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बैंक ऑफ इंडिया में है दम

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देश का प्रमुख सरकारी बैंकों में से एक बैंक ऑफ इंडिया क्‍वॉलिफाइड इंस्‍टीटयूशनल प्‍लेसमेंट यानी क्‍यूआईपी के माध्‍यम से 1300-1400 करोड़ रुपए जुटाएगा। इस कदम के बाद इस बैंक का पूंजी पर्याप्‍तता अनुपात सितंबर 2007 के 12.5 फीसदी से बढ़कर 13 फीसदी से अधिक हो जाएगा। बैंक  बेस द्धितीय की शर्तों के मुताबिक पूंजी बढ़ा रहा है। साथ ही क्रेडिट में विस्‍तार और नए कारोबार मसलन जीवन बीमा संयुक्‍त उद्यम में उतरने की तैयारी कर रहा है। बैंक की टियर प्रथम कैपिटल 7.08 फीसदी के मुकाबले बढ़कर आठ फीसदी से ज्‍यादा हो जाएगी। बैंक ऑफ इंडिया में सरकार की भागीदारी 69.47 फीसदी है जो इस इश्‍यू के बाद घटकर 64.47 फीसदी आ जाएगी। बैंक ने इस बात के संकेत दिए हैं कि अगले दो साल तक उसका इरादा अपनी और इक्विटी वितरण का नहीं है। बैंक ऑफ इंडिया पिछले कुछ साल से तेजी से विकास के रास्‍ते पर बढ़ रहा है। वित्‍त वर्ष 2004 से वर्ष 2007 के बीच इसकी कंसोलिडेटेड जमाओं और एडवांस में 19 फीसदी और 23 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। वित्‍त वर्ष 2008 की पहली छमाही में इसकी जमा में 25.5 फीसदी एवं एडवांस में 27.6 फीसदी का इजाफा हुआ है। बैंक ऑफ

शेयर बाजार के लिए रिकपलिंग का वर्ष

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नया वर्ष का पहला दिन भारतीय शेयर बाजार के लिए एक शानदार दिन रहा। लेकिन अब पूरे साल यह बाजार कैसा रहेगा, क्‍या अमरीका में मंदी के बढ़ रहे धीमे कदमों की आहट भारतीय बाजार पर पड़ेगी या नहीं। दुनिया भर के शेयर बाजारों में होने वाली उठापटक से हमारे बाजार अछूते रहेंगे या फिर हर असर हमारे बाजारों पर देखने को मिलेगा। यानी यह वर्ष डिकपलिंग का होगा या रिकप‍लिंग का। गोल्‍डमैन सेक्‍स और मार्गन स्‍टेनली के इक्विटी बाजार के विशेषज्ञों ने शेयर बाजारों के लिए सबसे पहले डिकपलिंग की थ्‍योरी विकसित की थी। यह एक ऐसी विचारधारा है जिसके तहत कोई एक निश्चित बाजार अपना कामकाज दुनिया के दूसरे बाजारों के साथ किसी तरह के संबंध रखे बगैर या बाहरी परिबलों से प्रभावित हुए बगैर चालू रखते हैं। यह थ्‍योरी नई होने के बावजूद तर्कसंगत है और इसे स्‍वीकार करने का कोई कारण भी नहीं है। वर्ष 2007 का आखिर महीना विदा हो चुका है और अमरीका में मंदी फैलने का भय थम नहीं रहा है। क्रेडिट बाजार की होती ऐसी तैसी, सबप्राइम और डॉलर में बढ़ती कमजोरी जैसे कारकों ने डिकपलिंग थ्‍योरी के पक्षधरों को भी अपने दावे के संबंध में विचार करने पर विवश

गार्डन सिल्‍क में करें निवेश

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फैब्रिक इंजीनियर, डिजाइन मेकर और पॉलिएस्‍टर यार्न निर्माता कंपनी गार्डन सिल्‍क मिल्‍स आने वाले दिनों में आपको नई ऊंचाई पर देखने को मिले तो अचरज न करें। यह कंपनी महिलाओं के लिए ब्‍लाउज, स्‍कर्ट, ड्रेस्‍ा और साड़ी उत्‍पादन से जुड़ा एक प्रसिद्ध नाम है। सूरत के नजदीक वरेली में इसकी उत्‍पादन इकाई लगी हुई है जहां 42 लाख मीटर हर माह ग्रेजी फैब्रिक के उत्‍पादन की क्षमता लगी हुई है। इसके अलावा सूरत के समीप ही जोलवा में आधुनिक स्पिनिंग संयंत्र है। देश के 65 शहरों में इसके 293 रिटेल आउटलेट हैं। कंपनी ब्रिटेन, फ्रांस, स्‍पेन, पुर्तगाल, ग्रीस, मध्‍य पूर्व और खाड़ी देशों, अमरीका, आस्‍ट्रेलिया, सिंगापुर, थाईलैंड, हांगकांग, मारिशस, दक्षिण अफ्रीका और ब्राजील में अपने फैब्रिक्‍स उत्‍पाद निर्यात करती है। कंपनी अब बड़े निवेश के साथ अपना विस्‍तार करने जा रही है जिसके नतीजे वर्ष 2008/09 की तीसरी तिमाही में देखने को मिलेंगे। कंपनी छह सौ टन प्रति दिन की क्षमता वाला सीपी प्‍लांट लगा रही है। इसके अलावा एफडीवाई की क्षमता में 70 टन दैनिक और पीओवाई की क्षमता में 82 टन दैनिक की अतिरिक्‍त बढ़ोतरी करने जा रही है।

शेयर बाजार में ब्रेकआउट संभव

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शेयर बाजार के लिए वर्ष 2007 का आखिरी सप्‍ताह उत्‍साहजनक रहा और एक हजार अंक से अधिक बढ़कर इसने यह संकेत दे दिया कि आज यानी 31 दिसंबर से शुरु हो रहे सप्‍ताह में शेयर बाजार ब्रेकआउट हो सकता है क्रिसमस अवकाश पर गए विदेशी संस्‍थागत निवेशकों की गैरहाजिरी में घरेलू पंटरों ने शेयर बाजार में जमकर गेम खेला। शेयर बाजार में अभी तेजी बनी रहेगी लेकिन जनवरी के दूसरे सप्‍ताह में बीएसई सेंसेक्‍स में कुछ करेक्‍शन आने की आशंका है क्‍योंकि इस समय हर निवेशक इस उम्‍मीद में शेयर खरीद रहा है कि नए साल में विदेशी निवेशक अपने नए फंड लेकर आ रहे हैं और वे उनसे महंगे भाव पर शेयर खरीदेंगे लेकिन ऐसा होगा नहीं क्‍योंकि अब विदेशी निवेशक भारतीयों से ज्‍यादा समझदार है। तकनीकी विश्‍लेषक हितेंद्र वासुदेव का कहना है कि अगले सप्‍ताह में सेंसेक्‍स का रेसीसटेंस 20500-20584 अंक पर होगा। सेंसेक्‍स बढ़कर 20584 अंक के ऊपर बंद होता है तो तय है कि यह ब्रेकआउट करेगा। ऐसा होता है तो सेंसेक्‍स 24 हजार अंक तक पहुंचने की उम्‍मीद की जा सकती है। साप्‍ताहिक स्‍पोर्ट 19946-19568-18886 पर मिलेगा। यदि सेंसेक्‍स घटकर 18800 अंक से नीचे बंद होत

सेंसेक्‍स नई उम्‍मीदों की ओर

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हितेंद्र वासुदेव बॉम्‍बे स्‍टॉक एक्‍सचेंज का सेंसेक्‍स पिछले सप्‍ताह 19038.20 अंक पर खुला ओर यही स्‍तर इसका सप्‍ताह में नीचला स्‍तर रहा। जबकि यह ऊपर में 20323.76 अंक तक गया और बंद 20206.95 अंक पर हुआ। यानी सप्‍ताह भर में 1044.38 अंक का उछाल। सेंसेक्‍स का यह मजबूत बंद स्‍तर सकारात्‍मक संकेत देता है और यह साप्‍ताहिक स्‍तर पर ऐतिहासिक बढ़त थी। कलैंडर वर्ष 2007 का आखिर सप्‍ताह सकारात्‍मक रहा और मजबूती के संकेत देकर गया। अगले सप्‍ताह में सेंसेक्‍स का रेसीसटेंस 20500-20584 अंक पर होगा1 सेंसेक्‍स बढ़कर 20584 अंक के ऊपर बंद होता है तो यह तय है कि यह ब्रेकआउट करेगा। ऐसा होता है तो सेंसेक्‍स 24 हजार अंक तक पहुंचने की उम्‍मीद की जा सकती है। साप्‍ताहिक स्‍पोर्ट 19946-19568-18886 पर मिलेगा। यदि सेंसेक्‍स घटकर 18800 अंक से नीचे बंद होता है तो यह सेंसेक्‍स के लिए घातक हो सकता है और शार्ट टर्म में तेजी के संकेत नहीं रहेंगे। सेंसेक्‍स के लिए ऊपरी स्‍तर को पार करना और साप्‍ताहिक बंद 20500 अंक से ऊपर होना महत्‍वपूर्ण होगा। वेव विश्‍लेषण वेव I-2594 से 3758 वेव II-3758 से 2904 वेव III-इंटरनल्‍स इस तरह: वेव