मीठा जहर !
एक कहावत है जब किसी को गुड़ खिलाकर मारा जा सकता है तो जहर क्यों। चीनी उद्योग और चीनी शेयरों में इस समय यही हो रहा है। आम बजट में जहां मार खा रहे चीनी उद्योग की कोई चर्चा तक नहीं है, वहीं चीनी कंपनियों के शेयरों में निवेश करने वाले अब जमकर रो रहे हैं। केंद्र सरकार ने गन्ने के नए पेराई सत्र से पहले कहा था कि इस साल देश में चीनी का उत्पादन 230 लाख टन के करीब होगा, लेकिन अब जो सरकार ने आंकडें दिए हैं वे बताते हैं कि यह उत्पादन 260 लाख टन से ज्यादा है। जब उत्पादन से संबंधी सही आंकडें सरकार के पास ही नहीं है तो उद्योग या निवेशक किसका सहारा ले। चीनी निर्यात अब खुल जरुर गया है लेकिन इसका फायदा किसे, है कोई जो यह बता सके। अंतरराष्ट्रीय बाजार में जब चीनी में तेजी थी तो हमने निर्यात रोक दिया और जब जमकर मंदी आ गई तो कहा.....चलो बेटों निर्यात कर पैसा कमाओं, यहां तो तुम्हें धैला भी नहीं मिलने वाला। राजनीतिक गलियारों की चर्चा पर भरोसा करें तो चीनी उद्योग का तब तक कोई भला नहीं होगा जब तक केंद्र में कृषि मंत्री शरद पवार रहेंगे। कांग्रेस इस समय शरद पवार से ऊब चुकी है और पश्चिम महाराष्ट्र में अप...