कम्युनिस्ट बिजी हैं ‘न्यू क्लियर डील’ में
भारत-अमरीका के बीच हो रही न्युक्लियर डील को लेकर हंगामा मचा रहे कम्युनिस्टों को देश की चिंता कब से सताने लगी। असल में कम्युनिस्ट इस समय कांग्रेस के साथ इस डील पर नहीं बल्कि ‘न्यू क्लियर डील’ पर बातचीत कर रहे हैं। यानी यदि भारत और अमरीका के बीच न्युक्लियर डील पर हमें चुप करना है तो पहले इस ‘डील को क्लियर’ करने के लिए हमारे साथ सौदेबाजी करो। हम यहां कम्युनिस्टों से पूछना चाहते हैं कि जब भारत और अमरीका के बीच इस करार को लेकर शुरूआती बातचीत और करार हुए थे तब क्या कम्युनिस्टों को इसके प्रभाव और मसौदे की जानकारी नहीं थी। हर सुबह उठकर चीन की ओर देखने वाले कम्युनिस्टों को यह बिल्कुल गवारा नहीं है कि भारत के अमरीका के साथ संबंध मजबूत बने या फिर भारत एशिया महाद्धीप में चीन से ज्यादा शक्तिशाली बने। समूची दुनिया में कम्युनिजम का क्या हुआ यह किसी से छिपा नहीं है और कम्युनिजम के सिद्धांत ताश के पत्तों की तरह वहीं ढेर हुए जो देश इन सिद्धांतों पर पल बढ़ रहे थे। भारत में पहले कम्युनिस्ट अपनी बदौलत दिल्ली की गद्दी हासिल करे और फिर देश का विकास व उसकी चिंता करे, तो ही उचित होगा। ह