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बड़ी बिल्डिंग गिराती है शेयर बाजार !

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शेयर बाजार में जब भी बड़ी गिरावट आती है तो ऑपरेटर, पंटर, निवेशक और ज्‍योतिष सभी इसके अलग अलग कारण देने लग जाते हैं। भले ही गिरावट के वास्‍तविक कारण दूसरे ही हों। दुनिया भर के शेयर बाजारों में आई नरमी से क्‍या मनुष्‍य का अहम या अभिमान जुड़ा हुआ है। यह कारण सत्‍य है या नहीं लेकिन जर्मनी के डयूश बैंक ने अपनी एक रिसर्च रिपोर्ट में कुछ इसी तरह की बात कही है। इस बैंक की रिपोर्ट के मुताबिक जब भी दुनिया में सबसे ऊंची बिल्डिंग बनाई जाती है, शेयर बाजार औंधे मुंह आ गिरते हैं। वर्ष 1929 में अमरीका में आई महामंदी से कुछ दिन पहले ही वहां गगनचुंबी इमारत एम्‍पयार इस्‍टेट बनाई गई थी। इसके बाद 1974 की मंदी से पहले शिकागो में सीएर्स टावर और न्‍यूयार्क का वर्ल्‍ड ट्रेड सेंटर बना। वर्ष 1997 में मलेशिया में पेट्रोनॉस टावर का निर्माण कार्य पूरा हुआ और इसी के साथ एशियाई शेयर बाजार ढह गए। ईश्‍वर जिसका संहार करना चाहता है उससे पहले उसे अभिमानी बना देता है। ग्रीक नाटय लेखक यूरिपिडी ने कई सदियों पहले यह बात कही थी। हो सकता है उन्‍होंने यह बात भविष्‍य के कारोबारियों को ध्‍यान में रखकर कही हो। दुबई में पिछले दो सा

खेल खत्‍म पैसा हजम यानी एचएफसीएल

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दुनिया में जब तक लालची जिंदा है, समझदार भूखे नहीं मरेंगे। शेयर बाजार में दो रुपए के बीस रुपए बनाने के लालच में लोगों ने घटिया कंपनियों के शेयर खरीदे और पछता रहे हैं। वाह मनी हमेशा से कहता आया है कि बेहतर नतीजों, उम्‍दा प्रबंधन और शानदार लाभांश देने वाली कंपनियों में ही निवेश करना चाहिए। मंदी हो या तेजी बेहतर कंपनियां ही फायदेमंद रहती हैं। कहावत है महंगा रोए एक बार, सस्‍ता रोए बार बार। शेयर बाजार में ऐसी अनेक कंपनियां हैं जो किसी भी हिसाब यानी नतीजों, प्रबंधन से उम्‍दा नहीं है लेकिन उनके शेयर बढ़े जा रहे हैं, लोग निवेश पर निवेश किए जा रहे हैं कि वे एक दिन करोड़पति बन जाएंगे। इन कंपनियों के बारे में बाजार में ऐसी ऐसी सूचनाएं फैलाई जाती है कि आम निवेशक तो यह समझ ही नहीं पाता कि यह खबर है या मक्‍कारी। शेयर बाजार में एक समय अपना डंका बजवा चुकी हिमाचल फ्युच्‍युरिस्टिक कम्‍युनिकेशंस लिमिटेड यानी एचएफसीएल अब भी निवेशकों के बीच नई नई खबरों के साथ छाई हुई है। कभी इसमें खबर आती है कि इस कंपनी को अनिल या मुकेश अंबानी में से कोई खरीद लेगा, इस कंपनी के पास चेन्‍नई में 1200 करोड़ की जमीन है जिसे यह

बंदरों का सौदागर वापस आएगा !

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एक जंगल के किनारे एक गांव बसा हुआ था वहां के लोग खेती करते और अपना जीविकोपार्जन करते थे। एक दिन वहां शहर से एक सौदागर आया उसने लोगों से कहा कि उसे बंदर चाहिए लेकिन किसी ने उसकी सुनी नहीं सब अपने काम में लगे रहे फिर उसने कहा कि वह एक बंदर के बदले सौ रुपए देगा। गांव के लोगों ने पास के जंगल से खूब सारे बंदर पकडे और सौदागर को सौंप दिए सौदागर ने लोगों को सौ-सौ रुपए दिए।उसने कहा उसे और बंदर चाहिए लोगों का रुझान कम हो गया था क्योंकि बंदर आसानी से नहीं मिल रहे थे अब उसने कहा कि वह एक बंदर के बदले पांच सौ रुपए देगा। लोगों ने अपना काम छोडकर बंदर ढूंढे और सौदागर को दिए जल्दी की बंदरों की दूसरी खेप भी आनी बंद हो गई। अब सौदागर ने कहा कि मैं एक बंदर के बदले एक हजार रुपए दूंगा लोगों ने अपना खेती बाडी का काम छोडकर घने जंगल में जाकर बंदर पकडेऔर उन्हें सौदागर को सौंप दिया जल्दी ही बंदरों की और आवक बंद हुई।सौदागर ने कहा कि शहर से मांग आई है कि और बंदर चाहिए मैं अभी शहर जा रहा हूंवापस आकर और बंदर खरीदूंगा और एक बंदर के बदले दो हजार रुपए दूंगा। गांव के लोग परेशान थे कि जंगल में बंदर खत्म हो चुके हैं। गांव

अंबानी खरीद सकते हैं पाकिस्‍तानी शेयर बाजार !

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भारत और पाकिस्तान के लोग एक ही पूर्वजों के वंशज हैं। दोनों देशों के लोगों का डीएनए भी एक ही है। अब देखिए भारत में क्या हो रहा है। भारत के मुकेश और अनिल अंबानी चाहें तो कराची के शेयर बाज़ार (कराची स्टॉक एक्स्चेंज –केएसई) में सूचीबद्ध सभी कंपनियों को खरीद सकते हैं और इससे बावजूद उनके पास 30 अरब डॉलर बचे रहेंगे। अगर भारत के चार रईस चाहें तो एक साल के लिए पाकिस्तान के 16 करोड़ 90 लाख पाकिस्तानियों द्वारा एक साल में उपयोग की जाने वाली सारी उपभोक्ता सामग्री और खाद्य सामग्री खरीद सकते हैं और इसके बावजूद उनके पास 60 अरब डॉलर बचे रहेंगे। भारत के चार सबसे बड़े अरबपतियों के पास चीन के 40 सबसे बड़े अकबपतियों के मुकाबले ज्यादा पैसा है। नवंबर, 2007 में बाम्‍बे स्टॉक एक्स्चेंज का सेंसेक्‍स 20 हजार अंक तक पहुंच गया। मुकेश अंबानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज़ 100 अरब डॉलर की कंपनी हो गई (जबकि पूरा कराची स्टॉक एक्स्चेंज की सकल पूंजी 65 अरब डॉलर है), मुकेश अंबानी का रिलांयस के 48 प्रतिशत हिस्से पर कब्जा है। नवंबर में मुकेश अंबानी ने अपनी पत्नी नीता अंबानी को उनके 43वें जन्म दिन पर देखिए क्या उपहार दिया...! 60

अशुभ है यह अमरीकी सांड

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देश के सबसे बड़े शेयर बाजार बॉम्‍बे स्‍टॉक एक्‍सचेंज में पिछले दिनों से जो गिरावट आ रही है उसके पीछे एक वास्‍तुशास्‍त्र का कारण भी हो सकता है या महज एक संयोग। लेकिन 12 जनवरी 2008 को बीएसई के बाहर सांड की एक कांस्‍य प्रतिमा लगाई गई है जिसे तेजी का प्रतीक माना जाता है लेकिन सब उल्‍टा हुआ। क्‍यों मालूम है यह सांड न्‍यूयार्क के बाउलिंग ग्रीन पार्क में लगे तीन टन वजन के सांड की नकल पर है। यानी अमरीकी नकल का सांड भारतीय शेयर बाजार के लिए अशुभ साबित हुआ है। बीएसई के दरवाजे पर लगे इस सांड को महाराष्‍ट्र के शहर सोलापुर के कारीगर भगवान रामपुरे न बनाया है और एक टन वजन का है। यह सांड पांच फीट ऊंचा और आठ फीट लंबा है। बीएसई के बाहर खड़े ढेरों निवेशकों का कहना है कि जब से यह सांड यहां आया है, शेयर बाजार का बंटाढार हो गया है। अमरीकी खुद तो मंदी में डूब रहे हैं, हम भारतीयों का भी नुकसान कर रहे हैं। इस सांड को जितना जल्‍दी हो यहां से हटा देना चाहिए। बीएसई के एक दरवाजे के बीचोंबीच खड़ा यह सांड सही नहीं है। लीजिए यह नई खबर जिसमें मंदी के लिए सांड को दोषी माना जा रहा है।