍यू जून 2007 तक आने की संभावना है। सरकार की पांच फीसदी हिस्सेदारी बेचने के अलावा 111.7 करोड़ नए शेयर भी जारी किए जाएंगे। पब्लिक इश्यू के बाद एनएचपीसी में केंद्र सरकार की हिस्सेदारी घटकर 86.30 फीसदी रह जाएगी। कुल इश्यू का 60 फीसदी हिस्सा योग्य संस्थागत खरीदारों को बेचा जाएगा, जबकि पांच फीसदी शेयर म्युचुअल फंडों को बेचे जाएंगे। 30 फीसदी शेयर खुदरा निवेशकों को दिए जाएंगे। पब्लिक इश्‍यू की राशि का उपयोग एनएचपीसी अपनी विस्तार योजना के लिए करेगी, जबकि पांच फीसदी सरकारी हिस्सेदारी की बिक्री से मिली राशि केंद्र सरकार को सौंप दी जाएगी। संयोग ही है कि एनएचपीसी से पहले भी वर्ष 2004 में किसी सरकारी कंपनी के विनिवेश की शुरुआत बिजली क्षेत्र की कंपनी एनटीपीसी से ही की गई थी। देश में बिजली की बढ़ती कमी और

हिंदुस्‍तान की शान है यह...जिंक

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स्‍टरलाइट समूह की कंपनी हिंदुस्‍तान जिंक लिमिटेड एक बेहतर शेयर है और इसमें बाजार की चाल से अधिक गर्मी की संभावना दिखाई दे रही है। हालांकि, लंदन मेटल एक्‍सचेंज में जिंक के दाम 4619 डॉलर प्रति टन की ऊंचाई से तकरीबन 30 फीसदी गिर चुके हैं जिसकी वजह से हिंदुस्‍तान जिंक का शेयर नवंबर 2006 के दाम 1020 रुपए प्रति शेयर से 40 फीसदी लुढ़क चुका है। जिंक यानी जस्‍ते के भावों में यह कमी चीन के वर्ष 2006 में 70 लाख टन के शुद्ध निर्यातक के रुप में पलटने से आई। जबकि इससे पहले चीन दो वर्ष तक जिंक का आयातक देश था। हालांकि, यह उम्‍मीद की जा रही है कि चीन वर्ष 2007 में भी रिफाइंड जिंक का शुद्ध निर्यातक बना रहेगा। जिंक के दामों में तेजी और वोल्‍यूम बढ़ने से हिंदुस्‍तान जिंक का नकद प्रवाह यानी कैश फ्लो मजबूती से बढ़ा है। वर्ष 2007 में कंपनी का लिक्विड इनवेस्‍टमेंट 34.8 अरब रुपए रहेगा। इसे यदि प्रति शेयर नकद में बदला जाए तो यह राशि होगी 82.3 रुपए। इसी तरह प्रति शेयर आय यानी ईपीएस 112 रुपए रहेगा। कंपनी के कामकाज और योजनाओं से यह लगता है कि इसमें गिरावट का जो समय आया था, वह पूरा हो चुका है और अब यह स्‍टॉक बेहत