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सेंसेंक्‍स 7100 अंक आने की आशंका !

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मुंबई में आतंकी हमले के बाद अब पाकिस्‍तान के खिलाफ युद्ध की आशंका बढ़ती जा रही है जिससे आने वाले दिनों में भारतीय शेयर बाजारों में एक बार फिर नरमी बढ़ सकती है। अमरीकी अखबार न्‍यूयार्क टाइम्‍स ने खुलासा किया है कि भारत पाकिस्‍तान में चल रहे आतंकवादी प्रशिक्षण शिविरों को खत्‍म करने की योजना बना रहा है और वह आंतकवाद पर पाकिस्‍तान के साथ निर्णायक लड़ाई लड़ने के मूड में है। भारत यदि पाकिस्‍तान के साथ आतंकवाद के मुद्दे पर युद्ध लड़ता है तो शेयर बाजार को मंदी का सामना करना पड़ेगा और मुंबई स्‍टॉक एक्‍सचेंज का सेंसेक्‍स 7100 अंक तक आ सकता है। आतंकवाद के खिलाफ लड़े जाने वाले युद्ध की आशंका से विदेशी निवेशक भारतीय बाजार से अपना और पैसा निकालने की तैयारी में हैं जिससे बाजार का सेंटीमेंट बिगड़ सकता है। एक संभावना यह भी व्‍यक्‍त की जा रही है कि आतंकवाद से निपटने के लिए अमरीका, ब्रिटेन और भारत मिलकर पाकिस्‍तान से युद्ध कर सकते हैं। आर्थिक मंदी से जूझ रही दुनिया के लिए आतंकवाद एक बड़ा खतरा है और अब इससे निपटने का वक्‍त आ गया है। इस बीच अमरीका सहित अनेक देश अपनी अपनी अर्थव्‍यवस्‍थाओं को दुरुस्‍त करने

नौकरी खोने वालों के लिए दस सुझाव

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नौकरी का एकाएक चले जाना एक भयानक सपने की तरह होता है। एकदम से किंकर्तव्यविमूढता की स्थिति और ढेर सारा तनाव। अनिश्चित भविष्य के प्रति ढे़र सारी चिन्ताओं का बोझ और उदासियां। ऐसे में आशा की किरण खोजना काफी धैर्य और संयम का काम होता है, लेकिन यही एक रास्ता है जो हालिया मुसीबतों से किसी को भी निकालकर आगे ले जाता है। ऐसे में अपना संयम खोने वाले उन संभावनाओं को भी खो देते हैं, जो ऐसे वक्त में बेहतर अवसरों की तरह उनके पक्ष में कार्य कर सकती हैं। 1. सबसे पहले तो शांत और स्थिर चित्त के साथ तर्क पूर्ण तरीके से अपनी विचारशक्ति को बरकरार रखने की जरूरत होती है। लगता भले ही हो, लेकिन किसी के साथ एकाएक ऐसी घटना होते ही, बाकी सारी चीजें भी एकाएक नकारात्मक तरीके से बदल नहीं गई होती हैं। जरूरी है कि चीजों के बारे में अपने आशावादी नजरिए को बरकरार रखा जाए। आप मानें या नहीं, लेकिन लोगों में आपकी निराश भावनाओं को सूंघ लेने की गजब की शक्ति होती है और यदि आपका आत्मविश्वास और उत्साह अपनी जगह पर कायम है, तो इसका अच्छा प्रभाव लोगों को आपके पक्ष में निर्णय करने को प्रेरित भी करता है। 2. दूसरी बात है कि नौकरी से ब

पांच तरीके एक सफल कार्यकारी जीवन के

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फार्च्युन-500 कंपनियों को पिछले 14 सालों से सेवा प्रदान करने वाली एक प्रबंधन सलाहकार कंपनी की संस्थापिका और अध्यक्ष नैन्‍सी कोलासुर्डो ने अपनी पुस्तक 'गेट ए लाईफ दैट डज नॉट सक' में नए उद्यमियों के लिए कुछ बेहतरीन तरकीबों का उल्लेख किया है जो अच्छी तरह से जीवन जीने के बारे में और अपने कारोबार की सफलतापूर्वक शुरूआत करने के बारे में उपयोगी हो सकती हैं। उद्यमिता को विकसित और परिपुष्ट करने के लिए जरूरी इन पांच प्रमुख तत्वों के बारे में आप भी जानिए। 1- चुनिए आप जो, जैसा चाहते हैं , इसे समझने के लिए इस पर पूरा ध्यान केंद्रित करें। ऐसा करने से आप अच्छे चुनाव कर सकेंगे। यदि आपने कोई मनचाहा कारोबार शुरू करना तय कर लिया है, लेकिन पैसा आपके पास है नहीं और कुछ परेशान करने वाली उधारियां भी आप पर अभी बकाया हैं। ऐसे में, यह ध्यान केन्द्रीयकरण आपको पैसे की व्यवस्था के अन्य विकल्पों पर तार्किक रूप से सोचने में मदद देता है कि पैसा परिवार के लोगों से उधार ले लिया जाए या वे चीजें बेचकर जुटा लिया जाए, जिनकी जीवन में अति महत्त्वपूर्ण जरूरत नहीं। यह हमेशा चुनने का विषय होता है। 2- अच्छे विचार उत्पन्न

जब जॉब खोना पड़े

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लगभग रोज ही विभिन्‍न कंपनियों द्वारा अपने कर्मचारियों की तादाद घटाने के लिए तरह-तरह की कसरत करने की खबरें आ रही हैं। कहीं स्वैच्छिक (?) छुट्टी पर भेजा जा रहा है, कहीं आधे वेतन पर कुछ सालों के लिए समाजसेवा के लिए कार्मिकों को मुक्त किया जा रहा है, तो कहीं सीधे ही बाहर का रास्ता दिखाया जा रहा है कि निकलो भाई, हम आपका बोझ अब नहीं उठा सकते। लेकिन इसके बावजूद शायद ही कोई ऐसा शख्स होगा, जिसकी जिंदगी में इस वजह से कोई बड़ा परिवर्तन न आए। अगर इस दौर में आप प्रभावित होने से बचे हैं, तो आप खुशकिस्मत हैं। लेकिन यदि प्रभावित हुए हैं, तो आपको कुछ तरीकों पर जरूर सोचना चाहिए, जिनको अपनाकर आप इस परिस्थिति से बाहर निकल सकते हैं और नए सिरे से मुस्करा सकते हैं। 1- शांत बने रहें। चाहे यह अपेक्षित हो या नहीं, चाहे यह कैसे भी हुआ हो, आपको शांत बने रहने की जरूरत है। कुछ भी कदम उठाने से पहले उत्तेजित या तनावग्रस्त होने पर आप अनजाने ऐसा कुछ भी कर सकते हैं, जो आपको नहीं करना चाहिये। एमिली पोस्ट के निदेशक और 'एटिकेट:एडवांटेज इन बिजनेस' के लेखक पीटर पोस्ट कहते हैं-"आपको कंपनी से बाहर किया जाना आपके

ड्रैगन भी मंदी की चपेट में

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लो अब ड्रैगन भी मंदी की चपेट में आता जा रहा है। चीन की तेजी से आगे बढ़ती अर्थव्‍यवस्‍था अब अपनी भविष्‍यवाणी के विपरीत ठंडी पड़ती जा रही है जिसने दुनिया के सामने यह चिंता पैदा कर दी है जो अर्थव्‍यवस्‍था उनकी मांग के आधार पर नैया पार लगा सकती थी वही अब उनके वित्तीय संकट को और बढ़ा देगी। चीन सरकार ने जो आंकडें पेश किए हैं उनके मुताबिक चीन की आर्थिक विकास दर वर्ष दर वर्ष तीसरी तिमाही में नौ फीसदी रही। यह दर अभी भी बढि़या दिख रही है लेकिन यह तेजी से घटती भी जा रही है। दूसरी तिमाही में विकास दर 10.1 फीसदी रही जो पहली तिमाही में 10.6 फीसदी थी। चीन की आर्थिक विकास दर वर्ष 2002 के बाद पहली बार दस फीसदी से नीचे रहने की संभावना है। अनेक अर्थशास्‍त्री तो चीनी सरकार के इस विकास दर को तेज करने के अनेक कदम उठाने के बावजूद अगले साल आठ फीसदी से कम रहने की आशंका जता रहे है। अमरीका और यूरोप जैसे बड़े उपभोक्‍ताओं की मांग तेजी से घटने की वजह से निर्यात को झटके लग रहे हैं। इससे चीन के प्रॉपर्टी बाजार की भी हालत कमजोर हो रही है। बीजिंग सहित दूसरे कई शहरों में ढ़ेरों इमारतों को आज भी अपने खरीददारों का इंतजार

निवेशक लौटने लगे दलाल स्‍ट्रीट में

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दलाल स्‍ट्रीट में यह दिवाली वाकई जगमग दिवाली रही और मायूस निवेशकों के चेहरों पर फिर से रौनक लौटने लगी। बीएसई सेंसेक्‍स के पिछले सप्‍ताह 9700 अंक पार करने के साथ एक बार फिर निवेशकों को यह भरोसा दिलाया जाने लगा है कि चलो दलाल स्‍ट्रीट। लेकिन कुछ इक्विटी विश्‍लेषक इस गर्मी को रीलिफ रैली मानते हैं। यानी इस तेजी के टिकाऊ होने के आसार नहीं हैं। एक फंड प्रबंधक का कहना है कि दलाल स्‍ट्रीट में पिछले सप्‍ताह आई तेजी में घटी महंगाई दर की अहम भूमिका रही। दुनिया भर में खासकर अमरीकी वित्तीय बाजार में आया संकट अभी दूर होने के आसार नहीं हैं। साथ ही दुनिया भर के शेयर बाजारों में भी बड़े सुधार के आसार कम हैं। इस बीच, भारतीय रिज़र्व बैंक ने मुख्य दरों में कटौती करके एक बार फिर चौंकाया है। रिजर्व बैंक ने शनिवार दोपहर अचानक सीआरआर और एसएलआर में एक फ़ीसदी और रेपो रेट में 0.5 फीसदी की कटौती कर दी। कटौती के बाद सीआरआर अब 5.5 फीसदी रेपो दर 7.5 फीसदी और एसएलआर 24 फीसदी हो गई है। एक अनुमान के मुताबिक इस कटौती से सिस्टम में करीब 85 हजार करोड़ रुपए आएंगे। नकदी की समस्या से जूझ रहे बैंकिंग सिस्टम को इससे निश्चित त

तमाशा शार्ट सेलिंग का: हेज फंडों को करारी मात

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लंदन के अति समझदार हेज फंडों को जिस तरह उनकी बेतहाशा समझदारी के चलते, जर्मन कार कंपनी पोर्श ने 20 अरब डॉलर की करारी चोट दी है, उसकी वजह से हेज फंडों में मचे रोने-पीटने को सांत्वना देने का जिगर किसी में नहीं बचा है। अधिकांश जर्मन इसे 'लालची' हेज फंडों पर जर्मन कार उद्योग की शानदार जीत के तौर पर महसूस कर रहे हैं जिनमें ज्यादातर पोर्श के ग्राहक हैं। हेज फंडों ने यह भारी रकम उस बाजार रणनीति की वजह से गंवाई, जिसे अभी तक बाजार में चांदी काटने का शानदार अल्पकालिक (शार्ट टर्म) तरीका समझा जाता रहा और जिसकी वजह से तमाम हेज फंडों को दुनिया भर में विद्रोही कमाऊ सपूतों की चमकदार छवि मिली। अब हाल यह है कि उनमें से अधिकांश को अपनी जान के लाले पड़ गए हैं। लीमैन ब्रदर्स के पतन और इसके बाद मचे विश्वव्यापी विकराल आर्थिक संकट की वजह से दुनिया भर की अनेक नामी-गिरामी वित्तीय संस्थाओं के लिए यह चोट, ताबूत की आखिरी कील की तरह है। लेकिन इस मसले को लेकर हेज फंडों के साथ सहानुभूति उनके अपने परिवार के सिवा और किसी की हो ही नहीं सकती। अगर कार बनाने वाली नामी कंपनी पोर्श ने इसमें केंद्रीय भूमिका निभाई, जैसा

दिवाली से दिवाली तक सेंसेक्‍स

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देश भर में दिवाली का पर्व मनाया जा रहा है। भगवान राम के 14 वर्ष के वनवास से अयोध्‍या लौटने की खुशी में दिवाली का पर्व मनाया जाता है। साथ ही धन की देवी लक्ष्‍मी की खास कृपा पाने के लिए आज उनकी विशेष पूजा अर्चना की जाती है। लेकिन शेयर बाजार के निवेशक काफी निराश है। उनके लिए दिवाली का पर्व खुशी की जगह मातम का पर्व बन गया है। जहां पिछली दिवाली पर बीएसई सेंसेक्‍स 20 हजार अंक के आसपास था, वहीं इस दिवाली पर यह 8500 अंक पर है। दुनिया की आर्थिक नीति तय करने वाले देश अमरीका के वित्तीय संकट में फंसने से पिछले दस महीनों में दुनिया भर के शेयर बाजारों में गिरावट का दौर जारी है और अब इस मंदी को वर्ष 1929 की महामंदी के समान बताया जा रहा है। यह मंदी कहां जाकर ठहरेगी कोई नहीं जानता क्‍योंकि कई देशों की आर्थिक स्थिति तो इतनी डगमगा गई है कि वे दिवालिया होने के कगार पर खड़े हैं। समूचे देश इसके लिए जोरदार प्रयास कर रहे हैं कि यह मंदी महामंदी साबित न हो और जल्‍दी से जल्‍दी बेहतर आर्थिक उपायों से इस पर नियंत्रण पाया जा सके। मौजूदा मंदी का सीधा असर भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था के बैरोमीटर शेयर बाजार पर भी पड़ा है जि

सेंसेक्‍स का सुपर शो

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रजनीकांत जनवरी में जंप लगाया (Month High-21206- Low-15332) फरवरी में फेड होना शुरू किया (Month High 18895- Low 16457) मार्च में मारकाट मचाया (Month High- 17227- Low 14677) अप्रैल में कुछ एडवांस हुआ (Month High- 17480- Low 15297) मई में हुआ कुछ और मस्त (Month High -17735- Low 16196) जून में शुरू हुआ जलजला (Month High -16632- Low 13405) जुलाई में निवेशकों के और जले हाथ (Month High -15130- Low 12514) अगस्त में जगाई आस (Month High - 15579- Low 14002) सितंबर में फिर खूब ढाहा सितम (Month High -15107- Low 12153) अक्टूबर में तेज किया अटैक (Month High -13203- Low 8566) क्या नवंबर में करवाएगा नो-नो.... दिसंबर में भी क्या यह रहेगा दिशाहीन... इस साल कैसा रहेगा सेंसेक्स का शो सुपर हिट या सुपर फ्लाप ।

ये रहे अगले हैवीवेट्स

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भारतीय शेयर बाजार जनवरी से लगातार गिरावट की ओर है और अब रोज मुक्‍त रुप से गिर रहा है। लेकिन इक्विटी विश्‍लेषकों को यह नहीं पता है कि इसका बॉटम लेवल कहां होगा। वाह मनी की राय में पहला निचला स्‍तर बीएसई सेंसेक्‍स का 7500 अंक है। बीएसई सेंसेक्‍स के इस स्‍तर पर आने पर जिन शेयरों की आप खरीद करना चाहते हैं उनमें 20-20 फीसदी शेयरों की खरीद चालू की जा सकती है लेकिन यह निवेश यह मानकर करें कि आपको अगले दो साल तक इस पैसे की जरुरत नहीं है। हमारी राय में बीएसई सेंसेक्‍स इस दिवाली से अगली दिवाली तक 6100 से 12900 के बीच और एनएसई का निफ्टी 1800 से 3800 के बीच घूमता रहेगा। वाह मनी पेश कर रहा है कुछ खास शेयरों की सूची जिनमें आप हर घटे भाव पर निवेश कर सकते हैं जो आपके लिए बेहद फायदेमंद रहेंगे। इस सूची में हैवीवेट्स की कमी खल सकती है लेकिन ये शेयर मुनाफे के हिसाब से अगले हैवीवेट्स होंगे। पेट्रोनेट एलएनजी एनटीपीसी एलआईसी हाउसिंग इंडसइंड बैंक एक्सिस बैंक बैंक ऑफ बड़ौदा व्‍हर्लपूल इंडिया आईओएन एक्‍सचेंज सेल फिलिप्‍स कार्बन ब्‍लैक

महा रिटर्न जय मंत्र

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सही तरीके और सही मात्रा में शेयर आधारित फंडों का चयन, निवेशक के लिए लंबे समय के निवेश लक्ष्यों के मामले में अति महत्त्वपूर्ण है। अब इस तरीके और मात्रा के साथ जुड़े 'सही' के पुछल्ले से निबटने के लिए पेशेवर सलाहकार की शरण में जाना आसान उपाय है, लेकिन अपनी गाढी कमाई की पूंजी को जोखिम भरे शेयर बाजार में निवेशित करने का इरादा करते समय कुछ महत्त्वपूर्ण बातें खुद भी ध्यान में रखी जानी चाहिए। इससे एक तो आत्मविश्वास बढता है और दूसरे सचेतता आती है जो कि रूपए-पैसे के मामले में सुरक्षा के लिहाज से बहुत ही जरूरी है। 1- सबसे पहले अपनी जोखिम क्षमता का आकलन करें। यह निवेश के अनुभवों, आपके दृष्टिकोण और भावनात्मक दृढता पर आधारित होता है। जोखिम उठाने की क्षमता और इच्छा दो अलग-अलग चीजें हैं, यह याद रखना बहुत जरूरी है। जोखिम क्षमता के आधार पर ही निवेश की अति सुरक्षित, या सामान्य सुरक्षित या आक्रामक रणनीति बनानी चाहिए। अति सुरक्षित नीति जहां पूंजी की सुरक्षा को सर्वोच्च सुनिश्चित करती है, वहीं रिटर्न के मामले में कमजोर भी साबित होती है जबकि आक्रामक रणनीति बेहद अच्छे रिटर्न भी दिला सकती है और आपकी कु

अन्तरात्मा खडी़ बजार में...

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मोहन वर्मा पश्चिम बंगाल की जनता के नाम अपने खुले पत्र में टाटा ने बहुत बुनियादी सवाल उठाया है, कि कानून का शासन, आधुनिक ढांचा और औद्योगिक विकास दर वाले खुशहाल राज्य बनाम टकराव, आंदोलन, हिंसा और अराजकता के विध्वंसकारी राजनीतिक माहौल से बरबाद होते राज्य में से पश्चिम बंगाल की जनता किस प्रकार के राज्य को चुनना चाहेगी? इस मूलभूत सवाल के परिप्रेक्ष्य में यह जानना दिलचस्प है, कि एक ही शब्द के मायने, एक ही बात की परिभाषाएं, किस तरह व्यक्तियों और समुदायों के लिए अलग-अलग विरोधाभासी रूख अख्तियार करती हैं। कानून का शासन यह है कि राज्य प्राकृतिक संसाधनों को उन ब़डे देशी-विदेशी उद्योगपतियों के हवाले कर दे, जिनकी औद्योगिक परियोजनाओं की सफलताएं, भारत के भावी विकसित स्वरूप का निर्माण करने वाली हैं। कानून का शासन वे लोग मानें, जिनकी जिंदगियों में शेयरों का, कंपनियों का कोई सीधा दखल नहीं, बल्कि जिनकी जिंदगी की शर्तें जल-जंगल और जमीन से जुडी़ हैं। पश्चिम बंगाल सरकार कानून के शासन के परीक्षण के इस मामले में विफल रही और अंतत: टाटा के आगे बिछ-बिछ जाने को तैयार विभिन्न मुख्यमंत्रियों में से टाटा ने एक म

धैर्यवान का साथ देगा शेयर बाजार

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भारत ही नहीं दुनिया भर के शेयर बाजार इस समय वैश्विक वित्तीय संकट की चपेट में हैं जिससे आम और खास दोनों तरह के निवेशक बुरी तरह मायूस हैं। शेयर बाजारों का और बुरा हाल होने की आंशका अभी भी बनी हुई है लेकिन इतिहास इस बात का भी गवाह है कि बुरे दौर से गुजरने के बाद इस बाजार ने हमेशा बेहतर रिटर्न दिया है तभी तो दुनिया के सबसे बड़े निवेशक वारेन बफेट इस समय बेहतर अमरीकी कंपनियों में निवेश कर रहे हैं। असल में शेयर बाजार और लक्ष्‍मी ने हमेशा धैर्यवानों का साथ दिया है। न्यूयॉर्क टाइम्स में लिखे अपने लेख में वारेन बफेट ने कहा है कि अमरीका को खरीदो, मैं इसे खरीद रहा हूं। वित्तीय संकट के केंद्र में बैठे इस शक्तिशाली और धैर्यवान निवेशक का एक-एक शब्द निवेशकों के लिए पत्थर की लकीर जैसे होता है और इसका सकारात्मक असर दुनिया भर के बाजारों में पड़ सकता है। वे लिखते हैं कि 20 वीं सदी में अमरीका ने दो विश्वयुद्धों के साथ लंबे समय तक चला शीतयुद्ध और अनेक मंदियां देखी। हर बार लगा कि रिकवर कर पाना कठिन है बावजूद डॉव जोंस 11497 पर पहुंच गया। अमरीका, ताईवान सहित अनेक देशों ने अपने यहां शेयरों में शार्ट सेल पर रोक

शेयर बाजार ट्रेडिंग जोन में

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भारतीय शेयर बाजार इस समय पूरी तरह ट्रेडिंग जोन में है और निवेशकों को इस समय लंबी अवधि के निवेश के बजाय पूरी तरह एक कारोबारी की तरह लाभ उठाना चाहिए। लेकिन ज्‍यादातर निवेशक एक गलती करते हैं और वे वैल्‍यू स्‍टॉक पर दांव लगा बैठते हैं जो फंडामेंटल व टेक्निकल तौर पर बेहद मजबूत होते हैं लेकिन निवेशकों की शिकायत होती है कि उनके शेयर चल ही नहीं रहे। जबकि, बाजार जब पूरी तरह ट्रेडिंग जोन में हो तो निवेश ग्रोथ स्‍टॉक में करना चाहिए। अंतरराष्‍ट्रीय बाजार में क्रूड के दाम 147 डॉलर से घटकर 116 डॉलर प्रति बैरल आ जाने से अर्थव्‍यवस्‍था पर सबसे घातक मार करने वाला कारक ठंडा होता नजर आ रहा है। लेकिन सरकार के समाने अभी भी बढ़ती महंगाई दर को काबू में करना, उच्‍च ब्‍याज दरों को फिर से कम करना और औद्योगिक उत्‍पादन बढ़ाना मुख्‍य चुनौतियां हैं। हालांकि, अब आम चुनाव का समय जैसे जैसे नजदीकी आ रहा है सरकार की प्राथमिकताओं में भी ये ही बातें आ गई हैं ताकि चुनावी समर में फतह हासिल की जा सके। ऊंची ब्‍याज दर की वजह से कर्ज की मांग में आने वाली कमी और अंतरराष्‍ट्रीय कमोडिटी बाजारों में आई नरमी से आने वाले दिनों में मह

शेयर बाजार को जरुरत वोट ऑफ कान्फिडेंस की

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भारतीय संसद और शेयर बाजार को इस सप्‍ताह वोट ऑफ कान्फिडेंस की जरुरत है। दिल्ली में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की सरकार 22 जुलाई को संसद में विश्‍वास मत हासिल कर पाती है या नहीं, पर खिलाडि़यों की नजरें इसी पर टिकी हैं और यही से शेयर बाजार की दिशा तय होगी। हालांकि यहां एक बात अहम है कि संसद चुनावों से पहले शेयर बाजार ने निवेशकों को पोजिटिव रिटर्न दिया है। संसद में सरकार विश्‍वास मत हासिल करें या नहीं लेकिन यह तो तय है कि देश आम चुनाव की ओर अब धीरे धीरे बढ़ रहा है। संसद चुनावों से पहले के शेयर बाजार इतिहास पर नजर डालें तो इसने केवल 1989 के चुनाव को छोड़कर पिछले पांच आम चुनाव से पहले पोजिटिव रिटर्न दिया है। वर्ष 1991 से 2004 के दौरान कुल पांच बार आम चुनाव हुए। इन चुनावों से पहले तीन, छह और नौ महीनों के दौरान शेयर बाजार ने निवेशकों को खुश किया है। चुनाव से पहले के छह महीनों में जहां बाजार ने 11.03 फीसदी का रिटर्न दिया है, वहीं नौ महीने की अवधि में यह रिटर्न 19.70 फीसदी रहा है। चुनाव से तीन महीने पहले की समयावधि में यह रिटर्न औसतन 2.62 फीसदी देखने को मिला है। वर्ष 1999 में हुए आम चुनाव से पहले

शेयर बाजार के लिए नेगेटिव खबरों का अंबार

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महंगाई दर 11.62 फीसदी के साथ 13 साल के उच्‍च शिखर पर, क्रूड 145 डॉलर प्रति बैरल पार और अब 170 डॉलर की ओर बढ़ने की तैयारी, भारत-अमरीका परमाणु करार पर यूपीए सरकार का भविष्‍य खतरे में, भारतीय रुपया डॉलर की तुलना में तेजी से कमजोर, विदेशी संस्‍थागत निवेशकों की लगातार बिकवाली जैसी नकारात्‍मक खबरें शेयर बाजार का पीछा नहीं छोड़ रही हैं। शेयर बाजार के लिए निकट भविष्‍य में कोई बड़ा सकारात्‍मक कारक उभरकर सामने आने की संभावना कम है। सब प्राइम के बाद अभी भी दुनिया के अनेक बैंकरों और निवेश फंडों के मुश्किल से उबरने में असमर्थ होने की खबरें बाजार के लिए अच्‍छी नहीं हैं। अमरीका के बाद यूरोप की बैंकों को 141 अरब डॉलर जुटाने की जरुरत, कमोडिटी के बढ़ते विश्‍व व्‍यापी भाव इस मंदी को बढ़ाने का काम कर रहे हैं। घरेलू मोर्चे पर सरकार अर्थव्‍यवस्‍था को पटरी पर लाने के अनेक प्रयास कर रही है ताकि अगले वर्ष होने वाले आम चुनावों में जीत हासिल की जा सके लेकिन क्रूड के बढ़ते दाम और चढ़ती महंगाई दर ने सरकार के हर प्रयास को विफल कर दिया है। भारतीय रिजर्व बैंक को इस बीच, रेपो रेट और सीआरआर में जो बढ़ोतरी करनी पड़ी है

रियलटी शेयरों से दूर रहने में भलाई

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मुंबई। भारतीय शेयर बाजारों में इस समय रियलटी शेयरों की जमकर धुलाई हो रही है। इस क्षेत्र की कई कंपनियों के शेयर तो अपने इश्‍यू प्राइस से नीचे बिक रहे हैं, जिनमें देश की सबसे बड़ी रियलटी कंपनी डीएलएफ शामिल है। डीएलएफ का आईपीओ प्राइस 525 रुपए था। इसी तरह शोभा डेवलपर्स का आईपीओ प्राइस 640 रुपए, पार्श्‍वनाथ डेवलपर्स का आईपीओ प्राइस 300 रुपए, ओमैक्‍स का आईपीओ प्राइस 310 रुपए और पूर्वांकरा प्रोजेक्‍ट्स का आईपीओ प्राइस 400 रुपए था लेकिन ये सभी इससे कम पर मिल रहे हैं। रेलीगेयर सिक्‍युरिटीज के सुमन मेमानी का कहना है कि रियलटी बाजार पर निकट भविष्‍य में और दबाव पड़ने की आशंका है। आवासीय और व्‍यावसायिक दोनों सेगमेंट पर मांग तेजी से घटी है। साथ ही कच्‍चे माल की लागत में बढ़ोतरी से इन कंपनियों पर के मार्जिन पर दबाव पड़ रहा है। कई बिल्‍डरों और डेवलपरों ने धन की तंगी की वजह से अपनी अनेक परियोजनाओं पर काम रोक दिया है। विशेषज्ञों का कहना है कि क्रूड के बढ़े दाम और महंगाई दर में हो रही लगातार बढ़ोतरी से भारतीय रिजर्व बैंक सीआरआर बढ़ा सकता है। ऐसा हुआ तो पहले से ही बुरे हाल हुए रियल इस्‍टेट की हालत औ

शेयर बाजार में राहत की आस नहीं

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देश में मानसून का पहला राउंड बेहतर रहने के बावजूद अंतरराष्‍ट्रीय स्‍तर पर क्रूड के अभी भी 134 डॉलर प्रति बैरल पर टिके होने से शेयर बाजार का मूड ठीक नहीं है। क्रूड के दाम जब तक 100 डॉलर प्रति बैरल से नीचे नहीं आते दुनिया भर की अर्थव्‍यवस्‍था की हालत खासकर बढ़ती महंगाई दर पर लगाम नहीं लगेगी जिससे शेयर बाजारों में बड़े सुधार की आशा भी नहीं रखी जानी चाहिए। पिछले सप्‍ताह भी हमने कहा था कि शेयर बाजार में बड़ी रिकवरी के मौके कम है और अभी यही हालत है। गोल्‍डमैन सेश के बाद मोर्गन स्‍टेनली ने भी 4 जुलाई तक क्रूड के दाम निकट भविष्‍य में 150 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंचने की भविष्‍यवाणी की है। इस भविष्‍यवाणी के बाद क्रूड के दाम 15 से 17 डॉलर बढ़े हैं और ये घटने का नाम नहीं ले रहे। अंतरराष्‍ट्रीय मुद्रा कोष ने भी क्रूड के दाम ऊंचे रहने के साथ भारत सहित अनेक विकासशील देशों की इसमें जोरदार मांग बने रहने की बात कही है। इक्विटी विशेषज्ञों की राय में क्रूड के दाम 120 डॉलर प्रति बैरल से नीचे आने पर ही शेयर बाजारों में सुधार के संकेत दिखेंगे। इस बीच, भारतीय रिजर्व बैंक ने रेपो रेट जरुर बढ़ा दी है लेकिन बढ़ती

शेयर बाजार सीमित रेंज में

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केरल राज्‍य में मानसून का समय पर आगमन, क्रूड के घटे दाम शेयर बाजार के लिए अच्‍छे संकेत हैं लेकिन, बढ़ती महंगाई दर को रोकना सरकार के लिए टेढ़ी खीर साबित हो रही है। हालांकि, घरेलू विकास दर (जीडीपी) का नौ फीसदी पहुंचना यह बताता है कि सरकार की प्राथमिकता में महंगाई दर की बजाय विकास दर है। शेयर बाजार में बड़ी तेजी का इस समय कोई कारक नहीं है और यह सीमित रेंज में ऊपर नीचे होता रहेगा जो 16300 से 17500 अंक की रहेगी। लेकिन साल के अंत तक सेंसेक्‍स 19500 से 21000 अंक की ओर बढ़ सकता है। शेयर बाजार इस समय दिशाहीन जैसा है। दो दिन तेजी और एक दिन गिरावट की स्थिति में निवेशक यह तय नहीं कर पा रहे कि वे क्‍या करें। ऐसे में निवेशकों को बेहतर फंडामेंटल वाले सस्‍ते मिल रहे शेयरों में निवेश करना चाहिए। जिन कंपनियों के दाम 50 फीसदी घटने के अलावा कार्य नतीजे घटिया आए हों उनमें से निवेशकों को निकल जाना चाहिए। इस समय नीचे पीई वाले और अगले दो वर्ष में बेहतर प्रतिफल दे सकने वाले शेयरों में निवेश करना चाहिए। केंद्र सरकार पर तेल कंपनियों के बढ़ते घाटे को रोकने का जोरदार दबाव है। सरकार आने वाले दिनों में पेट्रोल के दा

शेयर बाजार दिशाहीन नहीं

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हितेंद्र वासुदेव बॉम्‍बे स्‍टॉक एक्‍सचेंज का सेंसेक्‍स पिछले सप्‍ताह 16468.32 अंक पर खुला और ऊपर में 16666.03 अंक तक गया और नीचे में 16196 अंक आया। अंत में यह 16415.57 अंक पर बंद हुआ जो साप्‍ताहिक आधार पर 249 अंक की शुद्ध नरमी दिखाता है। शेयर बाजार में पिछले सप्‍ताह मंदडिएं हावी रहे। हमने बाजार को कमजोर और संघर्ष करते देखा और तीन कारोबारी दिन यह 16200 के स्‍तर से ऊपर रहा। नकारात्‍मक फ्लो होने के बावजूद सेंसेक्‍स 16200 से ऊपर जमे रहने में कामयाब रहा है। शेयर बाजार के दैनिक चार्ट को देखें तो पता चलता है कि सेंसेक्‍स 16667 अंक के ऊपर बंद होता है तो यह बढ़कर कम से कम 17125 अंक तक जा सकता है। लेकिन यदि इसमें पर्याप्‍त गिरावट आती है और यह 16185 अंक के नीचे बंद होता है तो यह कम से कम 15715 अंक तक जा सकता है। अगले सप्‍ताह सेंसेक्‍स का यह तय होगा कि यह 16667 से ऊपर जाता है या फिर 16185 अंक से नीचे आता है। कुल मिलाकर सेंसेक्‍स 17736 अंक से ऊपर बंद होता है तो इसकी रेंज 17736-18300 अंक रह सकती है। साप्‍ताहिक रेसीसटेंस 16666 अंक और 17125 अंक रहेगा। साप्‍ताहिक स्‍पोर्ट 16185 और 15715 अंक रहेगा। सेंस