अशुभ है यह अमरीकी सांड
देश के सबसे बड़े शेयर बाजार बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज में पिछले दिनों से जो गिरावट आ रही है उसके पीछे एक वास्तुशास्त्र का कारण भी हो सकता है या महज एक संयोग। लेकिन 12 जनवरी 2008 को बीएसई के बाहर सांड की एक कांस्य प्रतिमा लगाई गई है जिसे तेजी का प्रतीक माना जाता है लेकिन सब उल्टा हुआ। क्यों मालूम है यह सांड न्यूयार्क के बाउलिंग ग्रीन पार्क में लगे तीन टन वजन के सांड की नकल पर है। यानी अमरीकी नकल का सांड भारतीय शेयर बाजार के लिए अशुभ साबित हुआ है। बीएसई के दरवाजे पर लगे इस सांड को महाराष्ट्र के शहर सोलापुर के कारीगर भगवान रामपुरे न बनाया है और एक टन वजन का है। यह सांड पांच फीट ऊंचा और आठ फीट लंबा है। बीएसई के बाहर खड़े ढेरों निवेशकों का कहना है कि जब से यह सांड यहां आया है, शेयर बाजार का बंटाढार हो गया है। अमरीकी खुद तो मंदी में डूब रहे हैं, हम भारतीयों का भी नुकसान कर रहे हैं। इस सांड को जितना जल्दी हो यहां से हटा देना चाहिए। बीएसई के एक दरवाजे के बीचोंबीच खड़ा यह सांड सही नहीं है। लीजिए यह नई खबर जिसमें मंदी के लिए सांड को दोषी माना जा रहा है।
टिप्पणियाँ
क्या अमेरिका में भी साँड नया नया लगा है, मन्दी तो अभी आयी है.
करा दिया ना बँटाधार .... :D
पना आम का
पापड की तरह
पीस कर रख
दिया बाज़ार
अब न जाने
कब और कितने
दिनों में फिर
फूलेगा तब
झूलेंगे निवेशक
पर सांड को
तो दौडाओ
हमारी जुगाड़ू समझ से, इसका इलाज ये हो सकता है कि सांड के आगे, एक लाल कपड़ा टांग दिया जाए, जिससे सांड को बार बार गुस्सा आएगा, उछल कूद मचाएगा। और शायद इसी चक्कर मार्केट भी भागे इसके चक्कर में। वैसे कपड़ा रिलायंस वालों से ही लेना और टांगने का ठेका छोटे बबुआ को ही देना। मार्केट अगर चढ जाए, तो मेरी कंसल्टेन्सी का पैसा मेरे एकाउन्ट मे जमा करा देना।
जितेन्द्र भाई
दौडाने के लिये ही
सुझाया है